केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया है कि पहलगाम आतंकी हमले का बदला ले लिया गया है। यह हमला करने वाले तीन आतंकी मार गिराए गए हैं। उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि आतंकियों की पहचान भी स्पष्ट हो गई है। गृह मंत्री ने यह सारी बातें ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान लोकसभा में मंगलवार (29 जुलाई, 2025) को बताईं। उन्होंने इस दौरान कॉन्ग्रेस और बाकी विपक्ष पर भी प्रश्न उठाए। उन्होंने कहा कि आतंकियों का बचाव करके वोटबैंक बनाने वालों को नरेन्द्र मोदी की आतंक विरोधी नीति नहीं पसंद आएगी।
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बताया, “22 जुलाई को दाचीगाम में आतंकी मौजूद होने की पुष्टि हो गई। इसके बाद 4 पैरा, जम्मू-कश्मीर पुलिस और CRPF ने आतंकियों को घेरा। 28 जुलाई को जो ऑपरेशन हुआ, उसमे हमारे निर्दोष नागरिकों को मारने वाले आतंकी मौत के घाट उतारे गए… आतंकियों की राइफल विशेष विमान चंडीगढ़ भेजी गईं, इनको रात भर फायर करके खोखे का मिलान हुआ। इसके बाद स्पष्ट हुआ कि यही आतंकी पहलगाम हमले में शामिल थे।”
उन्होंने इस दौरान विपक्ष पर भी प्रश्न उठाए। विपक्ष के शोर मचाने पर उन्होंने कहा, “मुझे तो लगा था आतंकियों के मरने की खबर पर विपक्ष में ख़ुशी की लहर दौड़ जाएगी, लेकिन यहाँ तो स्याही पड़ गई… यह कैसी राजनीति है।” उन्होंने इस दौरान पहलगाम हमले की जाँच को लेकर भी जानकारी दी। उन्होंने कहा, “पहलगाम हमले की जाँच के दौरान मृतकों के परिजनों से बातचीत, दुकानदारों, खच्चर वालों, पर्यटकों समेत 1055 लोगों की 3000 घंटे जानकारी के लिए की गई।”
उन्होंने आगे कहा, “इसका वीडियो बनाया गया, इसके आधार पर स्केच बनाया गया। 22 जून, 2025 को बशीर और परवेज की पहचान की गई। इन्होंने हमले के अगले दिन आतंकियों को शरण दी थी। गिरफ्तार किए गए सहायक आरोपितों की माँ ने तीनों आतंकियों की लाश पहचान ली है। दोनों सहायकों ने पहचान लिया है। FSL की पुष्टि भी आज सुबह (29 जुलाई, 2025) को हो गई है।” गृह मंत्री अमित शाह ने इस दौरान पूर्व गृह मंत्री और कॉन्ग्रेस नेता चिदंबरम के बयान की आलोचना भी की।
चिदंबरम ने पहलगाम में हमला करने वाले आतंकियों के पाकिस्तानी होने पर प्रश्न उठाए थे। उन्होंने कहा, “हमारे पास प्रूफ है कि तीनों आतंकी पाकिस्तानी थे। तीनों के पाकिस्तानी वोटर नम्बर हमारे पास हैं, उनकी राइफल हमारे पास हैं। उनके पास पाकिस्तान से बनाई चॉकलेट मिली हैं। ये कहते हैं कि वो पाकिस्तानी नहीं थे। पूरी दुनिया को इस देश के पूर्व गृह मंत्री (चिदंबरम) पाकिस्तान को क्लीन चिट दे रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि चिदंबरम को शक था तो मुझसे पूछ लेते। उन्होंने इस दौरान लगातार कॉन्ग्रेस के हंगामे पर भी प्रहार किया। उन्होंने कहा, “मुझे लगता था कि रक्षा मंत्री के भाषण के बाद पक्ष में भाषण चालू करेगी और अगर थोड़ी-बहुत जनता की इच्छा की परख होती तो यही करते… लेकिन फिर भी उन्होंने सवाल किए, सवाल किए तो मुझे जवाब देना पड़ेगा।”
गृह मंत्री शाह ने इस दौरान कॉन्ग्रेस पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान में मारे गए 10 बड़े आतंकियों में से 8 चिदंबरम के समय आतंकी घटनाएँ करते थे, नरेन्द्र मोदी की सरकार ने उन्हें ठिकाने लगाया है।” उन्होंने आगे कहा, “उरी में हमला हुआ, हमने सर्जिकल स्ट्राइक किया। पुलवामा में हमला हुआ, एयरस्ट्राइक किया। पहलगाम में हमला हुआ, एयरस्ट्राइक की… मनमोहन सिंह ने सर्टीफाइड कर दिया था कि पाकिस्तान भी आतंक के विक्टिम हैं।
