मस्जिद में समाजवादी पार्टी की बैठक

दिल्ली के पार्लियामेंट स्ट्रीट में मौजूद एक मस्जिद में समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने बैठक की। इसके बाद अखिलेश यादव की आलोचना हो रही है। उन पर राजनीतिक फायदे के लिए मस्जिद के इस्तेमाल के आरोप लग रहे हैं।

बीजेपी नेता और उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा है कि समाजवादी पार्टी हमेशा संविधान का उल्लंघन करती है। हमारा संविधान किसी धार्मिक स्थल का राजनीतिक इस्तेमाल की इजाजत नहीं देता है। उन्होंने कहा, “अखिलेश यादव राजनीतिक मकसद साधने के लिए एक मस्जिद का इस्तेमाल किया है। वह एक समाजवादी नहीं बल्कि नमाजवादी हैं। ” उन्होंने कहा कि वह हमेशा नमाजवादी बने रहना चाहते हैं।

मस्जिद को राजनीतिक मंच बनाए जाने पर बीजेपी का कहना है कि इससे अल्पसंख्यकों की भावना भी आहत हुई हैं साथ ही सियासी मर्यादाएँ टूटी हैं। बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने कहा कि एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव और सांसद डिंपल यादव ने मस्जिद को राजनीतिक गतिविधि के लिए इस्तेमाल कर मुस्लिम समाज की भावनाओं से खिलवाड़ किया है।

उन्होंने डिंपल यादव के बैठने के तरीके की भी आलोचना की और इसे परंपरा के खिलाफ बताया। साथ ही मस्जिद के इमाम मोहिबुल्लाह नदवी को समाजवादी पार्टी कार्यकर्ता करार दिया। जमाल सिद्दीकी ने अखिलेश यादव और डिंपल यादव पर बैठक को लेकर एफआईआर दर्ज करने की बात कही। उन्होंने एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी के अब तक चुप रहने पर भी सवाल खड़े किए।

उन्होंने कहा कि संसद मार्ग स्थित उसी मस्जिद में नमाज के बाद 25 जुलाई को बैठक करेंगे, जिसकी शुरुआत राष्ट्रीय गीत से समापन राष्ट्रीय गान से होगी। जमाल सिद्दीकी ने सोशल मीडिया पर अखिलेश यादव की बैठक का फोटो शेयर करते हुए ये बातें कही हैं।

दरअसल 22 जुलाई को अखिलेश यादव ने मस्जिद में समाजवादी पार्टी की बैठक बुलाई थी। राजनीति को धर्म को जोड़ने का जवाब तो अखिलेश यादव नहीं दे रहे हैं, बल्कि उल्टे बीजेपी पर ही धर्म को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने का आरोप लगा रहे हैं।

बीजेपी पर आरोप लगाकर अखिलेश यादव अपने मुस्लिमपरस्त राजनीति को सही साबित करने की कोशिश करते रहे हैं।



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