यूरोप में इस्लामी कट्टरपंथ के बढ़ते खतरे को अब सरकारें भी महसूस कर रही हैं। इसी क्रम में स्पेन में जुमिला नाम के शहर में ईद-बकरीद जैसे त्योहारों को पब्लिक प्लेस पर मनाने पर बैन लगा दिया गया है। स्पेन का जुमिला शहर कभी सदियों तक मुसलमानों के कब्जे में रहा था। खुद स्पेन के बड़े हिस्से पर इस्लामी सल्तनत ने राज किया था, लेकिन अब जुमिला की लोकल अथॉरिटी ने बाकायदा एक प्रस्ताव पास किया है। इसके मुताबिक, ‘ईसाइयों’ के शहर में ‘इस्लामी’ त्योहारों के सार्वजनिक प्रदर्शन को रोक दिया गया है।
ईसाइयों की पार्टी ने ‘गायब’ रहकर पास कराया प्रस्ताव
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस प्रस्ताव को कंजर्वेटिव मानी जाने वाली पीपल्स पार्टी (पीपी) ने पेश किया था और वामपंथी पार्टियों ने इसका विरोध किया। वहीं, वोटिंग के दौरान दक्षिणपंथी पार्टी ‘वॉक्स’ अनुपस्थित रही थी लेकिन फिर भी इस प्रस्ताव को पास करा लिया गया है।
इस प्रस्ताव में कहा गया है, “नगरपालिका खेल सुविधाओं का उपयोग हमारी पहचान से अलग की धार्मिक, सांस्कृतिक या सामाजिक गतिविधियों के लिए नहीं किया जा सकता, जब तक कि स्थानीय प्राधिकारी द्वारा इसका आयोजन न किया जाए।”
‘वॉक्स’ पार्टी ने इस फैसले पर कहा, “वॉक्स के चलते स्पेन के सार्वजनिक जगहों पर इस्लामी त्योहारों पर प्रतिबंध लगाने का पहला कदम पारित हो गया है। स्पेन हमेशा से ईसाइयों का रहा है और हमेशा रहेगा।”
क्या कह रहे हैं विरोधी दल और मुस्लिम नेता?
इस फैसला का विरोधी दलों और मुस्लिम संगठनों ने विरोध किया है। स्पैनिश फेडरेशन ऑफ इस्लामिक ऑर्गनाइजेशन के प्रमुख मुनीर बेनजेलून अंडालूसी अज़हरी ने एक अखबार से बातचीत में दावा किया कि यह प्रतिबंध इस्लामोफोबिक और भेदभावपूर्ण है। उन्होंने कहा, “30 वर्षों में पहली बार मुझे डर लग रहा है। वे किसी दूसरे धर्म पर नहीं सिर्फ हमारे धर्म पर हमला कर रहे हैं।”
वहीं, मर्सिया क्षेत्र के समाजवादी नेता फ्रांसिस्को लुकास ने इस फैसले को लेकर कहा, “पीपी पार्टी संविधान का उल्लंघन करती है और सिर्फ सत्ता की चाह में सामाजिक एकता को खतरे में डाल रही है।” शहर के पूर्व समाजवादी मेयर जुआना गार्डियोला ने कहा, “यहाँ सदियों पुरानी मुस्लिम विरासत का क्या होगा?”
कोर्ट में जाएगा मामला?
जानकारी के मुताबिक, स्थानीय कानून विशेषज्ञ बता रहे हैं कि इस फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया जा सकता है। यह फैसला स्पेन के संविधान के अनुच्छेद 16 का उल्लंघन है।
इस अनुच्छेद में कहा गया है, “व्यक्तियों और समुदायों की विचारधारा, धर्म और पूजा की स्वतंत्रता की गारंटी दी जाती है और उनकी अभिव्यक्ति पर कोई अन्य प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता, सिवाय इसके कि कानून द्वारा संरक्षित सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह आवश्यक हो।”
जुमिला और इस्लाम
जुमिला शहर का इतिहास रोमन साम्राज्य से जुड़ा है। 8वीं शताब्दी में अरबों द्वारा कब्जा किए जाने के पहले यह रोमन साम्राज्य का हिस्सा होता था। इसके बाद यह सदियों तक अरबों का शहर रहा और इसका नाम युमिल-ला हुआ करता था।
इसके बाद 13वीं शताब्दी के मध्य में कैस्टिले के अल्फोंसो X के नेतृत्व में ईसाइयों ने इस पर हमला कर वापस इसे अपने कब्जे में ले लिया था। मौजूदा समय में जुमिला की आबादी करीब 27,000 है, जिसमें करीब 7.5% आबादी मुस्लिमों की है।