लद्दाख हिंसा सोनम वांगचुक विदेशी फंडिंग

लद्दाख में अस्थिरता के बीच सोनम वांगचुक पर गंभीर आरोप, असली जनआंदोलन और राजनीतिक हेरफेर के बीच की रेखाएँ धुँधली होने का खतरा।

लद्दाख में जारी अशांति ने अब एक नया और चिंताजनक मोड़ ले लिया है। जिस समय यह क्षेत्र पहले से ही तनाव और हिंसक झड़पों के कारण अशांत है, उसी समय कुछ ऐसे आरोप सामने आए हैं, जो इसकी राजनीतिक और सामाजिक दिशा को बदल सकते हैं।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इनोवेटर और पर्यावरणविद् के रूप में पहचाने जाने वाले सोनम वांगचुक, जिन्हें लद्दाख के आंदोलनों का चेहरा माना जाता है, अब गंभीर वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों के केंद्र में हैं।

आंदोलन की आड़ में भावनाओं से खिलवाड़- बीजेपी

भाजपा के शीर्ष सूत्रों द्वारा लगाए गए ये आरोप महज गड़बड़ी का मामला नहीं हैं, बल्कि यह संकेत देते हैं कि वांगचुक ने आंदोलन की आड़ में जनता की भावनाओं को भड़काकर निजी और संगठनात्मक हित साधने का प्रयास किया। सबसे बड़ा और ताज़ा घटनाक्रम गृह मंत्रालय का वह निर्णय है, जिसमें उसने सोनम वांगचुक द्वारा स्थापित स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECMOL) की एफसीआरए (FCRA) रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया।

यह फैसला विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (Foreign Contribution Regulation Act), 2010 के तहत कई गंभीर उल्लंघनों के बाद लिया गया। यह कोई साधारण प्रशासनिक कदम नहीं है- इसका सीधा असर SECMOL की विदेशी चंदा प्राप्त करने की वैधता पर पड़ा है। इसके अलावा, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने भी जाँच शुरू कर दी है ताकि यह पता लगाया जा सके कि कहीं विदेशी चंदा का दुरुपयोग तो नहीं हुआ। जाँच से जो आँकड़े सामने आए हैं, वे चौंकाने वाले हैं।

संस्थाओं के फंडिंग में गड़बड़ी और नियम तोड़ना

सोनम वांगचुक की प्रमुख संस्था हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स लद्दाख (HIAL) के फंडिंग में अचानक से होने वाली बढ़ोतरी देखी गई। वित्तीय वर्ष 2023-24 में जहाँ यह राशि 6 करोड़ रुपए थी, वहीं अगले वर्ष यह बढ़कर 15 करोड़ रुपए से अधिक हो गई। पहली नजर में इसे जनता के बढ़ते समर्थन का नतीजा माना जा सकता है, लेकिन जाँच एजेंसियों का दावा है कि यह वित्तीय प्रवाह पूरी तरह पारदर्शी नहीं है।

HIAL से जुड़े सात बैंक खातों में से चार खाते कथित रूप से घोषित नहीं किए गए। और भी गंभीर बात यह है कि इस संस्था ने 1.5 करोड़ रुपए से अधिक विदेशी पैसा बिना FCRA रजिस्ट्रेशन के प्राप्त की, जो कि कानून की धारा 11 का सीधा उल्लंघन है।

9 बैंक खातों में से 6 की अधिकारियों को जानकारी नहीं

गड़बड़ी यहीं तक सीमित नहीं है। SECMOL के पास कुल नौ बैंक खाते बताए जा रहे हैं, जिनमें से छह खातों को अधिकारियों से छिपाया गया। इससे यह संदेह और गहरा हो गया है कि कहीं सुनियोजित तरीके से वित्तीय लेन-देन को छुपाने का प्रयास तो नहीं हुआ।

