गुजरात के सौराष्ट्र और मध्य गुजरात को जोड़ने वाले गंभीरा पुल का एक हिस्सा 9 जुलाई 2025 को ढह गया था। इस हादसे ने देश भर में सुर्खियाँ बटोरीं थी। हादसे के चलते एकट्रक पुल पर ही फँसा रह गया था, वह हादसे के 2 सप्ताह से अधिक गुजर जाने के बाद भी वहीं लटका हुआ है।

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स ने ट्रक के फँसे रहने का कारण प्रशासन की शिथिलता को बताया है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ट्रक ड्राइवर और उसके मालिक का दावा है कि आणंद जिले और वडोदरा जिले के अधिकारी इस मामले में जिम्मेदारी लेने से इनकार कर रहे हैं, जिससे उनकी परेशानी बढ़ गई है।

मीडिया रिपोर्ट्स का कहना है कि दोनों अधिकारी एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं, जबकि ट्रक चालक और मालिक ट्रक को हटवाने के लिए कई जगह चक्कर काट रहे हैं। इस बीच, ट्रक चालक की चिंता बढ़ रही है क्योंकि उस पर EMI का भी दबाव है। इसके अलावा वह ट्रक के हटने तक बीमा का दावा भी नहीं कर पा रहा है।

मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि हादसे के इतने दिनों बाद भी कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाने से ट्रक मालिक और चालक दोनों ही मानसिक और आर्थिक संकट में हैं।

ट्रक टूटे हुए गंभीरा पुल पर लटका हुआ है। (फोटो साभार X/theskindoctor13)

दिव्य भास्कर की रिपोर्ट में ट्रक मालिक रमाशंकर पाल ने अपनी परेशानी बताते हुए कहा, “आणंद के सरकारी अधिकारी वडोदरा पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं और वडोदरा के अधिकारी आणंद पर। रिपोर्ट के अनुसार,अधिकारियों ने बताया कि ट्रक को हटाने के लिए सेना से हेलीकॉप्टर की मदद भी माँगी गई थी, लेकिन अब तक कोई हल नहीं निकला है और ट्रक वहीं फँसा हुआ है।”

उन्होंने आगे बताया, “ट्रक पर भारी कर्ज है और हर महीने मुझे ₹1 लाख की किश्त चुकानी पड़ती है। ट्रक चलेगा तभी मैं यह किश्त भर सकूँगा। प्रशासन ने मुझे ट्रक हटवाने का भरोसा दिलाया था, लेकिन इतने दिनों बाद भी मुझे ट्रक वापस नहीं मिला।”

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रमाशंकर पाल की इस बात से साफ पता लगता है कि प्रशासनिक लापरवाही और जिम्मेदारी से भागते अधिकारियों की वजह से आम आदमी को कितना भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।

दिव्य भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, गंभीरा पुल पर हादसे के 10 दिन बाद भी ट्रक वहीं लटका हुआ है। इस रिपोर्ट का शीर्षक है, ‘पहले ट्रक लटका रहा, अब अधिकारी उसे ‘लटका’ रहे हैं।’ रिपोर्ट बताती है कि ड्राइवर ट्रक हटवाने के लिए इधर-उधर भटक रहा है और कह रहा है कि हर महीने उसे लाखों रुपए की किश्त चुकानी पड़ती है।

वहीं, गुजराती टीवी चैनल GSTV ने लिखा कि “सरकार ने हाथ खड़े कर दिए हैं।” चैनल की रिपोर्ट में दावा किया गया कि ट्रक मालिक की स्थिति बेहद मुश्किल है और कोई अधिकारी उसकी बात सुनने को तैयार नहीं है।

GSTV के अनुसार, ट्रक मालिक पिछले दस दिनों से आणंद और वडोदरा के सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहा है, लेकिन अब तक उसे कोई साफ जवाब नहीं मिला है। ट्रक मालिक ने चैनल को बताया, “हमें हर हाल में ट्रक की किश्तें चुकानी हैं। बैंक का कहना है कि भुगतान करना होगा, जबकि बीमा कंपनी कह रही है कि ट्रक सुरक्षित है, इसलिए कोई बीमा क्लेम नहीं मिलेगा।”

इन रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि प्रशासनिक लापरवाही और प्रणाली की खामियों के कारण ट्रक मालिक आर्थिक संकट में फँसा हुआ है और अब तक उसे किसी भी तरफ से राहत नहीं मिली है।

ऑपइंडिया ने की जिला कलेक्टर से की बात

ऑपइंडिया ने इस मामले में आणंद जिला कलेक्टर प्रवीण चौधरी से बात की। उन्होंने ऑपइंडिया को बताया कि आनंद और वडोदरा जिले के बीच कोई सीमाई विवाद नहीं है। उन्होंने बताया कि मामला प्रशासन के कारण लंबित नहीं हुआ बल्कि तकनीकी कारण समस्या को लम्बा खींच रहे हैं।

