एक आज का दौर है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में आम आदमी को टैक्स से बड़ी राहत मिली है। एक वो दौर था, जब इंदिरा-नेहरू के दौर में कॉन्ग्रेस की सरकार लोगों की मेहनत की कमाई पर बेतहाशा टैक्स वसूलती थीं। यह भारत के उस ‘काले दौर’ से ‘मुक्ति’ का प्रतीक है। एक तरफ पीएम मोदी का ‘विकास और विश्वास’ का मॉडल है, जिसने 12 लाख रुपए तक की आय को टैक्स-फ्री किया। वहीं, दूसरी तरफ कॉन्ग्रेस का ‘समाजवादी’ जुमला था, जिसने लोगों को कंगाल कर उनकी मेहनत पर खुद का साम्राज्य खड़ा किया।
नेहरू का दौर: 12 लाख की कमाई पर 3-10 लाख टैक्स
एक आज का समय है, जब 2025 के बजट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आम आदमी को राहत देते हुए ऐतिहासिक फैसला किया। मोदी सरकार ने ऐलान किया कि अब ₹12 लाख तक की आय पर किसी भी प्रकार का कोई टैक्स नहीं लगेगा। यह फैसला सीधे तौर पर मीडिल-क्लास परिवारों को बहुत बड़ी राहत देने वाला साबित हुआ।
एक वो दौर था जब जवाहरलाल नेहरू के शासन में 12 लाख की इनकम पर 2 लाख से ज्यादा की वसूली की जाती थी। पीएम मोदी ने कहा कि अगर उस समय ₹12 लाख की आय होती, तो सरकार को ₹10 लाख टैक्स के रूप में दे दिए जाते थे। यह वह वक्त था जब टैक्स दरें इतनी ऊँची थीं कि एक आम आदमी की कमाई का बड़ा हिस्सा कॉन्ग्रेस सरकार के पास चला जाता था।
#WATCH | #DelhiAssemblyElection2025 | At Delhi's RK Puram public meeting, PM Modi says, "…If someone had a salary of Rs 12 lakhs at the time of Jawaharlal Nehru – one-fourth would have gone to tax; if today have been the govt of Indira Gandhi – Rs 10 lakhs of your 12 lakh would… pic.twitter.com/gR3dQflckZ
— ANI (@ANI) February 2, 2025
इसके साथ ही पीएम मोदी ने कॉन्ग्रेस शासनकाल पर यह कहते हुए निशाना साधा कि ‘आज 12 लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगता, जबकि कॉन्ग्रेस के समय यह रकम ₹2.6 लाख तक पहुँच जाती थी।’
इंदिरा का टैक्स राज: जब कमाई पर लगता था 97.5% कर
नेहरू के शासन में टैक्स की दरें बहुत ज्यादा थीं, लेकिन इंदिरा गाँधी के दौर में टैक्स की दरों ने तो हिला कर रखा दिया था। आजादी के बाद से ही देश पर कॉन्ग्रेस ने राज किया था। उस समय ‘समाजवाद’ के नाम पर इंदिरा गाँधी जनता पर भारी-भरकम टैक्स लादती थी। 1970 के दशक को याद करें, जब प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के राज में आयकर की दरें आसमान छूती थीं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 1970 में आयकर की दर 93.5% थी, जो 1973-74 तक बढ़कर 97.5% हो गई।
इसका मतलब था कि अगर आप 100 रुपए कमाते थे, तो सरकार 97.5 रुपए टैक्स के तौर पर ले लेती थी। उस समय की सरकार का मानना था कि अमीरों पर भारी टैक्स लगाकर गरीबी खत्म की जा सकती है। लेकिन, यह नीति बुरी तरह से फेल हो गई।
इतनी ज्यादा टैक्स दरों से कोई भी कमाई नहीं करना चाहता था। लोग ईमानदारी से टैक्स भरने की बजाय चोरी करने लगे। इस वजह से सरकार का राजस्व बढ़ने के बजाय घट गया। अंत में, सरकार को अपनी इस गलत नीति को वापस लेना पड़ा। यह कॉन्ग्रेस का वह शासन था, जहाँ जनता को टैक्स के जाल में फँसाकर लूटा जाता था और अमीरों पर शिकंजा कसने के नाम पर पूरे देश को बर्बाद किया जा रहा था।
अब अगर हम नेहरू और इंदिरा गाँधी के समय की तुलना मोदी सरकार से करें, तो यह बहुत स्पष्ट होता है कि पीएम मोदी ने टैक्स नीति में सुधार के मामले में बड़ी राहत दी है। जहाँ नेहरू और इंदिरा गाँधी के समय में टैक्स दरें इतनी अधिक थीं कि लोग अपनी पूरी कमाई टैक्स में दे देते थे, वहीं मोदी सरकार ने जनता की तकलीफों को समझते हुए टैक्स को बहुत ही सामान्य और आसान बना दिया है। इससे लोग अब अपनी कमाई अपनी जेब में रख सकेंगे ओर टैक्स चुकाने वालों के लिए यह सम्मान और राहत की बात होगी।