Already over 6.6 crore out of the 7.89 crore electors in #Bihar included in the draft Electoral Roll
11 more days to go
Over 5.74 crore Forms uploaded on ECINet
Read in detail :https://t.co/5YphthkZsm#SIR pic.twitter.com/Aw7LUkN4Cc— Election Commission of India (@ECISVEEP) July 14, 2025
चुनाव आयोग ने कहा, “करीब 1 लाख बीएलओ जल्द ही घर-घर जाकर तीसरे राउंड का दौरा शुरू करेंगे। सभी राजनीतिक दलों के 1.5 लाख बूथ-स्तर के एजेंट हर दिन 50 मतदाता पहचान पत्र सत्यापित और जमा कर सकते हैं। बिहार के 261 शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) के सभी 5,683 वार्डों में विशेष शिविर भी लगाए जा रहे हैं ताकि कोई भी मतदाता वोटर लिस्ट में शामिल होने से वंचित न रह जाए”

किसके नाम कटे हैं?
अब तक की कवायद में ही करीब 35.50 लाख से ज्यादा मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटाए जा चुके हैं जिनमें मृतकों के नाम, डुप्लिकेट मतदाता या प्रवासियों के नाम शामिल हैं। इनमें 1.59 फीसदी मृत मतदाता, 2.2 फीसदी स्थायी रूप से राज्य से बाहर गए मतदाता, 0.73 फीसदी ऐसे मतदाता हैं जिन्होंने एक से अधिक जगहों पर अपना नाम वोटर लिस्ट में रखा हुआ है। ये पूरा आँकड़ा 4.52 फीसदी है जिसे संख्या के हिसाब से बात की जाए तो ये 35.69 लाख से ज्यादा हैं।
चुनाव आयोग को नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार जैसे देशों के कुछ विदेशी नागरिक भी मिले, जो मतदाता के रूप में पंजीकृत थे। जाँच के बाद उनके नाम मतदाता सूची से हटा दिए जाएँगे।
राज्य से बाहर रहने वाले मतदाता ऐसे भरें फॉर्म
जो मतदाता अस्थायी रूप से राज्य से बाहर हैं, उनसे या तो सीधे संपर्क किया जा रहा है या उन्हें अखबारों में विज्ञापन देकर जानकारी दी है ताकि वे अपने गणना फॉर्म भर सकें।
चुनाव आयोग ने कहा, “अस्थायी रूप से राज्य से बाहर रहने वाले मतदाता अपने मोबाइल फोन का उपयोग करके ECINet ऐप या https://voters.eci.gov.in पर ऑनलाइन गणना फॉर्म भर सकते हैं। अगर उनके परिवार का कोई सदस्य राज्य में मौजूद है तो व्हाट्सएप या किसी अन्य माध्यम से एप्लिकेशन फॉर्म लेकर ऑनलाइन BLO को भेज सकते हैं।”
चुनाव आयोग ने कहा है कि अगर कोई गलती सुधारना चाहता है या कोई अपडेट करना चाहता है तो ऑनलाइन कर सकता है।
विपक्ष पहुँचा सुप्रीम कोर्ट
बिहार में मतदाता सूची संशोधन का विपक्ष लगातार विरोध कर रहा है। इसको लेकर चुनाव आयोग भी विपक्ष के निशाने पर है। महुआ मोइत्रा, योगेंद्र यादव, मनोज झा और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) सहित कई विपक्षी नेताओं और संगठनों ने इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि चुनाव आयोग ने नागरिकों पर ही पहचान साबित करने का भार डाल दिया है। राज्य में प्रवासियों की संख्या और गरीबी को देखते हुए ये गलत है। चुनाव आयोग ने जिन दस्तावेजों की माँग की है इससे लाखों मतदाता वोटिंग प्रक्रिया से वंचित रह जाएँगे। उन्होंने मतदाता प्रमाण पत्र के रूप में आधार कार्ड को शामिल नहीं करने पर भी सवाल उठाए।
हालाँकि सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (10 जुलाई 2025) को एसआईआर पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने हालाँकि सुझाव दिया कि चुनाव आयोग आधार कार्ड, ईपीआईसी कार्ड और राशन कार्ड को भी पहचान पत्र के लिए शामिल करे। मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी।
सीमांचल राज्यों में मिले थे जनसंख्या से ज्यादा आधार कार्ड
बिहार के सीमांचल 4 जिलों कटिहार, पूर्णिया, किशनगंज और अररिया में आधार कार्ड की संख्या आबादी से अधिक मिली है। इन सीमांचल इलाकों में 100 लोगों पर 120-126 आधार कार्ड मिले हैं। इससे आधार कार्ड की विश्वसनीयता पर ही सवाल उठ गए हैं। ऐसे में आधार कार्ड को पहचान पत्र में शामिल नहीं करने के फैसले पर सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए।
बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने बताया है कि 2025 में जनवरी से मई तक हर महीने औसतन 26 हजार से लेकर 28 हजार आवेदन निवास प्रमाण पत्र के लिए किशनगंज में आ रहे थे। उन्होंने बताया कि जैसे ही चुनाव आयोग की यह प्रक्रिया चालू हुई यह संख्या तेजी से बढ़ गई।
उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने बताया कि जुलाई के 6 दिनों में ही निवास प्रमाण पत्र बनवाने के लिए 1.28 लाख से अधिक आवेदन किशनगंज में आ गए। उन्होंने कहा कि इससे पता चलता है कि किशनगंज में घुसपैठिए बड़ी संख्या में मौजूद हैं।