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हिंदुओं के देवी-देवता होते हैं नकली…उन्हें मानोगे तो नर्क में जाओगे: अलवर के मिशनरी हॉस्टल में 50+ गरीब बच्चों का हो रहा था ब्रेनवॉश, 2 गिरफ्तार


राजस्थान अलवर ईसाई धर्मांतरण

राजस्थान के अलवर जिले में एक ईसाई मिशनरी हॉस्टल पर धर्म परिवर्तन के आरोप में बुधवार (3 सितंबर 2025) की शाम को पुलिस ने छापा मारा। हॉस्टल के बच्चों ने बताया कि उनसे कहा जाता था, “अगर भगवान को मानोगे तो नर्क में जाओगे, आग में जलाए जाओगे।” इस मामले की शिकायत विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल की ओर से की गई थी।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जब पुलिस मौके पर पहुँची तो हॉस्टल में भगदड़ मच गई। वहाँ मौजूद 50 से ज्यादा बच्चे डर के मारे 10 फीट ऊँची दीवार फाँदने लगे। पुलिसकर्मियों को बच्चों को नीचे उतारने और शांत करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। वे बच्चों को समझाते रहे, “डरो मत, हम तुम्हारे लिए आए हैं, नीचे आ जाओ।” कुछ बच्चे रोने लगे और डर के कारण चीखने भी लगे।

हॉस्टल के कर्मियों पर गंभीर आरोप

हॉस्टल में रह रहे 6 से 17 साल की उम्र के बच्चों ने पुलिस को बताया कि उन्हें भगवान को मानने से रोका जाता है। कहा जाता था, “अगर भगवान को मानोगे तो नर्क में जाओगे, आग में जलाए जाओगे।” केवल बाइबल पढ़ने के लिए मजबूर किया जाता था। हिंदू देवी-देवताओं को नकली बताया जाता था।

बच्चों ने कहा, “फादर मूर्ति और क्रॉस को पानी में डालकर अंतर दिखाते थे और कहते थे, देखो, तुम्हारा भगवान डूब गया, वो तुम्हें कैसे बचाएगा?” बच्चों ने बताया कि उन्हें पढ़ाई और रहने का खर्चा मुफ्त देने का लालच दिया गया। मौत और नर्क का डर दिखाकर ईसाई धर्म की बातें सिखाई जाती थी।

एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि सिल्वा चरण नामक शख्स यहाँ पर 16 वर्ष से ईसाई मिशनरी के रूप में काम कर रहा है और वो गरीब बच्चों का धर्मांतरण कराता है। धार्मिक शिक्षा के नाम पर सुबह और शाम हॉस्टल में बच्चों से हिंदू देवी-देवताओं की बुराई कर धर्म परिवर्तन की बात कही जाती है।

पुलिस की कार्रवाई

पुलिस ने मौके से अहमदाबाद निवासी अमृत और अलवर के सोनू रायसिख को गिरफ्तार किया है। हॉस्टल से ईसाई धर्म से जुड़ी किताबें और धार्मिक सामग्री भी जब्त की गई हैं।

हॉस्टल का संचालन ‘नया जीवन संस्था’ द्वारा किया जा रहा है, जिसका मुख्यालय तमिलनाडु में है। हॉस्टल में अलवर, हनुमानगढ़ और दिल्ली के बच्चे रहते हैं जो अलग-अलग स्कूलों में पढ़ते हैं।

बच्चों ने बताया कि उन्हें साल में 3000 रुपए देने होते हैं और बाकी सारा खर्च संस्था उठाती है। यह मामला धार्मिक स्वतंत्रता, बच्चों की मानसिक सुरक्षा और कानून व्यवस्था से जुड़ा बेहद संवेदनशील विषय बन गया है। पुलिस अब पूरे मामले की जाँच कर रही है और आगे की कानूनी कार्रवाई की तैयारी में है।

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