प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार (28 सितंबर 2025) को अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने का जिक्र किया। यह पिछले करीब डेढ़ महीने में तीसरा मौका है जब उन्होंने सार्वजनिक रूप से संघ की इस ऐतिहासिक उपलब्धि का जिक्र किया है।
यह इसलिए भी अहम हो जाता है कि लंबे समय से एक वर्ग विशेष यह धारणा बनाने की कोशिश करता रहा है कि मोदी सरकार और संघ के बीच मुद्दे पर मतभेद हैं। कभी कहा जाता है कि सरकार संघ की राय को दरकिनार करती है, तो कभी यह नैरेटिव दिया जाता है कि संघ और मोदी के बीच ‘दूरी’ बढ़ रही है।
दरअसल, पीएम मोदी और संघ का रिश्ता दशकों का है। वो बीजेपी में आने से पहले लंबे वक्त तक संघ के प्रचारक रहे थे। संघ और पीएम मोदी दोनों ही लंबे वक्त तक खुलकर एक-दूसरे को लेकर अपनी बात रखने से बचते रहे हैं लेकिन पिछले दिनों में पीएम मोदी ने साफ कर दिया है कि संघ और उनके बीच कोई दूरी नहीं है बल्कि आत्मीयता का रिश्ता है।
‘मन की बात’ में क्या बोले मोदी?
पीएम मोदी ने राष्ट्र निर्माण में संघ के योगदान को याद किया। उन्होंने कहा, “इस बार विजयादशमी एक और वजह से बहुत विशेष है। इसी दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के 100 वर्ष हो रहे हैं। एक शताब्दी की ये यात्रा जितनी अद्भुत है, अभूतपूर्व है, उतनी ही प्रेरक है।”
उन्होंने आगे कहा, “इसलिए देश की आजादी के साथ-साथ ये भी महत्वपूर्ण था कि देश वैचारिक गुलामी से भी आजाद हो। ऐसे में, परम पूज्य डॉ० हेडगेवार जी ने इस विषय में मंथन करना शुरू किया और फिर इसी भगीरथ कार्य के लिए उन्होंने 1925 में विजयादशमी के पावन अवसर पर ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ की स्थापना की। डॉक्टर साहब के जाने के बाद परम पूज्य गुरु जी ने राष्ट्र सेवा के इस महायज्ञ को आगे बढ़ाया।”
पीएम मोदी ने कहा, “त्याग और सेवा की भावना और अनुशासन की सीख यही संघ की सच्ची ताकत है। आज RSS सौ वर्ष से बिना थके, बिना रुके, राष्ट्र सेवा के कार्य में लगा हुआ है। इसीलिए हम देखते हैं, देश में कहीं भी प्राकृतिक आपदा आए, RSS के स्वयंसेवक सबसे पहले वहाँ पहुँच जाते हैं।”
मोहन भागवत के जन्मदिन पर PM मोदी ने लिखा लेख
पीएम मोदी ने बीते 11 सितंबर को RSS के सरसंघचालक मोहन भागवत के जन्मदिन पर एक लंबा लेख लिखा था। इसके साथ ही उन्होंने उन सारी अफवाहों को विराम दे दिया जो उनके और मोहन भागवत के कथित मतभेदों को लेकर उड़ाई जाती थीं।
इस लेख में पीएम मोदी ने लिखा था, “भागवत जी का पूरा जीवन सतत प्रेरणा देने वाला रहा है। उन्होंने कई वर्षों तक महाराष्ट्र के ग्रामीण और पिछड़े इलाकों, विशेषकर विदर्भ में काम किया। अखिल भारतीय शारीरिक प्रमुख के रूप में मोहन भागवत जी के कार्यों को आज भी कई स्वयंसेवक स्नेहपूर्वक याद करते हैं। इसी कालखंड में मोहन भागवत जी ने बिहार के गांवों में अपने जीवन के अमूल्य वर्ष बिताए और समाज को सशक्त करने के कार्य में समर्पित रहे।”
उन्होंने लिखा था, “हम स्वयंसेवकों का सौभाग्य है कि हमारे पास मोहन भागवत जी जैसे दूरदर्शी और परिश्रमी सरसंघचालक हैं, जो ऐसे समय में संगठन का नेतृत्व कर रहे हैं। एक युवा स्वयंसेवक से लेकर सरसंघचालक तक की उनकी जीवन यात्रा उनकी निष्ठा और वैचारिक दृढ़ता को दर्शाती है।”
“मोहन भागवत जी ने वसुधैव कुटुंबकम के मंत्र से प्रेरित होकर समता-समरसता और बंधुत्व की भावना को सशक्त करने में अपना पूरा जीवन समर्पित किया है।”
मां भारती की सेवा में सदैव तत्पर मोहन जी के 75वें जन्मदिन के विशेष अवसर पर मैंने उनके प्रेरक व्यक्तित्व को लेकर अपनी भावनाएं रखी हैं। मैं…— Narendra Modi (@narendramodi) September 11, 2025
लाल किले से RSS का जिक्र
पीएम मोदी ने बीते 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से बोलते हुए RSS की खूब तारीफ की थी। यह उनके प्रधानमंत्री काल में पहला अवसर था जब उन्होंने लाल किले से संघ का जिक्र किया था। पीएम मोदी ने ‘गर्व के साथ’ संघ का जिक्र किया था।
पीएम मोदी ने कहा था, “आज से 100 साल पहले एक संगठन का जन्म हुआ, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, 100 साल की राष्ट्र की सेवा, एक बहुत ही गौरवपूर्ण स्वर्णिम पृष्ठ है। व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण के संकल्प को लेकर के 100 साल तक मां भारती का कल्याण का लक्ष्य लेकर के स्वयंसेवकों ने मातृभूमि के कल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित किया है।”
पीएम मोदी ने कहा था, “सेवा, समर्पण, संगठन और अप्रतिम अनुशासन, यह जिसकी पहचान रही है, ऐसा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दुनिया का यह सबसे बड़ा एनजीओ है। मैं लाल किले के प्राचीर से 100 साल की इस राष्ट्र सेवा की यात्रा में योगदान करने वाले सभी स्वयंसेवकों को आदरपूर्वक स्मरण करता हूँ।”
PM मोदी के हालिया विचारों से साफ है कि ना तो उनके व संघ के बीच और ना ही सरकार व संघ के बीच कोई खाई है। इसके विपरित यह रिश्ता विचारधारा और समर्पण के भरोसा की बुनियाद पर बना है।
आज जब भारत वैश्विक मंच पर अपनी पहचान मजबूत कर रहा है, तब PM मोदी द्वारा RSS की प्रशंसा यह भी दिखाती है कि विचारधार की शक्ति और सामाजिक संगठन एक राष्ट्र को मजबूत करने के लिए कितने जरूरी है। RSS यही ताकत भारत को प्रदान कर रहा है।
RSS की स्थापना 1925 में डॉ. हेडगेवार ने की थी और बीते 100 वर्षों में संगठन ने बिना किसी औपचारिक राजनीतिक पहचान के समाज सेवा और राष्ट्र निर्माण के कार्यों को अपना लक्ष्य बनाया है और इसी के साथ आगे बढ़ रहा है। PM मोदी के ये संदेश स्पष्ट करते हैं कि विरोधी कितना भी प्रोपेगेंडा कर लें उनका और संघ का रिश्ता जो दशकों पुराना है, वो ऐसे ही अनवरत आगे बढ़ता रहेगा।