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‘रिश्तों के भी रूप बदलते हैं…’ सत्ता में इंडिया आउट’ का नारा लगाकर आए मोहम्मद मुइज्जू, पर बेपटरी हुई मालदीव की इकोनॉमी तो भारत ने ही दी ‘संजीवनी बूटी’: जानिए PM मोदी की यात्रा के मायने


मोहम्मद मुइज्जू

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय मालदीव दौरे पर जा रहे हैं। ये दौरा कई मायनों में ऐतिहासिक है। राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के सत्ता में आने के बाद पहली बार पीएम मोदी मालदीव जा रहे हैं। हालाँकि ये उनकी तीसरी मालदीव यात्रा है।

इससे पहले पीएम मोदी दो दिनों तक 23 जुलाई और 24 जुलाई को यूके के दौरे पर होंगे। यूके के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के आमंत्रण पर पीएम मोदी वहाँ जा रहे हैं। इस दौरान भारत-यूके के बीच द्विपक्षीय वार्ता होगी जिसमें व्यापार, शिक्षा, सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन जैसे विषय शामिल हैं। यूके के किंग चार्ल्स तृतीय ने भी पीएम मोदी को आमंत्रित किया है।

लेकिन इस दौरे के दौरान दुनिया की नजर 25 जुलाई और 26 जुलाई पर होगी, जब पीएम मोदी मालदीव के दौरे पर होंगे क्योंकि हाल के वर्षों में दोनों देशों के रिश्तों में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है।

एक साल के तनाव के बाद यात्रा

पीएम मोदी की आधिकारिक मालदीव यात्रा रणनीतिक तौर पर भी काफी अहम है। उन्हें 26 जुलाई, 2025 को मालदीव के 60वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में ‘मुख्य अतिथि’ के तौर पर आमंत्रित किया गया है।

मुइज्जू ने नवंबर 2023 में चुनाव जीतकर मालदीव की सत्ता संभाली। उनके ‘इंडिया आउट’ नीति की वजह से दोनों देशों के रिश्तों में खटास आई। यहाँ तक कि भारतीय सैनिक जो मालदीव में थे, उन्हें बाहर निकालने के लिए भारत पर दबाव बनाया गया।

लक्षद्वीप को पर्यटन केंद्र के रूप में प्रमोट करने को लेकर भी भारत और मालदीव के बीच तनातनी देखने को मिली। तब प्रधानमंत्री मोदी पर आपत्तिजनक टिप्पणियों के कारण मालदीव के दो मंत्रियों को इस्तीफा देना पड़ा था। पीएम मोदी पर की गई टिप्पणी भारतीयों को नागवार गुजरी और सोशल मीडिया पर ‘मालदीव बहिष्कार’ अभियान शुरू हुआ। इसका असर मालदीव की अर्थव्यवस्था पर देखा गया क्योंकि भारतीय पर्यटकों का मालदीव के राजस्व में अहम योगदान है।

दोनों देशों ने तनाव कम करने की कोशिश भी की। भारत ने विमान संचालन के मैनेजमेंट के लिए अपने सैन्य कर्मियों की जगह आम इंजीनियरों को नियुक्त करने की पेशकश की। नई दिल्ली ने मुद्रा विनिमय सुविधा (currency swap facility) भी दी। बजट 2025 में मालदीव को दी जाने वाली वित्तीय सहायता ₹600 करोड़ कर दिए गए जो 2024-25 में दिए गए ₹470 करोड़ से ₹130 करोड़ ज्यादा है।

मुइज्जू कर रहे संबंधों को सुधारने की कोशिश

मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू अब भारत के साथ संबंधों को सुधारने के लिए आगे बढ़े हैं। मुइज्जू के सितंबर 2024 में आधिकारिक यात्रा से पहले दोनों भारत विरोधी टिप्पणी करने वाले दोनों मंत्रियों को इस्तीफा देना पड़ा था। हालाँकि आधिकारिक तौर पर इस्तीफे की वजह ‘व्यक्तिगत कारण’ बताया गया। लेकिन इस्तीफे की टाइमिंग ऐसी थी कि लोग चौंक गए।

