सिद्दारमैया बेंगलुरू भगदड़

रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू (आरसीबी) ने 18 वर्षों में पहली बार इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की ट्रॉफी जीती। इसके बाद 4 जून 2025 को बेंगलुरू में इसका जश्न मनाने की तैयारी की गई। इसके लिए चिन्नास्वामी स्टेडियम में लाखों की भीड़ इकट्ठा हो गई। इसके बाद वहाँ भगदड़ मची जिसमें 11 लोगों की मौत हो गई थी और 56 लोग घायल हो गए थे।

अब कर्नाटक सरकार ने 1 जुलाई 2025 को किसी भी कार्यक्रम के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP ) तैयार किया है। साथ ही साथ बेंगलुरू भगदड़ पर जाँच भी चल रही है। इसके तहत केंद्रीय प्रशासनिक के न्यायाधिकरण (CAT ) ने चिन्नास्वामी स्टेडियम में भगदड़ के लिए आरसीबी को भी दोषी ठहराया है।

SOP में क्या होगा?

कर्नाटक सरकार ने भीड़ प्रबंधन के लिए एक विस्तृत SOP (Standard Operating Procedure) जारी किया है। इसका उद्देश्य भविष्य में भगदड़ जैसी घटनाओं को रोकना और सार्वजनिक समारोह में लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। SOP के तहत पुलिस के आला-अफसरों को किसी भी आयोजन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए आयोजकों से संपर्क करना होगा।

SOP में कार्यक्रम की रूपरेखा के साथ आयोजन की तारीख और सही समय होना जरूरी है। इसके साथ ही कार्यक्रम में कितनी भीड़ आ सकती है। उसके अनुसार जगह पर्याप्त है कि नहीं। समारोह स्थल में प्रवेश और निकास के लिए समुचित रास्ते के साथ आपातकालीन निकासी के बारे में जानकारी जरूरी होगी। आयोजन कितनी देर तक आगे खिंच सकता है, आयोजन में किसी तरह के विरोधाभास की स्थिति होने के क्या आसार हो सकते हैं।

अगर कार्यक्रम में किसी भी तरह के विरोधाभास की स्थिति होने के आसार होते हैं तो उस दौरान के विरोध प्रदर्शनों की संभावना, आस-पास के क्षेत्र में स्थित महत्वपूर्ण जगहों पर खतरे के बारे में भी बताना होगा। इसके साथ ही और उस तरह के पिछले आयोजनों की स्थिति की समीक्षा भी की जाएगी।

इसके अलावा आयोजन स्थल में अग्निशमन (फायर एक्टिंग्विशर्स) की व्यवस्था के साथ स्वास्थ्य और अन्य जरूरी विभागों की अनुमति जरूरी होगी। इन सबके साथ कार्यक्रम के लिए डिजिटल टिकटिंग और सीटों के आरक्षण पर भी काम किया जाना इस SOP में शामिल होगा। इसके तहत प्रवेश को नियंत्रित करने के लिए तकनीकी उपायों का उपयोग किया जाने की बात कही गई है।

कितना आसान होगा नए नियम लागू कर पाना

जनसंख्या और इस तरह के आयोजन के लिहाज से इस SOP को लागू करने में कर्नाटक सरकार को कई चुनौतियाँ झेलनी पड़ सकती हैं। व्यावहारिक तौर पर देखा जाए तो इन दिशा- निर्देशों को समझने में पुलिस समेत अन्य विभागों को ही काफी समय लग जाएगा।

इसके अलावा कर्नाटक में वर्तमान में लगभग 92,000 पुलिस कर्मी हैं। इसके एवज में 2011 के जनसंख्या सर्वे को ही मानें तो कर्नाटक की जनसंख्या 6.11 करोड़ है। ऐसे में किसी आयोजन में भारी भीड़ होने पर अगर कोई अनहोनी होती है तो उतने संसाधनों का जुटा पाना भी एक बड़ी चुनौती वाली बात है। विरोध प्रदर्शन जैसे मामलों में ये SOP गुब्बारे की हवा जैसे ही साबित होगी।

RCB के खिलाफ आया आदेश

CAT ने अपने आदेश में कहा कि सोशल मीडिया के जरिए RCB ने कई बार आयोजन का प्रमोशन किया। इससे लगभग 12 घंटे में ही काफी भीड़ एक साथ आ गई। इतने कम समय में पुलिस पूरी तरह से व्यवस्था कर पाने में असमर्थ थी।

आदेश में पुलिस की सीमाओं पर भी बात की गई और कहा गया कि वह ‘न तो भगवान’ हैं और ‘न ही जादूगर’, जिनके पास आखिरी समय में किसी की इच्छा पूरी करने के लिए ‘अलादीन का चिराग’ हो।

इसके साथ ही ट्रिब्यूनल ने पुख्ता सबूत न होने के कारण आईपीएस विकास कुमार विकास का निलंबन भी रद्द कर दिया। साथ ही दो अन्य अधिकारियों को भी बहाल करने के सिफारिश की।

भले ही CAT ने अपना आदेश सुना दिया हो या फिर SOP जारी कर दी गई हो, लेकिन जिन 11 लोगों की जानें गईं और जो लोग गंबीर रूप से घायल हुए, उन पीड़ितों के लिए न्याय की प्रक्रिया अब भी अधूरी लगती है। इस पूरे मामले पर कई पक्षों ने कर्नाटक सरकार से जाँच रिपोर्ट सार्वजनिक के साथ पूरी पारदर्शिता लाने की बात कही।

इसे लेकर याचिकाएँ भी डालीं गईं जिनमें ये आरोप लगे हैं कि कार्रवाई में राजनीतिक दबाव शामिल है, इसलिए न्याय मिलने में देरी हो रही है। फिर भी ढाक के वही तीन पात अब तक दिख रहे हैं यानी जाँच प्रक्रिया को अपने स्तर से ही कर्नाटक सरकार से ही चला रही है।

आयोजन में सरकार के उपमुख्यमंत्री बी बुलाए गए थे। इशके बावजूद इतनी बड़ी घटना हुई। इस मामले पर हाईकोर्ट ने भी सरकार से कई सवाल पूछे थे। इसके जवाब में कर्नाटक सरकार ने उस समय चुप्पी साध ली और जवाब देने के लिए समय की माँग कर डाली थी।

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