कोविड वैक्सीन हार्ट अटैक

हाल ही में बॉलीवुड की प्रसिद्ध अभिनेत्री शेफाली जरीवाला की महज 42 वर्ष की आयु में हार्ट अटैक से ही मृत्यु की बात दुनिया भर में फैली। इसके अलावा पंजाब में क्रिकेट खेल रहे एक खिलाड़ी की भी पिच पर ही हार्ट अटैक से मौत की खबर भी सामने आई। इसके बाद कोरोना की वैक्सीन की वजह से हार्ट अटैक और अचानक मौतों के मामलों की चर्चा फिर से शुरू हो गई।

हालाँकि बुधवार (2 जुलाई 2025) को PIB पर एक रिपोर्ट जारी हुई। रिपोर्ट में बताया गया कि ICMR और राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) की ओर से की गई स्टडी में ये पता चला है कि भारत में COVID-19 टीके काफी सुरक्षित और प्रभावी रहे हैं। इनके दुष्प्रभावों की कोई भी बात बहुत कम देखने को मिली है।

इस रिपोर्ट के अनुसार, अचानक हृदयगति रुकने से हुई मौतें आनुवंशिक परेशानियों, आधुनिक जीवनशैली, पहले से मौजूद बीमारियाँ और कोविड के बाद हुई जटिलताओं में से कई कारणों से हो सकती हैं।

ICMR और NCDC ने 18 से 45 वर्ष की उम्र के युवाओं में अचानक होने वाली मौतों के कारणों को समझने के लिए रिसर्च शुरू की है। इसके तहत उन्होंने पहले के और वर्तमान जाँचों को भी शामिल किया गया। इसके तहत 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 47 टर्शियरी अस्पतालों में अध्ययन किया।

इसके तहत ICMR के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी (NII) ने ‘भारत में 18-45 वर्ष की आयु के वयस्कों में अचानक होने वाली मौतों से जुड़े कारक’ शीर्षक पर आधारित एक स्टडी की।

मई से अगस्त 2023 तक इस स्टडी में उन लोगों को शामिल किया गया जो सामने से स्वस्थ दिख रहे थे लेकिन अक्टूबर 2021 और मार्च 2023 के बीच अचानक उनकी मृत्यु हो गई। स्टडी में ये बात निकल कर सामने आई कि कोविड-19 वैक्सीन से युवाओं और वयस्कों में अचानक होने वाली मौतों का जोखिम नहीं बढ़ता है।

इसी तरह ICMR की वित्तीय सहायता के साथ AIIMS ने भी एक अध्ययन किया जा रहा है। इसका विषय ‘युवाओं में अचानक होने वाली मौतों के कारणों का पता लगाना’ रखा गया है। इस अध्ययन के शुरुआती विश्लेषण से पता चला कि युवाओं में अचानक होने वाली मौतों का असल कारण हार्ट अटैक या दिल का दौरा पड़ने से होता है।

इन मौतों के बारे में सबसे अहम बात ये है कि हार्ट अटैक के पैटर्न में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है। यानी वैक्सीन से जुड़े किसी तरह के बदलाव वाले पैटर्न नहीं देखने को मिला। हालाँकि मरने वालों में आनुवंशिक बदलाव जरूर देखे गए हैं। ये अध्ययन अब भी जारी है। इसमें अन्य पहलू भी सामने आ सकते हैं।

मौतों पर फैलाई गई भ्रामक बातें

2019 में शुरू हुई कोरोना महामारी में दुनिया भर में अपना कहर बरपाया। कई देश अब तक कोरोना के नए वेरिएंट और उसकी भयावहता से जूझ रहे हैं।

कोरोना के मामले शुरू होने के बाद इससे बचाव के लिए वैक्सीन तैयार की गई जिसके कारण लाखों लोगों की जान भी बची। इस बीच 2021 से कई युवाओं की अचानक मौत होने लगी। ज्यादातर मामलों में कहा गया कि मौत का कारण हार्ट अटैक है।

धीरे-धीरे इन मौतों के लिए कोरोना वैक्सीन को जिम्मेदार ठहराया जाने लगा। प्रोपेगेंडा फैलाने वाले पत्रकारों समेत ज्यादातर लोगों ने यह मान लिया कि कोरोना वैक्सीन लगाए जाने के बाद से ही इन मौतों में इजाफा में देखा गया है।

सोशल मीडिया पर लोगों ने कहा कि एक बड़े पैमाने पर डॉक्टर्स और रिसर्चर्स की टीम बनाई जानी चाहिए और इस बात का सर्वेक्षण और रिसर्च किया जाना चाहिए कि कोरोना की वैक्सीन लगाए जाने के बाद लोगों के शरीर में क्या परिवर्तन आए हैं।

विशेषज्ञों ने कहा- बिना वैज्ञानिक आधार की बातें

प्रोपेगेंडा फैला रहे लोगों के लिए वैज्ञानिकों की ये स्टडी एक तमाचा है। इस स्टडी के अधार पर वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 के लिए बचावरोधी वैक्सीन को अचानक होने वाली मौतों से जोड़ने वाले बयान झूठे और भ्रामक हैं। इनके बयानों का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। उमके कारण आम लोगों का भरोसा वैक्सीन पर कम हो रहा है।

इसी बीच कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी astrazeneca ने 2024 में ब्रिटिश कोर्ट में यह कबूल किया कि उनकी वैक्सीन के साइड इफेक्ट हैं और इससे हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक भी हो सकता है। इसके बाद तो मानो कॉविड वैक्सीन के नाम पर लोगों को डराए जाने का खेल चरम पर आ गया।

कॉन्ग्रेस के ट्विटर हैंडल से एक न्यूज़ क्लिप साझा करते हुए मोदी सरकार पर जनता की जान के साथ सौदा किए जाने का आरोप लगा दिया गया। ट्वीट में लिखा गया कि मोदी ने 52 करोड़ का चंदा लेकर लोगों की जान के साथ खिलवाड़ किया है।

पोस्ट में लिखा गया कि चंद पैसों के लिए देश की जनता की जान को जोखिम में डालने वाले दरिंदों को कॉन्ग्रेस की सरकार बनते ही उनकी असली जगह पहुँचा जाएगा।

इस तरह की बातें लिखकर लोगों के मन में भी कोरोना वैक्सीन को लेकर लगातार जहर बोया गया और उन्हें विश्वास दिला दिया गया कि उन्हें लगी वैक्सीन में ही कुछ गड़बड़ी है।

कोरोना महामारी के दौरान इसी वैक्सीन ने लाखों लोगों की जान बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ऐसे में निराधार बातों पर रिपोर्ट और दावे दिखा कर देश में वैक्सीन को लेकर लोगों में असंतोष बढ़ाने से भविष्य की स्वास्थ्य आधारित किसी भी तरह की विपदा के लिए समस्याएँ और अविश्वास जैसी परिस्थितियाँ हो सकती है।



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