इसके साथ ही एक निजी कंपनी शेष्योन इनोवेशंस प्राइवेट लिमिटेड (SIPL) भी जाँच के दायरे में आई है, जिसमें सोनम वांगचुक निदेशक के रूप में कार्यरत हैं। आरोप है कि HIAL से इस निजी कंपनी में 6.5 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए गए। इससे हितों के टकराव (Conflict of Interest) और फंड के दुरुपयोग के सवाल खड़े हो गए हैं। इतना ही नहीं, इस कंपनी का शुद्ध लाभ (Net Profit) एक वर्ष में 6.13% से गिरकर सिर्फ 1.14% रह गया, जिससे संदेह और गहरा हो गया कि कहीं धनराशि को गलत तरीके से बाहर तो नहीं निकाला गया।
सबसे गंभीर आरोप सोनम वांगचुक की व्यक्तिगत वित्तीय स्थिति पर हैं।

सोनम वांगचुक ने ₹2.3 करोड़ विदेश भेजा

भाजपा सूत्रों का कहना है कि उनके पास कुल 9 व्यक्तिगत बैंक खाते हैं, जिनमें से 8 खातों का खुलासा नहीं किया गया। इन खातों में ज्यादा संख्या में विदेशी पैसा आने का दावा किया गया है। और भी चिंताजनक बात यह है कि 2021 से अब तक सोनम वांगचुक ने 2.3 करोड़ रुपए से अधिक की पैसा विदेश भेजी, जिनके प्राप्तकर्ताओं की पहचान ‘अज्ञात संस्थाओं’ के रूप में बताई जा रही है।

यह सीधे तौर पर मनी लॉन्ड्रिंग की आशंका पैदा करता है। विडंबना यह है कि सोनम वांगचुक अक्सर कॉरपोरेट जगत और सरकारों की आलोचना करते रहे हैं, लेकिन आरोप है कि उनकी संस्थाओं ने सरकारी उपक्रमों (PSUs) और निजी कंपनियों से बड़ी मात्रा में CSR (कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व) फंड प्राप्त किए हैं। यदि यह आरोप सही साबित होते हैं, तो यह उनके सार्वजनिक बयानों और निजी कार्यों के बीच भारी विरोधाभास को उजागर करेगा।

इन आरोपों के असर बहुत दूरगामी हो सकते हैं। अब तक लद्दाख के आंदोलन को एक जमीनी स्तर का संघर्ष माना जाता था, जो स्थानीय लोगों की स्वायत्तता (खुद निर्णय लेने वाले), पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक पहचान की माँगों पर आधारित था। लेकिन अगर ये वित्तीय अनियमितताएँ साबित हो जाती हैं, तो यह आंदोलन एक व्यक्ति के निजी लाभ और राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं का माध्यम बनकर रह जाएगा। इसका सीधा नुकसान लद्दाख के आम लोगों की वैध माँगों को होगा, जो कमजोर पड़ सकती हैं।

यह भी सच है कि आरोप और सच्चाई में फर्क होता है। सोनम वांगचुक का काम और योगदान, विशेषकर शिक्षा और सतत विकास के क्षेत्र में, अस्वीकार नहीं किया जा सकता। लेकिन जब कोई व्यक्ति सरकार और उद्योगों से पारदर्शिता की माँग करता है, तो उसे स्वयं भी उतनी ही पारदर्शिता दिखानी चाहिए। CBI की जाँच के परिणाम दो कहानियों में से एक को सामने लाएँगे या तो यह एक दूरदर्शी नेता के खिलाफ राजनीतिक साजिश का मामला होगा, या फिर एक आंदोलनकारी नेता के मुखौटे के पीछे छिपे वित्तीय घोटाले का पर्दाफाश होगा।​ लद्दाख और देश की जनता को अब सत्य की प्रतीक्षा है, क्योंकि यही सच न केवल सोनम वांगचुक की छवि बल्कि लद्दाख के भविष्य को भी निर्धारित करेगा।

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