टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक सुरक्षा एजेंसियों ने कहा है कि ISI ने लश्कर कमांडर साजिद जट्ट को निर्देश दिया था कि वह जम्मू-कश्मीर में केवल पाकिस्तानी आतंकियों का ही इस्तेमाल करे, ताकि उसकी पहचान छिपी रहे। यही वजह है कि किसी भी कश्मीरी आतंकी को इस हमले में शामिल नहीं किया गया।
रिपोर्ट्स की माने तो सुरक्षा सूत्रों का कहना है कि यह हमला 26/11 मुंबई हमले की तरह ही लश्कर-ISI की एक मिली-जुली योजना थी। हमले के लिए स्थानीय लोगों को जरुरत के हिसाब से शामिल करने का निर्देश दिया गया था।
जानकारी के अनुसार पहलगाम हमले का लीडर आतंकी सुलेमान था। सुरक्षा एजेंसियों ने शंका जताई है कि सुलेमान पाकिस्तान की स्पेशल फोर्सेज का पूर्व कमांडो था और 2022 में उसने पाकिस्तान के पंजाब में लश्कर-ए-तैयबा के मुरीदके सेंटर में ट्रेनिंग ली थी।
खूफिया एजेंसियों को सैटेलाइट फोन के विश्लेषण से पता चला है कि 15 अप्रैल 2025 को सुलेमान त्राल के जंगल में छिपा हुआ था। यानी वह घटना के पहले से ही बैसरन में हमले की जगह पहुँच चुका था। एक और खुलासे के तहत पता चला कि सुलेमान अप्रैल 2023 में पुंछ में सेना के ट्रक पर हुए हमले में भी शामिल था। इस हमले में पाँच सैनिक मारे गए थे।
इससे पहले फाइनेंसियल एक्शन टास्क फ़ोर्स (FATF) ने पहलगाम आतंकी हमले की निंदा करते हुए कहा था कि पहलगाम जैसा हमला बिना किसी फंडिंग के नहीं हो सकता। FATF ने इस संबंध में एक बयान भी जारी किया था।
FATF ने कहा था “आतंकवादी हमले दुनिया भर में लोगों की जान लेते हैं, उन्हें अपंग बनाते हैं और भय पैदा करते हैं। FATF ने कहा था “यह और हाल ही में हुए अन्य हमले, बिना पैसे और आतंकवादी समर्थकों के बीच पैसे के लेन-देन के साधनों के बिना नहीं हो सकते थे”। अपने आधिकारिक बयान में FATF ने कहा था कि वह मामले में एक्शन लेते हुए आतंकी फंडिंग पर एक विश्लेषण भी जारी करेगा।
बता दें कि 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में आतंकियों ने निर्दोष हिंदुओं को निशाना बनाया था। इस आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए थे। इसके बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर चलाया था। जिसके तहत भारतीय सेना ने पाकिस्तान के कई आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया था।