एक समय था जब हिंदी में पूरे अंक लाना एक बहुत बड़ी बात मानी जाती थी। बाकी विषयों में तो लोग टॉप कर लेते थे, लेकिन हिंदी में 100 में से 100 नंबर लाने वाले विद्यार्थी बहुत कम मिलते थे। अब यह तस्वीर पूरी तरह से बदल गई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस साल 2025 राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षाओं में 3054 विद्यार्थियों ने हिंदी में पूरे 100 नंबर हासिल किए हैं। यह आँकड़ा चौंकाने वाला है, क्योंकि 2014 में सिर्फ 16 विद्यार्थियों ने यह उपलब्धि हासिल की थी। यानी 12 सालों में यह संख्या 191 गुना बढ़ गई है। यह छात्र सरकारी और प्राइवेट, दोनों तरह के स्कूलों से हैं।
हिंदी दिवस पर सम्मान समारोह
हिंदी दिवस के अवसर पर हर साल उन छात्रों को सम्मानित किया जाता है, जिन्होंने हिंदी में 100% अंक लाए हों। इसकी शुरुआत 2014 से हुई थी। इस साल यह समारोह रविवार (14 सितंबर 2025) को जयपुर के एसएमएस मेडिकल कॉलेज में होगा।
हालाँकि, इस बार एक नई चुनौती सामने आई है। 3000 से ज़्यादा छात्रों को एक साथ सम्मानित करना संभव नहीं था, इसलिए इस बार सिर्फ़ 342 विद्यार्थियों को ही बुलाया गया है।
हिंदी से बढ़ता जुड़ाव
हिंदी के व्याख्याता शशिभूषण शर्मा का कहना है कि हाल के सालों में छात्रों का रुझान हिंदी की तरफ बढ़ा है। सोशल मीडिया, ऑनलाइन कंटेंट, पत्रिकाओं और डिजिटल माध्यमों ने युवाओं को अपनी मातृभाषा से और जोड़ा है।
इस शानदार सफलता में सरकारी स्कूलों के छात्रों की भी बड़ी संख्या है, जबकि इन स्कूलों में हिंदी शिक्षकों की भारी कमी है। राज्य में 10वीं और 12वीं कक्षा के लिए 30,815 पद स्वीकृत हैं, लेकिन अभी 8,881 पद खाली हैं। हालाँकि, 2,400 नए पदों पर भर्ती चल रही है, फिर भी शिक्षकों की कमी बनी रहेगी।
इन सब चुनौतियों के बावजूद, हिंदी में छात्रों की यह सफलता बताती है कि अब हिंदी सिर्फ एक भाषा नहीं रही, बल्कि विद्यार्थी इसे गंभीरता से ले रहे हैं और इसमें टॉप पर पहुँच रहे हैं। यह दिखाता है कि हिंदी का भविष्य उज्ज्वल है।
हिन्दी दिवस: भाषा से बढ़कर भारतीय संस्कृति का सम्मान
हर साल 14 सितंबर को मनाया जाने वाला हिन्दी दिवस सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि हमारी मातृभाषा के गौरव और सम्मान का प्रतीक है। यही वह दिन है जब 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने हिन्दी को भारत की राजभाषा के तौर पर अपनाया था। तब से यह दिन हिन्दी के महत्व को याद दिलाता आ रहा है।
हिन्दी सिर्फ एक भाषा नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, सभ्यता और भावनाओं को दर्शाती है। यह भारत की विविधता में एकता का सबसे बड़ा उदाहरण है। देश में करोड़ों लोग इसे बोलते, पढ़ते और समझते हैं। हिन्दी साहित्य ने प्रेम और शांति के संदेशों से दुनिया को हमेशा प्रभावित किया है।
विदेशों में भी हिंदी की धूम
आज के दौर में हिंदी सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसकी लोकप्रियता दुनियाभर में बढ़ रही है। अमेरिका, कनाडा, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, नेपाल, फिजी, मॉरिशस और सूरीनाम जैसे देशों में इसे पढ़ाया जा रहा है। कई विदेशी विश्वविद्यालय भी हिंदी भाषा और साहित्य के कोर्स चला रहे हैं।
यूट्यूब, फ़िल्मों और सोशल मीडिया ने भी हिंदी को दुनिया के कोने-कोने तक पहुँचाया है। अब तो हर भाषा की फ़िल्मों को हिंदी में डब किया जाता है, ताकि ज्यादा से ज़्यादा लोग उन्हें देख सकें।
दुनियाभर में 60 करोड़ से ज़्यादा लोग हिंदी बोलते हैं, जिस वजह से यह दुनिया की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा बन गई है। हिंदी केवल भारत की आत्मा नहीं है, बल्कि विदेशों में भी भारतीय संस्कृति और पहचान का प्रतिनिधित्व कर रही है।

भारत ही नहीं, इन देशों में भी गूंजती है हिंदी
हिंदी अब सिर्फ भारत की भाषा नहीं रही, बल्कि यह एक वैश्विक भाषा बन चुकी है। 10 से भी ज़्यादा ऐसे देश हैं, जहाँ बड़ी संख्या में लोग हिंदी बोलते हैं। यह भाषा सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि दुनिया के कई देशों में भारतीय संस्कृति और लोगों के दिलों से जुड़ी हुई है।
नेपाल: भारत का पड़ोसी देश नेपाल हिंदी को दूसरी सबसे लोकप्रिय भाषा मानता है। वहाँ की आधिकारिक भाषा नेपाली है, फिर भी लोग आसानी से हिंदी बोलते और समझते हैं। यहाँ मैथिली और भोजपुरी बोलने वाले भी अच्छी संख्या में हैं।
कनाडा: कनाडा में इंग्लिश और फ्रेंच के साथ-साथ हिंदी भी बोली जाती है। टोरंटो और वैंकूवर जैसे शहरों में हिंदी बोलने वालों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है।
मॉरीशस: मॉरीशस में लगभग एक-तिहाई लोग हिंदी बोलते हैं। भले ही यहाँ संसद में इंग्लिश और फ्रेंच का इस्तेमाल होता है और लोग क्रियोल भाषा बोलते हैं, फिर भी स्कूलों में हिंदी पढ़ाई जाती है और यह वहाँ की एक अहम भाषा है।
अमेरिका: अमेरिका में हिंदी बोलने वालों की संख्या 6 लाख से ज़्यादा है, जिससे यह वहाँ की 11वीं सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली भाषा बन गई है। यहाँ रहने वाले भारतीय प्रवासी इसे घरों में बोलकर ज़िंदा रखे हुए हैं।
हिंदी दिवस हमें यह याद दिलाता है कि हमें अपनी मातृभाषा पर गर्व करना चाहिए। हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम हिंदी को अपनाएँ, उसका सम्मान करें और आने वाली पीढ़ियों तक इसे गर्व के साथ पहुँचाएँ।