पहलगाम हमला करने वाले इस्लामी आतंकी हाल ही में ‘ऑपरेशन महादेव’ में मार दिए गए थे। सेना ने इन्हें जम्मू एवं कश्मीर में एक एनकाउंटर में मार गिराया था। यह तीनों आतंकी पाकिस्तान से आए थे। इनकी पाकिस्तानी पहचान भी स्थापित हो गई है। आतंकियों के पास से मिली वोटर ID, चिप और बाक़ी सामान से भी नई जानकारियाँ निकली हैं। हालाँकि, कॉन्ग्रेस नेता रोज नए सबूत आने के बाद भी सच्चाई स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। वह रोज एक नए बहाने से पाकिस्तान को क्लीन चिट थमा रहे हैं।
आतंकियों की लाश से मिले ID कार्ड
ऑपरेशन महादेव में सुलेमान, जिब्रान और अबू हमजा अफगानी मारे गए थे। इन्हीं तीनों ने पहलगाम में हिन्दुओं को चुन-चुन कर मारा था। हालाँकि, जब श्रीनगर के दाचीगाम में सुरक्षाबलों ने इन्हें मार गिराया तो इनकी तलाशी ली गई। अब इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि इस तलाशी में 2 आतंकियों के पास से पाकिस्तान में जारी किए गए 2 लैमिनेटेड वोटर ID कार्ड मिले हैं। यह वोटर ID कार्ड पाकिस्तान चुनाव आयोग द्वारा जारी किए गए थे। यह वोटर ID कार्ड अबू हमजा अफगानी और सुलेमान के थे।
सुरक्षा एजेंसियों ने उनके वोटर ID कार्ड के सहारे पाकिस्तान की वोटर लिस्ट में उनका नाम भी सत्यापित कर लिया है। दोनों आतंकी पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के रहने वाले थे। इनमें से एक लाहौर की रावलपिंडी तहसील का रहने वाला है तो वहीं दूसरा आतंकी पंजाब के ही गुजरांवाला का रहने वाला है। इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में भी स्पष्ट किया था कि सरकार के पास इन तीनों आतंकियों के पाकिस्तानी होने के पूरे सबूत हैं, जिनमें वोटर ID नम्बर तक शामिल हैं।
चिप-चॉकलेट ने पूरा चिट्ठा सामने रखा
ID कार्ड ने जहाँ स्पष्ट कर दिया कि यह आंतकी पाकिस्तानी थे तो वहीं इनके पास से मिली एक चिप ने इन आतंकियों का पूरा कच्चा-चिट्ठा ही सामने रख दिया। रिपोर्ट में बताया गया कि यह चिप आतंकियों के पास से मिले डैमेज सैटेलाइटली फोन से बरामद हुई थी। इस चिप में इन तीनों आतंकियों के NADRA रिकॉर्ड थे। NADRA पाकिस्तान में वही काम करता है, जो भारत में UIDAI करती है। इस तरह इन आतंकियों के फिंगरप्रिंट, चेहरे की जानकारियाँ और यहाँ तक कि पते भी थे।
इसके अलावा इन आतंकियों के पास से पाकिस्तान में बने खाने-पीने के सामान भी मिले हैं। इसमें कराची में बनाई जाने वाली चोकोमैक्स और कैंडीलैंड टॉफ़ी भी शामिल हैं। इन सब सबूतों से स्पष्ट हुआ है कि यह तीनों आतंकी पाकिस्तानी थे और इन्हें भारत में हमले करने के लिए घुसाया गया था। पता चला है कि यह आतंकी मई, 2022 में भारत में गुरेज इलाके से घुसे थे। इसके बाद इन्होंने हमले चालू किए। सुरक्षा एजेंसियों ने इनका रेडियो कम्यूनिकेशन भी पकड़ लिया था।
कॉन्ग्रेस अब भी नहीं मानने को तैयार
वोटर ID कार्ड, NADRA डिटेल्स और यहाँ तक कि पाकिस्तान में बने सामान के साथ इन आतंकियों की पहचान स्थापित हो जाने के बावजूद भी कॉन्ग्रेस के नेता मानने को तैयार नहीं हैं। कॉन्ग्रेस नेता लगातार पाकिस्तान को क्लीन चिट दे रहे हैं कि आतंकियों के पाकिस्तानी होने का कोई सबूत नहीं है। उन्होंने वामपंथी मीडिया पोर्टल द क्विंट को दिए एक इंटरव्यू में जाँच पर प्रश्न उठाए थे और आतंकियों के पाकिस्तानी होने के दावों को मानने से इनकार किया था।
चिदंबरम ने कहा था, “वे (NIA) यह बताने को तैयार नहीं है कि इन हफ्तों में उन्होंने क्या किया? क्या NIA ने आतंकियों की पहचान की है या पता लगाया है कि वे कहाँ से आए थे? आपने कैसे मान लिया कि आतंकी पाकिस्तान से थे।” चिदंबरम के इस बयान का खंडन गृह मंत्री शाह ने संसद में कर दिया था। हालाँकि, इसके बाद भी कॉन्ग्रेस नेता नहीं माने। उन्होंने आतंकियों की पहचान को लेकर प्रश्न उठाने जारी रखे।
