वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने एक दिन पहले (शनिवार – 9 अगस्त 2025) ही ऑपरेशन सिंदूर को लेकर एक महत्वपूर्ण जानकारी साझा करते हुए बताया कि भारत ने इस ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तान के पाँच लड़ाकू विमानों को मार गिराया था। यह बयान भारतीय वायुसेना की ताकत, रणनीति और साहस का प्रतीक है। इस बयान से जहाँ देशवासियों का मनोबल बढ़ा, वहीं कॉन्ग्रेस नेताओं ने इस पर सवाल खड़े कर दिए।

वहीं कॉन्ग्रेस के एक और वरिष्ठ नेता राशिद अल्वी ने भी संदेह जताते हुए कहा कि उन्हें वायुसेना प्रमुख की बातों पर शक नहीं है, लेकिन सरकार ने यह स्पष्ट क्यों नहीं किया कि भारतीय विमान भी मारे गए या नहीं? यानी जब भी सेना या सरकार की ओर से कोई जानकारी दी जाती है, कॉन्ग्रेस उसमें भी संदेह खोजती है।

कॉन्ग्रेस नेता उदित राज ने आरोप लगाया कि वायुसेना प्रमुख यह बयान तब दे रहे हैं जब वोट चोरी का मामला सामने आया है। उन्होंने कहा कि यह बयान ध्यान भटकाने के लिए दिया जा रहा है और सेना को राजनीतिक मोहरा बनाया जा रहा है। यह एक गंभीर आरोप है, जो देश की सुरक्षा से जुड़े विषय को सस्ती राजनीति में घसीटने जैसा है।

यह पहला मौका नहीं है जब कॉन्ग्रेस ने भारतीय सेना के पराक्रम पर सवाल उठाए हों। बालाकोट एयर स्ट्राइक, उरी सर्जिकल स्ट्राइक और गलवान संघर्ष जैसे मामलों में भी कॉन्ग्रेस ने सेना के दावों पर भरोसा करने के बजाय विदेशी मीडिया की रिपोर्टों का हवाला दिया। खासकर ब्रिटिश मीडिया जैसे BBC की रिपोर्ट्स को सच मानते हुए बार-बार भारतीय सेना की छवि को कमजोर करने की कोशिश की गई है।

कॉन्ग्रेस  को यह समझने की जरूरत है कि राजनीति में आलोचना जरूरी हो सकती है, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में सेना का सम्मान और विश्वास सर्वोपरि होना चाहिए। अगर हर सैन्य ऑपरेशन को राजनीतिक चश्मे से देखा जाएगा, तो इससे भारत की सामरिक छवि भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभावित होगी।



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