गृह मंत्री शाह ने 10 मई, 2025 को हुए सीजफायर पर भी स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने कहा, “9 मई को सेना को हुक्म दिया। एक मीटिंग हुई राजनाथ सिंह, NSA और सेना प्रमुखों ने तय किया और पाकिस्तान के 11 एयरबेस पर हमला हुआ। 8 एयरबेस ऐसे निशाना बनाए गए कि पाकिस्तान का एयर डिफेन्स बेकार हो गया…पाकिस्तान के पास शरण में आने के अलावा कोई चारा नहीं था, इसलिए 10 मई को पाकिस्तान के DGMO ने भारतीय DGMO को फोन किया, हमने 5 बजे इस संघर्ष को विराम किया।”
कॉन्ग्रेस के प्रश्नों पर उन्होंने ऐतिहासिक गलतियाँ भी बताईं। उन्होंने कहा, “1948 में कश्मीर में हमारी सेनाएँ निर्णायक बढ़त पर थीं, सरदार पटेल मना करते रहे लेकिन नेहरू ने सीजफायर कर दिया… मैं जिम्मेदारी से बोलता हूँ कि अगर POK है तो इसका जिम्मेदार जवाहर लाल नेहरू है। 1965 की लड़ाई में हाजी पीर जैसी जगह पर हमने कब्जा किया था। 1966 में हमने उसे लौटा दिया।”
उन्होंने 1971 के युद्ध पर भी प्रकाश डाला। गृह मंत्री शाह ने कहा, “1971 के युद्ध के बाद 93 हजार युद्धबंदी हमारे पास थे, 15 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र हमारे पास था लेकिन शिमला में समझौता हुआ और POK वापस माँगना ही भूल गए… तब वापस माँग लेते तो हमें कैम्प तोड़ने की जरूरत नहीं पड़ती।” उन्होंने जवाहर लाल नेहरू सरकार की और भी कई कमियाँ गिनवाई। उन्होंने 1962 युद्ध का भी जिक्र किया।
लोकसभा में गृह मंत्री शाह ने कहा, “1962 के युद्ध में हमने जमीन चीन को दे दी… तब बहस हुई तो नेहरू जी ने कहा कि वहाँ घास का तिनका तक नहीं उगता।” उन्होंने आगे कहा, “गौरव गोगोई जी जानते हैं क्या कि उन्होंने (नेहरू ने) असम को बाय-बाय बोल दिया था।”
भारत के UNSC सदस्यता ठुकराने पर उन्होंने कहा, “अनौपचारिक रूप से USA ने प्रस्ताव दिया कि चीन को UN में ले लिया जाए लेकिन सुरक्षा परिषद् में नहीं, नेहरू जी ने कहा कि हम इसे स्वीकार नहीं करते क्योंकि इससे चीन के साथ हमारे संबंध खराब होंगे और चीन जैसे महान देश को बुरा लगेगा।”
उन्होंने UPA सरकार पर भी निशाना साधा। गृह मंत्री शाह ने कहा, “मनमोहन सिंह-सोनिया गाँधी की सरकार ने पहली ही कैबिनेट में POTA कानून रद्द किया। मैं पूछता हूँ कि किसके फायदे के लिए यह हुआ… 2005 में अयोध्या में रामलला के टेंट पर हमला हुआ, 2006 में मुंबई में ट्रेन में धमाके हुए, 2006 में डोडा में हमला हुआ।”
उन्होंने पूछा, “आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई होती है… 2005 से 2011 के बीच 27 जघन्य हमले हुए… 1000 लोग मारे गए। मैं आपसे पूछना चाहता हूँ अपने क्या किया।” गृह मंत्री ने इसके साथ ही अपनी सरकार का रिपोर्ट कार्ड भी पेश किया और बताया कि इस दौरान हुए हमले पाक प्रायोजित और कश्मीर पर केन्द्रित थे। उन्होंने इस दौरान कॉन्ग्रेस नेता सलमान खुर्शीद के बाटला हाउस पर सोनिया गाँधी के रोने वाले बयान का भी जिक्र किया।
उन्होंने मोदी सरकार का रिपोर्ट कार्ड पेश किया। उन्होंने कहा, “2004-14 में 1770 में नागरिकों की मृत्यु हुई थी। 2015-25 में कम होकर 357 हो गईं थी। 80% की कमी हो गई। सुरक्षाबलों की मृत्यु में 1060 थी, हमारे समय में 542 हुईं। आतंकियों की मौत में 123% का इजाफा हुआ।” उन्होंने UPA सरकार पर हुर्रियत नेताओं को VIP ट्रीटमेंट देने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, “एक समय में यहाँ हुर्रियत के नेताओं को VIP ट्रीटमेंट मिलता था… मनमोहन सिंह की सरकार के दूत इनके साथ चर्चा करते थे, हमने हुर्रियत के सारे कॉम्पोनेन्ट बैन कर दिए थे।” गौरव गोगोई के हंगामा मचाने पर गृह मंत्री ने कहा, “आपके समय में आतंकी को घुसने की जरूरत ही नहीं थी… जैसे आप पाकिस्तान जाते हो, वैसे वो यहाँ आते थे।”
गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया है कि उनकी सरकार में आतंक पर एकदम कड़ा स्टैंड लिया जाएगा।