सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (21 pgneR 2025) को पीलीभीत में समाजवादी पार्टी के कार्यालय की जगह को सिर्फ 115 रुपए में हथियाने को लेकर धोखाधड़ी की बात कही है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे राजनीतिक शक्ति का दुरुपयोग बताते हुए समाजवादी पार्टी को कड़ी फटकार लगाई।
पीलीभीत नगरपालिका परिषद ने अपने परिसर से सपा कार्यालय के बेदखली आदेश पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट पीलीभीत नगर पालिका परिषद के बेदखली के आदेश पर सुनवाई कर रही थी। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जयमाल्य बागची की पीठ इस मामले पर सुनवाई कर रही थी। समाजवादी पार्टी की ओर से इस मामले पर सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ दवे ने अपना पक्ष रखा था।
दवे ने अपनी दलील में कहा था कि कार्यालय का किराया चुकाने के बाद भी नगरपालिका उसे बेदखल करना चाहती है। बेदखली के आदेश को रोकने के लिए याचिका भी डाली गई थी।
पीठ ने वकील से पूछा, “आपने परिसर कैसे लिया था?” इस पर वकील दवे की ओर से नगरपालिका की ओर से ‘आवंटित’ किए जाने की बात कही गई। इस पर पीठ ने कहा, “क्या आपने कभी नगरपालिका क्षेत्र में 115 रुपए पर कार्यालय की जगह के बारे में सुना है? यह सत्ता के दुरुपयोग को साफ तौर पर दिखलाता है।”
इसके बाद दवे ने दलील दी कि नगरपालिका अधिकारी इस तरह से हमारे परिसर पर ताला नहीं लगा सकते। उनकी दलीलों पर सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा, “आप एक राजनीतिक पार्टी हैं। एक जगह पर कब्जा करने के लिए अपने पद और राजनीतिक शक्ति का दुरुपयोग किया। उस दौरान आपको प्रक्रिया नहीं याद रही। जब कार्रवाई होती है तो आपको सब कुछ याद आने लगता है।”
इसके बाद पार्टी के वकील ने 6 हफ्ते के लिए बेदखली रोकने की माँग कर डाली। इस पर पीठ ने कहा,” ये फर्जी आवंटन नहीं बल्कि फर्जी कब्जा है। आप एक धोखाधड़ी वाले कब्जे हैं।” इसके साथ ही कोर्ट ने सपा को सिविल कोर्ट जाने की हिदायत दी।
क्या है मामला
समाजवादी पार्टी में पीलीभीत नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी कार्यालय की परिसर में 2005 में अपना कार्यालय बनाया था। उत्तर प्रदेश में सपा सरकार के दौरान उसे समय के अधिकारियों ने पार्टी को इस जगह को अस्थाई रूप से आमंत्रित भी कर दिया था। इसके बाद सपा नेताओं ने वहाँ पर जिला कार्यालय खोलकर निर्माण कर लिया।
इसके बाद 2018 से ही नगरपालिका इस जगह पर कब्जा हटवाने का प्रयास कर रही है। इसके खिलाफ सपा नेता स्थानीय कोर्ट और हाई कोर्ट तक जा चुके हैं। हाई कोर्ट ने 18 जून 2025 को नगर पालिका के पक्ष में अपना आदेश दिया। इसके बावजूद समाजवादी पार्टी ने अपना कब्जा नहीं हटाया।
इस साल कोर्ट की ओर से 10 जून 2025 को पार्टी को 17 जून तक कब्जा हटाने की नोटिस जारी की गई। 18 जून को जिला मजिस्ट्रेट विजय वर्धन तोमर कब्जा हटाने की कार्रवाई के लिए पहुँचे तो सपा नेताओं ने इसका विरोध कर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सुनवाई करते हुए अपनी टिप्पणी दी है।