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सिर्फ रजिस्ट्री से नहीं बन जाते प्रॉपर्टी के मालिक, सुप्रीम कोर्ट ने दिया फैसला: कहा- अदालत की मान्यता और बाकी भी जरूरी


संपत्ति पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने मालिकाना हक को लेकर बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट का कहना है कि आप सिर्फ इसलिए संपत्ति के मालिक नही हो सकते हैं, क्योंकि आपने उसे पंजीकृत करा लिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि सिर्फ़ संपत्ति का पंजीकरण ही स्वामित्व की पुष्टि नहीं करता। कानूनी दस्तावेज़ और अदालती मान्यता ही वास्तविक स्वामित्व अधिकार साबित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

भारत में प्रॉपर्टी के बारे में लोगों की सोच बदलने वाले एक बड़े फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर कहा है कि किसी प्रॉपर्टी को रजिस्टर करवाने का मतलब यह नहीं है कि आप कानूनी तौर पर उसके मालिक हैं।

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?

भारत में प्रोपर्टी पर मालिकाना हक के लिए केवल रजिस्ट्री ही जरूरी नहीं है, बल्कि कई दूसरे दस्तावेजों की आवश्यकता है। कोर्ट ने कहा है कि संपत्ति का रजिस्ट्रेशन केवल व्यक्ति के दावे का समर्थन कर सकता है। लेकिन, ये संपत्ति के कानूनी कब्जे के लिए पर्याप्त नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की पूरे देश में चर्चा शुरू हो गई है। उम्मीद की जा रही है कि इससे प्रॉपर्टी खरीदने वालों, कानूनी पेशेवरों और रियल एस्टेट डेवलपर्स पर बड़ा असर पड़ेगा।

मामले की सुनवाई जस्टिस अभय एस. ओका की बेंच ने की। फैसले में साफ कहा गया है, “केवल पंजीकरण से पूर्ण स्वामित्व अधिकार स्थापित नहीं होता।” अदालत ने यह भी कहा कि यह साबित करने के लिए कि आप संपत्ति के मालिक हैं, आपके पास उचित और पूरे दस्तावेज होने चाहिए।

फैसले में कोर्ट ने कहा, “स्वामित्व को निर्णायक रूप से साबित करने के लिए विस्तृत दस्तावेजों की आवश्यकता होती है।”

आम तौर पर माना जाता है कि अगर आपने अपने नाम पर कोई संपत्ति रजिस्ट्री करवाई है, तो आप कानूनी तौर पर उसके मालिक बन गए।

लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यह सच नहीं है। कोर्ट ने कहा कि पंजीकरण प्रक्रिया का सिर्फ एक चरण है और मालिकाना हक इससे नहीं मिलता। इसका मतलब है संपत्ति का उपयोग, नियंत्रण और बिक्री करने का पूरा कानूनी अधिकार मिलने के लिए दूसरे दस्तावेज जरूरी हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब संपत्ति विवादों की बात आती है, तो अदालतें अभी भी सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इसलिए भले ही किसी ने संपत्ति पंजीकृत कर ली हो, लेकिन असली मालिक कौन है? इस बारे में अंतिम निर्णय इस बात पर निर्भर करेगा कि अदालत सभी दस्तावेजों और साक्ष्यों को देखने के बाद क्या निर्णय लेती है।

यह निर्णय उन लोगों के लिए खास महत्वपूर्ण है जिन्होने संपत्ति खरीदी है या जिन्हें विरासत या किसी अन्य तरीके से मिली है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का असर

इस फैसले से रियल एस्टेट सेक्टर और कानूनी पेशे में भी बड़े बदलाव आएँगे। बिल्डरों, खरीदारों और वकीलों को अब संपत्ति खरीदते या बेचते समय स्पष्ट कानूनी नियमों का पालन करना होगा। फैसले के बाद अब कानूनी स्वामित्व सिर्फ संपत्ति का पंजीकरण करवाने से ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है, इसलिए इससे संपत्ति की कीमतों और संपत्ति की खरीद-बिक्री पर भी असर पड़ सकता है।

