बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के घर में उनके बेटे के नाम पर जितनी चर्चा नहीं हुई होगी उससे अधिक चर्चा उस नाम को लेकर देश के अन्य हिस्सों में होने लगी है। कोई इसे संस्कृत का शब्द कह रहा है तो कोई ऊर्दू का। इतना ही नहीं कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ने तो ‘इराज’ नाम का मजाक उड़ाते हुए तेजस्वी को ईरान और इराक नाम रखने की भी सलाह दे दी थी।

अब एक इंटरव्यू में तेजस्वी ने जहाँ फिर एक बार इस नाम को भगवान ‘हनुमान’ का नाम बताया है, वहीं दूसरी तरफ संस्कृति के जाने-माने विद्वान, शोधकर्ता और संपादक नित्यानंद मिश्रा ने तेजस्वी के बेटे के नाम ‘इराज’ को ‘कामदेव’ का नाम बताया है।

न्यूज एजेंसी ANI के तेजस्वी यादव से लिए गए एक इंटरव्यू की वीडियो में 31 मिनट 9 सेकेंड से 33 मिनट 10 सेकेंड तक उनके बेटे के इराज नाम पर चले सवाल-जवाब वाली क्लिप में तेजस्वी यादव से पूछा गया कि बीजेपी आप पर हमेशा आरोप लगाती है कि आप मुस्लिमों के हितैषी हैं, आपने बेटी का नाम कात्यायानी रखा है जो कि माँ दुर्गा के नाम पर है। वहीं बेटे का नाम इराज रखा है, जो कि भगवान हनुमान के नाम पर है। तो आप इसके जरिए क्या मैसेज देना चाह रहे हैं?

इस पर जवाब देते हुए तेजस्वी ने कहा कि जब हमने अपने बेटे का नाम इराज रखा और लालूजी ने सोशल मीडिया पर इसकी घोषणा की। इसके बाद कई भक्त लोग ऐसे थे जिन्होंने कमेंट में लिखा कि इराज क्यों नाम रख रहे हो, एजाज खान नाम रख लेते। ईरान और इराक रख लेते।

तेजस्वी ने कहा “लोगों को ये नहीं पता है कि ‘इराज’ संस्कृत का शब्द है और इसका मतलब है ‘पवनपुत्र’। जो कि हनुमान जी का नाम है। उन लोगों को कोई ज्ञान नहीं है सनातन का।” भाजपा पर तंज कसते हुए तेजस्वी ने कहा कि पार्टी के लोगों को ना ही संविधान का ज्ञान है ना ही धर्म का।

वहीं हिंदू धर्म और संस्कृत पर एक दर्जन से अधिक किताबें लिख चुके संपादक नित्यानंद मिश्रा ने यूट्यूब पर एक वीडियो जारी करते हुए बताया है कि इराज नाम तो बेशक संस्कृत का शब्द है, लेकिन इसका भगवान हनुमान से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि लालू यादव ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए इराज नाम रखने के पीछे कारण बताया था कि क्योंकि उनके पोते का जन्म मंगलवार को हुआ है और मंगलवार भगवान हनुमान का दिन माना जाता है, इसलिए उन्होंने हनुमान जी के ही एक नाम इराज पर अपने पोते का नाम रखा है।

नित्यानंद ने कहा कि उसके बाद से लगातार उनसे सवाल किया जा रहा था कि इराज नाम को लेकर काफी चर्चा है, वो बताएँ कि असल में यह शब्द हिंदी का ही है या संस्कृत का। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को ये भी शक है कि ये उर्दू का शब्द है। नित्यानंद ने इस पर पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि इंटरनेट भी इराज को भगवान हनुमान का नाम बता रहा है जबकि इराज संस्कृत का शब्द तो है, लेकिन यह हनुमान जी का नहीं बल्कि कामदेव का नाम है।

नित्यानंद ने बकायदा प्रमाण देते हुए बताया, “संस्कृत के दो प्रामाणिक कोश शब्दकल्पद्रुम और वाचस्पत्यम में इराज शब्द है। इन दोनों कोशों में हलायुध कोश का उद्धरण देते हुए बताया गया है कि इराज का अर्थ है कन्दर्प अर्थात कामदेव। इस प्रकार इराज एक संस्कृत नाम तो है पर कामदेव का, ना कि हनुमान का।”  

एक नहीं नित्यानंद ने अपनी वीडीयो में अनेक ऐसे साक्ष्य पेश किए जो इराज नाम का संबंध कामदेव से होने की पुष्ट करते हैं। अपनी वीडियो में उन्होंने ‘आप्टे संस्कृत हिंदी कोश’ और ‘मोनियर विलियम्स संस्कृत अंग्रेजी कोश’ का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें ईरज शब्द है और उसका मतलब है जिसका जन्म वायु से हुआ है, अर्थात भगवान हनुमान। उनका कहना है कि एक जैसे लगने वाले इन शब्दों में ईरज हनुमान का नाम है और इराज कामदेव का।

सोचने वाली बात है कि जिन्हें हिंदू धर्म और संस्कृति पर ज्ञान देने का शौक हो कम से कम उन्हें तो इससे संबंधित फैसले भली-भाँति जाँच कर के ही लेने चाहिए। असल में बात तो ये है कि लोगों की मानसिकता इतने तक ही सिमट कर रह गई है कि हम समाज में अपने किसी फैसले से समाज में एक उदाहरण पेश करें, भले ही बाद में उसकी आलोचना हो या वह पूर्ण असत्य और निराधार ही साबित क्यों ना हो जाए।

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