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सर क्रीक में सैन्य गतिविधि बढ़ने पर भारत ने पाकिस्तान को चेताया

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को सरक्रीक को लेकर चेताया है। पाकिस्तान ने यहाँ सैन्य गतिविधियाँ बढ़ा दी हैं और बुनियादी ढाँचे का निर्माण कर रहा है। सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण यह क्षेत्र पश्चिमी समुद्री सीमा पर है। भारत के कच्छ और पाकिस्तान के सिंध से लगी 96 किलोमीटर की इस खाड़ी में भारत ने अपने क्षेत्र में नौसेना की तैनाती की है। साथ ही तटरक्षक बल इसकी चौकसी करते हैं।

इतिहास-भूगोल दोनों बदल देंगे- राजनाथ सिंह

राजनाथ सिंह ने कहा, “भारत की सेना और बीएसएफ पूरी तरह चौकस हैं। पाकिस्तान को याद रहे, कराची तक जाने का एक रास्ता इसी क्रीक से गुजरता है। सर क्रीक में कोई भी दुस्साहस किया गया, तो भारत का जवाब ऐसा होगा कि इतिहास और भूगोल दोनों बदल जाएगा।”

उन्होंने कहा, “सरक्रीक को लेकर भारत ने कई बार बातचीत के रास्ते से समाधान निकालने की कोशिश की, लेकिन पाकिस्तान के मन में खोट है। 1965 के युद्ध में, भारतीय सेना ने लाहौर तक पहुँचने की क्षमता का प्रदर्शन किया था। रक्षा मंत्री ने कहा कि आज 2025 में, पाकिस्तान को याद रखना चाहिए कि कराची जाने का एक रास्ता सर क्रीक से होकर गुजरता है।”

रक्षा मंत्री ने ये भी खुलासा किया कि ऑपरेशन सिंदूर के वक्त पाकिस्तान ने सरक्रीक से लेकर लेह तक भारत की रक्षा प्रणाली को ध्वस्त करने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहा। भारतीय जवानों के जवाबी कार्रवाई के बाद पाकिस्तान की वायु रक्षा प्रणाली पूरी तरह तहस-नहस हो गई।

दशहरा के मौके पर (2 अक्टूबर 2025) गुजरात के भुज में सैनिकों के बीच ‘शस्त्र पूजा’ के मौके पर राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को सर क्रीक को लेकर चेतावनी दी है।

क्या है सर क्रीक खाड़ी विवाद

भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा को निर्धारित करने वाला ये इलाका शुरुआत से ही विवादों में रहा है। गुजरात के कच्छ और सिंध प्रांत के बीच 96 किलोमीटर का ये दलदली खाड़ी इलाका है, जो अरब सागर से मिलता है। पानी का स्तर यहाँ अरब सागर में उठने वाली ऊँची-ऊँची लहरों की वजह से बदलता रहता है।

सर क्रीक खाड़ी में हाइड्रोकार्बन और प्राकृतिक गैस के भंडार हैं और मछली पकड़ने से लेकर समुद्री व्यापार तक में इसका अहम रोल है। पाकिस्तान पर समुद्र से निगरानी रखने का ये अहम केन्द्र भी है। पाकिस्तान के कराची पोर्ट तक पहुँचने का यह एक समुद्री मार्ग है। सीमा तय करना भी यहाँ मुश्किल रहा है, इसलिए शुरू से विवाद रहा।

सर क्रीक खाड़ी विवाद को सुलझाने के लिए कई प्रयास किए गए। 1965 के युद्ध के बाद, तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री हेरोल्ड विल्सन ने मामले में हस्तक्षेप किया। भारत- पाकिस्तान के बीच न्यायाधिकरण की स्थापना करवाई, ताकि विवाद का स्थाई समाधान किया जा सके। 1968 में इसने कहा कि पाकिस्तान को उसके दावे का 10 फीसदी हिस्सा दे दिया जाए, लेकिन पाकिस्तान नहीं माना।

1997 में दोनों देशों के बीच कई मुद्दों के साथ सर क्रीक पर भी बात हुई। 2005-07 के बीच दोनों देशों ने मिलकर सर्वेक्षण भी किया, लेकिन हल नहीं निकला। इस इलाके में कई मछुआरों को पाकिस्तान इसलिए पकड़ लेता है, क्योंकि गलत से वह उनकी सीमा की ओर चले जाते हैं।

भारत का कहना है कि इस खाड़ी के बीच से बॉर्डर होनी चाहिए, जबकि पाकिस्तान अधिक क्षेत्र की माँग करता रहा है। भारत इस विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से बातचीत से हल करना चाहता है। लेकिन पाकिस्तान अक्सर उकसावे की कार्रवाई करता है। ताजा मामला भी उसके सैन्य गतिविधियों के बढ़ने और तटीय क्षेत्र में बुनियादी ढाँचे के निर्माण की वजह से पैदा हुआ है।

सर क्रीक विवाद की शुरुआत

सर क्रीक के विवाद की जड़ 1914 में मुंबई प्रेसिडेंसी और सिंध के बीच समझौते से माना जाता है। उस वक्त सर क्रीक को सीमा माना गया था।
भारत-पाकिस्तान बँटवारे के समय कच्छ भारत का क्षेत्र बना जबकि सिंध पर पाकिस्तान का अधिकार हो गया। लेकिन पाकिस्तान शुरू से ही सर क्रीक के पूरे क्षेत्र पर अपना हक जताता है।

भारत 1925 के उस नक्शे को भी आधार मानता है, जिसमें इस इलाके के बीच में सीमा रेखा बनाई गई थी। साथ ही एक साल पहले यानी 1924 में खाड़ी के बीच में स्तंभ बनाए गए थे।

भारत अंतर्राष्ट्रीय कानून के ‘थलवेग सिद्धांत’ के अनुरूप सीमा निर्धारण की बात भी कहता है। इसके मुताबिक समुद्री सीमा नौकाओं के आवागमन चैनल से मुताबिक तय होगी। लेकिन पाकिस्तान इसे खारिज करता है। उसका कहना है कि ये नियम नौका जलमार्ग चैनल के लिए लागू होती है। सर क्रीक के लिए इसे लागू नहीं किया जा सकता। जबकि भारत कहता है कि जब समुद्री में ऊँची ज्वार-भाटा उठता है तो इस क्षेत्र में नौकाएँ आसानी से पहुँचती हैं।



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