न्यायालय ने स्पष्ट किया कि संपत्ति के स्वामित्व के लिए उचित दस्तावेजों और संपत्ति पर वास्तविक नियंत्रण दोनों की जरूरी है। यदि किसी और के पास कब्जा है या किसी तरह का विवाद हैं, तो स्वामित्व पर सवाल उठा सकता है, भले ही पंजीकरण के कागजात पूरे हों।

यह निर्णय उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो जमीन या फ्लैट खरीदने, बेचने या विरासत में लेने की योजना बना रहे हैं। यह संपत्ति खरीदने से पहले उचित कानूनी जाँच और पूर्ण कागजी कार्रवाई की आवश्यकता को दर्शाता है।

खरीदारों के लिए यह फैसला एक चेतावनी है। यह उन्हें घर या जमीन खरीदने से पहले उचित पृष्ठभूमि की जाँच करने के लिए कहता है। सिर्फ इसलिए कि संपत्ति पंजीकृत है, इसका मतलब यह नहीं है कि कोई समस्या नहीं है।

खरीदारों को चाहिए कि संपत्ति का कब्जा किसके पास है ये पुष्टि कर लें। साथ ही सुनिश्चित करें कि कोई कानूनी मामला या विवाद नहीं है। ये भी जाँच कर लें कि मालिक के पास वैध दस्तावेज मौजूद हैं।

मालिकाना हक के लिए जरूरी है ये दस्तावेज

बिक्री आलेख या सेल डीड– संपत्ति ट्रांसफर करने के लिए सेल डीड जरूरी होता है। पहली बार किसी भी संपत्ति को खरीदने के लिए भी ये जरूरी है।

मदर डीड– संपत्ति के लेन-देने के लिए मदर डीड जरूरी कानूनी दस्तावेज है।ये मालिकाना हक के इतिहास को दर्शाता है।

बिक्री और खरीद समझौता– किसी भी प्रॉपर्टी की खरीद के लिए बिक्री और खरीद समझौता सबसे जरूरी दस्तावेजों में शामिल है। इसमें खरीदने-बेचने वालों की पूरी जानकारी होती है।

भवन स्वीकृति योजना– किसी भी संपत्ति पर घर बनाने से पहले नगर निगम या अथॉरिटी से इसकी मंजूरी जरूरी है। ये दस्तावेज बेहद जरूरी है।

कब्जा पत्र – ये कानूनी दस्तावेज साबित करता है कि जिसके नाम पर ये पत्र है उसका संपत्ति पर कब्जा होगा। ये संपत्ति ट्रांसफर करने का भी प्रमाण है।

कंप्लीशन सर्टिफिकेट– ये एक ऐसा दस्तावेज है जो साबित करता है कि बिल्डिंग का निर्माण स्थानीय नियमों के मुताबिक किया गया है और स्थानीय निकाय द्वारा पास कर दिया गया है।

खाता प्रमाणपत्र– ये एक रेवेन्यू सर्टिफिकेट है जिसमें प्रॉपर्टी की डिटेल्स होती है। इसमें प्रॉपर्टी का आकार,स्थान और क्षेत्रफल शामिल होता है। ये दस्तावेज प्रॉपर्टी टैक्स का भुगतान करने के लिए जरूरी है।

अलॉटमेंट लेटर– ये एक कानूनी दस्तावेज है जो डेवलपर या सेलर की तरफ से जारी किया जाता है। निर्माणाधीन मकान के लिए ये जरूरी दस्तावेज है।

भार प्रमाण पत्र– संपत्ति पर कोई देनदारी है या नहीं इससे पता चलता है। साथ ही कानूनी विवादों से संपत्ति मुक्त है।

नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट– संपत्ति पर लोन चुका दिया गया है या नहीं। संपत्ति पर कोई देनदारी तो नहीं है। इसका पता चलता है।

पहचान और पते का प्रमाण– अगर कोई संपत्ति खरीदते हैं तो ये सुनिश्चित किया जाना जरूरी है कि उस पते का इस्तेमाल आपकी आईडी यानी आधार कार्ड,पैन कार्ड, पासपोर्ट के लिए हो। एड्रेस प्रूव भी इससे हो सके।

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