प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार (2 जुलाई 2025) को पाँच देशों की महत्वपूर्ण यात्रा पर है। इसका मुख्य उद्देश्य अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और कैरिबियन में भारत की साझेदारी को मजबूत करना है। यह यात्रा घाना से शुरू हुई।
पीएम मोदी तीन दशकों में घाना का दौरा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बने हैं। घाना में उन्हें ‘ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ घाना’ से भी सम्मानित किया गया और घाना के बच्चों ने ‘हरे राम हरे कृष्ण’ का मंत्रोच्चार कर स्वागत किया गया।
#WATCH | Ghana: A group of young children recite 'Hare Rama Hare Krishna' before Prime Minister Narendra Modi, as they welcome him to Accra.
(Video: ANI/DD News) pic.twitter.com/uzRrjowGUG— ANI (@ANI) July 2, 2025
घाना में ऐतिहासिक शुरुआत
पीएम मोदी का घाना में शानदार स्वागत हुआ। घाना के राष्ट्रपति जॉन ड्रामानी महामा ने एयरपोर्ट पर उनका स्वागत किया। पीएम मोदी को ‘गार्ड ऑफ ऑनर‘ मिला। 21 तोपों की सलामी भी दी गई। पीएम मोदी की घाना की पहली सरकारी यात्रा थी। वह घाना जाने वाले तीसरे भारतीय प्रधानमंत्री हैं। उनसे पहले जवाहरलाल नेहरू और अटल बिहारी वाजपेयी गए थे।
प्रधानमंत्री मोदी ने घाना में कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की बात की। इसमें निवेश, ऊर्जा, स्वास्थ्य और सुरक्षा शामिल हैं। पीएम मोदी ने घाना की संसद को संबोधित किया और इसे बड़ा सम्मान बताया। पीएम मोदी ने कहा कि दोनों देश मजबूत लोकतंत्र हैं। जानकारी के अनुसार, घाना में 15,000 से ज्यादा भारतीय रहते हैं, कुछ परिवार सात दशकों से वहाँ हैं।
आगे की यात्रा
घाना के बाद पीएम मोदी अपनी यात्रा जारी रखेंगे और त्रिनिदाद और टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राजील और नामीबिया जाएँगे। 3 से 4 जुलाई 2025 को वह त्रिनिदाद और टोबैगो में संसद में भाषण देंगे और देश का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान ग्रहण करेंगे।
इसके बाद 4 से 5 जुलाई 2025 को पीएम मोदी अर्जेंटीना में राष्ट्रपति जेवियर माइली से मिलेंगे, जहाँ व्यापार, ऊर्जा, निवेश और नवीकरणीय ऊर्जा पर चर्चा होगी। 5 से 8 जुलाई 2025 तक पीएम मोदी ब्राजील के रियो डी जनेरियो में 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे और ब्राजील के राष्ट्रपति सहित कई नेताओं के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे।
आखिर में 8 से 9 जुलाई 2025 को नरेंद्र मोदी नामीबिया का दौरा करने वाले भारत के पहले पीएम होंगे, जहाँ वह राष्ट्रपति नंदी-एनडाइटवाघ से मिलेंगे और खनिज व ऊर्जा साझेदारी पर बातचीत करेंगे। यह पूरी यात्रा दिखाती है कि भारत दुनिया के दक्षिणी देशों के साथ अपने संबंध मजबूत करना चाहता है और खास क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना चाहता है।