पुलिस ने कुछ दिन पहले नेत्रहीन प्रोफेसर प्रभात उपाध्याय को मदरसे से बरामद किया था। उन्हें बंधक बनाकर धर्मपरिवर्तन कराया जा रहा था। मदरसे में खतने की प्रक्रिया चल रही थी, उसी दौरान पुलिस ने दबिश देकर उन्हें मुक्त कराया। गिरोह ने उनका नाम ‘हामिद’ रखा था। इस मामले में मदरसे का मौलवी अब्दुल मजीद, सलमान, मोहम्मद आरिफ समेत 4 आरोपितों को गिरफ्तार किया गया था। आरोपितों के पास से ज़ाकिर नाइक की सीडी, धर्मांतरण प्रमाणपत्र, 22 बैंक खातों में संदिग्ध ट्रांजैक्शन और विदेशी फंडिंग से जुड़े सुराग मिले थे।
दैनिक भास्कर के रिपोर्ट के मुताबिक, रविवार (31अगस्त 2025) को जब उनकी टीम सुभाषनगर के करेली गाँव और फैजनगर पहुँची। आरोपित सलमान और मोहम्मद आरिफ इस गाँव के रहने वाले हैं। इनलोगों ने गाँव के बृजपाल, उसकी माँ और बहन को इस्लाम कबूल करवाया था। इनलोगों ने ही फैजनगर के पीयूष और एक नाबालिग का धर्मांतरण करवाया था। गाँव के लोगों में इस गैंग को लेकर दहशत है। इन्हें डर है कि कहीं उनके बच्चों को ये शिकार न बना लें।
व्हाट्सएप ग्रुप बना ‘हनी ट्रैप’ किया जाता था
गिरोह के 20 से अधिक व्हाट्सएप ग्रुप थे। इसमें हर दिन फोटो और वीडियोज डाले जाते थे। धीरे-धीरे अश्लील फोटो और वीडियोज डालकर हिन्दू युवकों को फँसाया जाता था। अगर युवक दिलचस्पी दिखाए, तो उसे मदरसे में बुलाया जाता था।वहाँ लड़कियाँ होती थी, जो उसका ब्रेनवॉश करती थी। मौलाना उसे समझाता था कि अगर चार लड़कियाँ चाहिए, जन्नत चाहिए और ऐशो-आराम से रहना है, तो मुस्लिम बन जाओ।
हिन्दू देवी-देवताओं को लेकर अपशब्द बोले जाते थे। गिरोह के सदस्य इस्लाम की अच्छाई बताते हुए ये जानकारी भी देते थे कि कैसे आसानी से इस्लाम कबूल किया जा सकता है। इसके फायदे क्या हैं। चार बीवियाँ, घर, नौकर, पैसे और दूसरी चीजें आसानी से मिल सकती हैं। युवकों को उर्दू सिखाया जाता, कुरान-हदीस पढ़ाया जाता। अगर युवक सीख जाता, तो उसे मौलाना और मौलवी बनने का मौका मिलने की बात भी कही जाती।
फैजपुर के पीयूष को बनाया मोहम्मद अली
प्रभात मामले में गिरफ्तार अब्दुल माजिद ने अपनी बहन आयशा की फोटो और वीडियो भेज कर पीयूष को चंगुल में फँसाया था। उसे पहले मदरसा बुलाया गया और आयशा से निकाह करने मौका मिलने की बात कही गई। लेकिन पहले इस्लाम कबूल करने को कहा गया। पीयूष के ब्रेनवॉश के बाद उसका खतना किया गया। नया नाम दिया गया- मोहम्मद अली। धीरे-धीरे पीयूष खुद ही गिरोह का हिस्सा बन गया और 5 वक्त नमाज अदा करने लगा।
बरेली का ये मदरसा 2014 में अस्तित्व में आया है। पुलिस की जाँच में बरेली में 6 लोगों के धर्मांतरण की बात अब तक सामने आई है। लेकिन ये आँकड़ा और भी बढ़ सकता है।
गिरोह के सदस्यों को अलग-अलग काम दिए गए
गिरोह का मास्टमाइंड अब्दुल माजिद था। उसने गिरोह के सदस्यों को काम बाँट दिया था। सलमान दर्जी का काम करता था। लेकिन उसका असली काम इस्लाम से जुड़े किताब, सीडी और दूसरी सामग्री उपलब्ध करना था। आरिफ उसकी मदद करता था। जबकि फहीम नाई की दुकान चलाता था। उसे आने-जाने वालों की सारी जानकारी होती थी। वह इसे माजिद से शेयर करता था।
मदरसा संचालक अब्दुल माजिद के 27 जिलों से जुड़े तार
पुलिस का मानना है कि ये लोग अलग-अलग राज्यों से चंदा इकट्ठा करते थे और इसी पैसे से धर्मांतरण का धंधा चलाते थे। इस बड़े लेन-देन को देखते हुए एजेंसियाँ पाकिस्तान समेत अन्य देशों से फंडिंग की संभावना की जाँच कर रही हैं।
एसपी साउथ अंशिका वर्मा ने बताया कि इस गिरोह का नेटवर्क सिर्फ बरेली तक सीमित नहीं है, बल्कि देश के कई राज्यों में फैला हुआ है। अब्दुल माजिद के ट्रेवल की हिस्ट्री 27 से अधिक जिलों से जुड़ी हुई है। उसके अकाउंट से 13 लाख रुपए बरामद हुए हैं। साथ ही कई बैंकों के चेकबुक और 21 बैकखाते मिले हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस इस मामले में और भी लोगों को गिरफ्तार करेगी। इस घटना ने एक बार फिर से धर्मांतरण गिरोहों की गंभीरता को उजागर कर दिया है, जो हमारे समाज के लिए एक बड़ा खतरा हैं।