उन्होंने बताया कि पुल के टूटने के बाद क्रेन जैसी भारी मशीनरी को ट्रक निकालने के लिए ले जाना असंभव है। क्योंकि पुल पहले ही जर्जर हो चुका है। उन्होंने बताया कि कई दिन तक प्रयास किया गया। अब राहत बचाव ऑपरेशन पूरा होने के बाद ट्रक निकालने की योजना बनाई जा रही है।

कलेक्टर चौधरी ने बताया कि अब जब बचाव कार्य लगभग पूरा हो गया है तो PWD, एक निजी कंपनी और हाई‑स्पीड रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड के विशेषज्ञ मिलकर ट्रक हटाने की योजना बना रहे हैं। कलेक्टर के अनुसार, यह भी विचार किया जा रहा है कि ट्रक को पीछे से खींचा जाए या नीचे से सहारा देकर उठाया जाए।

उन्होंने बताया कि जो भी व्यवस्था की जाए लेकिन सबसे पहले यह सुनिश्चित किया जाएगा कि इससे किसी की जान को कोई खतरा न हो। कलेक्टर ने यह भी बताया कि प्रशासन ने ट्रक मालिक की मदद के लिए बीमा कंपनी और बैंक के साथ बातचीत की है।

उन्होंने बताया कि बीमा क्लेम की प्रक्रिया के लिए जरूरी कागज दे दिए गए हैं तथा बैंक से भी कहा गया है कि वह 2-3 महीने की किश्त में रियायत बरतें। उनकी बातों से स्पष्ट होता है कि प्रशासन ट्रक मालिक की सहायता कर रहा है।

बचाव अभियान के चलते नहीं पहले हटा ट्रक

NDRF और जिला प्रशासन के अनुसार, दुर्घटना के बाद बहुत दिनो तक चले बचाव अभियान के दौरान टैंकर और ट्रक की स्थिति का पता न चल पाने के कारण पानी के नीचे सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया, इसके लिए मुंबई से सोनार मशीन मंगवाई गई।

NDRF ने बचाव कार्यों के दौरान जिला प्रशासन से अनुरोध किया कि फंसे हुए ट्रक को बांधकर सुरक्षित जगह पर रखा जाए, ताकि पुल के नीचे चल रही खोज और बचाव प्रक्रिया में कोई बाधा न आए। बाद में, NDRF की टीम और तकनीकी सलाह पर, प्रशासन ने ट्रक को क्रेन से पीछे की ओर बाँध दिया, जिससे पुल के नीचे काम सुरक्षित रूप से जारी रह सके।

जब सेना को ट्रक हटाने के लिए बुलाया गया, तो उन्होंने कहा कि ट्रक को धकेलने या खींचने के लिए लोगों की जरूरत होगी और यह तकनीकी रूप से लोगों के जीवन के लिए खतरा भरा होगा। वर्तमान में तेजी से ट्रक हटाने की रणनीति पर काम चल रहा है।

बीमा-EMI पर भी कलेक्टर ने बताया सच

आणंद के जिला कलेक्टर ने बताया कि ट्रक मालिक खुद उनके कार्यालय आया था और जहाँ उन्होंने और अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट ने उसे पूरी स्थिति समझाई थी। उन्होंने बताया कि मालिक ट्रक को नष्ट करने के लिए तैयार हो गया है, लेकिन यह काम इस तरह से किया जाएगा कि किसी की जान को कोई खतरा न हो।

उनके अनुसार, इसके लिए एक सुरक्षित योजना पर काम चल रहा है। बीमा के मामले में कलेक्टर ने बताया कि उन्होंने बीमा कंपनी से मुलाकात की है। कंपनी ने कहा है कि यदि सरकार घटना का लिखित प्रमाण दे, तो वे बीमा क्लेम को मंजूरी दे देंगे। कलेक्टर के कार्यालय ने यह प्रमाण देने का आश्वासन दिया है और अब यह प्रक्रिया जल्द पूरी कर ली जाएगी।

EMI से जुड़ी स्थिति पर जिला कलेक्टर ने स्पष्ट किया कि यह बैंक और ट्रक मालिक के बीच का मामला है, इसलिए प्रशासन इसमें सीधे हस्तक्षेप नहीं कर सकता। फिर भी, उन्होंने बैंक को पत्र लिखकर मानवीय आधार पर दो-तीन महीनों के लिए किश्त स्थगित करने का अनुरोध किया है।

इसके साथ ही, राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति को भी एक ज्ञापन भेजा जाएगा, ताकि ट्रक मालिक को राहत मिल सके। कलेक्टर ने यह भी स्पष्ट किया कि यह घटना आणंद-वडोदरा की सीमा पर नहीं बल्कि पूरी तरह वडोदरा जिले के क्षेत्र में हुई है।

Source link

Search

Categories

Recent Posts

Tags

Gallery