इनलोगों को कभी भी कलावा नहीं बाँधने, तिलक नहीं लगाने और हिन्दू देवी-देवताओं की पूजा नहीं करने के लिए कहा जाता था। यहाँ तक कि अपने घर में ये देवी-देवताओं की मूर्तियाँ नहीं रख सकते थे। सभा में शामिल होने वालों से वादा किया जाता था कि ईसाई बनने पर उनकी जिंदगी सुधर जाएगी और सरकारी नौकरी भी मिल सकती है।
प्रार्थना सभा में गुगल मीट के जरिए कई लोग जुड़ते थे। यूट्यूब पर इसका वीडियो अपलोड किया जाता था। साथ ही ईसाईयत का प्रचार किया जाता था। ये बात भी आरोपितों ने पुलिस को बताया है कि अक्सर स्पेन और दुबई के लोग प्रार्थना सभा में जुडते थे। राजकुमार ने एक यूट्यूब चैनल भी बना रखा था, जिसका नाम है ‘Church of God Agra,’ इस पर हर रविवार की सभाओं के वीडियो डाले जाते थे।
इसके 176 सबस्क्राइबर हैं और 93 वीडियो अपलोड हैं। सभी वीडियो प्रार्थना सभा या उसके द्वारा दिए गए उपचार के हैं। इनमें से कुछ वीडियो ऐसे भी हैं जो मतांतरित होने वाले लोगों के हैं। इसमें वे कह रहे हैं कि प्रार्थना सभा में शामिल होने से उनकी बीमारी ठीक हो गई।
धर्मांतरण करने वाले गिरोह का मुख्य आरोपी राजकुमार लालवानी को फंड मुहैया कराया जाता था। उसके पास से डायरी और रजिस्टर बरामद हुए हैं। इनमें कई लोगों के नाम और नंबर हैं, जिसकी जाँच पुलिस कर रही हैं। राजकुमार को विदेश से भी फंडिंग हो रही थी। इसके अलावा महाराष्ट्र, हरियाणा से फंडिंग के सबूत मिले हैं। हालाँकि पैसे किसके खाते में आ रहे थे, कौन भेज रहा था। इसकी अभी जाँच चल रही है। लोग राजकुमार की बेटी के खाते में भी पैसे भेज रहे थे, इसकी जानकारी पुलिस के पास है।
उसने अब तक 500 से ज्यादा लोगों को ईसाइयत का पाठ पढ़ाया। करीब 5 साल पहले मुंबई के उल्लासनगर से राजकुमार ने ईसाइयत का प्रचार करना शुरू किया। इसके बाद आगरा उसके धर्मांतरण का अड्डा बना।
धर्म परिवर्तन करने वाला गिरोह ज्यादातर गरीबों और बीमारों को टारगेट करता था। इनलोगों को कष्ट दूर करने के बहाने बुलाता था और फिर उनका ब्रेनवॉश किया जाता था। हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियों को घर से बाहर करने और प्रार्थना सभा में शामिल होने के लिए कहा जाता था। राजकुमार केदारनगर में स्थित अपने घर में हर रविवार को ये सभा करता था। वहाँ आए लोगों से कहा जाता था कि मूर्तियाँ हटा दो, कलावा काट दो, सिंदूर और बिछुए उतार दो, तभी खुशहाली आएगी।