कॉन्ग्रेस के नेता यह सब तब कर रहे हैं जब पूरी तरह से स्थापित हो गया है कि आतंकी पाकिस्तानी ही थे और वहीं से घुसपैठ करके जम्मू एवं कश्मीर आए थे। हालाँकि, यह कोई पहली बार नहीं है जब कॉन्ग्रेस ने सेना के शौर्य पर सवाल उठाए हों। कॉन्ग्रेस का यही रवैया इससे पहले 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 की बालाकोट स्ट्राइक पर रहा था। तब भी सेना से सबूत माँगे जा रहे थे। कहीं उनकी कार्रवाई को झुठलाया जा रहा था।
कॉन्ग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान सेना से सर्जिकल स्ट्राइक सबूत माँगे थे। उन्होंने कहा था कि सरकार सर्जिकल स्ट्राइक की बात करती है। वे दावा करते हैं कि हमने इतने लोग मार गिराए लेकिन सबूत नहीं दिए। केवल झूठ के पुलिंदे से ये राज कर रहे हैं। दिग्विजय सिंह के अलावा मध्य प्रदेश से ही आने वाले कॉन्ग्रेस नेता कमलनाथ ने भी सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत माँगे थे।
उन्होंने कहा था, “देश की जनता जानना चाहती है कि सर्जिकल स्ट्राइक कब हुआ? कहाँ हुआ? इसका क्या परिणाम हुआ? सिर्फ मुँह से कह देने भर से काम नहीं चलेगा।” यह बयान उन्होंने तब दिया था जब वह स्वयं संवैधानिक पद पर थे। उन्होंने यह बयान मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री रहते हुए दिया था। बालाकोट स्ट्राइक पर भी कॉन्ग्रेस ने हवा हवाई प्रश्न उठाए हैं। कॉन्ग्रेस सांसद इमरान मसूद ने हाल ही में बालाकोट स्ट्राइक को लेकर विवादित बयान दिया था।
इमरान मसूद ने दावा किया था कि पाकिस्तान हमारे हमलों का मजाक उड़ाता है। मसूद ने सर्जिकल स्ट्राइक पर उंगली उठाते हुए कहा कि पाकिस्तानियों का कहना है कि हिंदुस्तानियों ने तीन कौवे मार दिए हमारे। उनका यह बयान सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था। इसके अलावा कॉन्ग्रेस नेता पहलगाम का बदला लेने को किए गए ऑपरेशन सिंदूर तक को नहीं बख्शते। उन्होंने इसे भी कठघरे में खड़ा करने का प्रयास किया है।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद कर्नाटक के एक कॉन्ग्रेस MLA ने प्रश्न उठाए थे। कॉन्ग्रेस के कर्नाटक विधायक कोथुर मंजूनाथ ने बयान में कहा, “ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक दिखावा था। कुछ हुआ ही नहीं। बस दिखावे के लिए तीन चार विमान ऊपर भेजे और वापस बुला लिए।” कॉन्ग्रेस नेता राशिद अल्वी और पृथ्वीराज चव्हान ने भी ऐसी ही बातें की थी। कॉन्ग्रेस सरकार में मंत्री रहे कपिल सिब्बल ने पहलगाम का बदला अंतरराष्ट्रीय न्यायालय जाकर लेने की बात कही थी।
कॉन्ग्रेस हमेशा ही ऐसे मामलों पर या तो सेना के विरुद्ध खड़ी दिखाई पड़ती है या फिर सरकार के विरुद्ध। सरकार के विरुद्ध वह राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे भी नहीं छोड़ती। पाकिस्तानी आतंकियों के मारे जाने पर चिदंबरम और मणिशंकर अय्यर के बयान वही बातें करते हैं जो पाकिस्तान हमेशा करता है। वह एक तरह से पाकिस्तान को क्लीन चिट देते हैं और भारत का पक्ष भी कमजोर करते हैं। राहुल गाँधी ने इसी बीच सेना की कार्रवाई को सवालों म खड़ा किया। हालाँकि, कॉन्ग्रेस अपनी राजनीति से बाज नहीं आती।
वह पाकिस्तान को बचाती है। कॉन्ग्रेस का दायरा पाकिस्तान को बचाने तक ही सीमित नहीं है। बाटला हाउस में मारे गए आतंकियों को लेकर सलमान खुर्शीद ने कहा था कि इस पर सोनिया गाँधी रोईं थी। यह कॉन्ग्रेस के तुष्टिकरण का सबसे बड़ा उदाहरण था। देश के भीतर और बाहर खड़े होने वाली सुरक्षा चिंताओं पर कॉन्ग्रेस के ऐसे रवैये ने उसकी भद्द भी पिटवाई है। हालाँकि, उसके नेता मानने को तैयार नहीं हैं।