9 जून 2024 को मुइज्जू भारत के दौरे पर आए। तब मालदीव में रूपे कार्ड लॉन्च किए गए थे। पिछले कुछ वर्षों में मालदीव को चीन के करीबी के रूप में देखा गया। लेकिन अब मालदीव ये महसूस करने लगा है कि भारत को नजरअंदाज कर वह आगे नहीं बढ़ सकता है।

भारत और मालदीव अपने राजनयिक संबंधों के 60 वर्ष पूरे कर रहे हैं, प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा द्विपक्षीय संबंधों में एक नई शुरुआत का प्रतीक बन गई है।

चीन की दखलंदाजी से भारत की कूटनीति तक

सत्ता संभालने के बाद मुइज्जू का झुकाव चीन की तरफ देखा गया। उनकी पहली आधिकारिक विदेश यात्रा जनवरी 2024 में चीन की ही थी। उन्होंने बीजिंग के साथ 20 महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इनमें सैन्य और वित्तीय सहयोग से जुड़ा समझौता शामिल था। मुइज्जू से पहले मालदीव के राष्ट्रपति का पहला दौरा भारत का हुआ करता था। मुइज्जू ने इस परंपरा को तोड़ा था।

चीन के महत्वाकांक्षी योजना बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत मालदीव के साथ संबंध सुधारना शुरू किया। 2014 में BRI में शामिल होने के बाद से मालदीव ने चीनी बैंकों से लगभग 1.4 बिलियन डॉलर लिए हैं, जो उसके कुल सार्वजनिक ऋण का लगभग 20% है।

भारत ने मालदीव की अर्थव्यवस्था को बचाया

मालदीव की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर अत्यधिक निर्भर है और उस पर विदेशी कर्ज का बोझ भी भारी है। विदेशी मुद्रा भंडार गंभीर रूप से कम हो गया था और क्रेडिट डाउनग्रेड (ऋण रेटिंग में गिरावट) की आशंका भी गहरा गई थी।

हालाँकि भारत के स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने मई 2024 में मालदीव सरकार द्वारा जारी ट्रेज़री बिलों में 50 मिलियन डॉलर का निवेश किया। लेकिन संकट टला नहीं था। जब यह निवेश सितंबर 2024 में परिपक्व होने वाला था, तब मालदीव सरकार के अनुरोध पर इस निवेश को पुनः बढ़ाया गया। मालदीव ने इस सहायता के लिए भारत का आभार व्यक्त किया और इसे आर्थिक स्थिरता और वित्तीय सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।

भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति और महासागर विजन

मालदीव भारत का एक प्रमुख समुद्री सहयोगी है। आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए भारत द्वारा दिए गए विशेष कोटा के साथ-साथ ट्रेज़री बिल में निवेश और उसके बाद की मुद्रा अदला-बदली (Currency Swap) यह दर्शाते हैं कि भारत मालदीव के नागरिकों की भलाई के लिए प्रतिबद्ध है।

मालदीव की विदेशी मुद्रा भंडार अगस्त 2024 तक घटकर 443.9 मिलियन डॉलर रह गया था, जो पिछले वर्ष इसी समय 694.2 मिलियन डॉलर था। लेकिन RBI की स्वैप सहायता के चलते मई 2025 में यह बढ़कर 816 मिलियन डॉलर हो गया — जिसका प्रमुख श्रेय भारत द्वारा दी गई $400 मिलियन की राशि को जाता है।

भारत ने क्रेडिट रेटिंग गिरने से बचाया

अगस्त 2024 में फिटेक ने मालदीव के बॉन्ड्स की रेटिंग CCC+ से घटाकर CC कर दी थी और चेतावनी दी थी कि देश डिफॉल्ट के खतरे में है। सितंबर में मूडीज ने भी मालदीव की रेटिंग Caa1 से घटाकर Caa2 कर दी। यदि भारत का हस्तक्षेप न होता, तो ये रेटिंग और गिर सकती थीं।

RBI के स्वैप समझौते और उसके प्रभाव ने इन एजेंसियों को यह संदेश दिया कि मालदीव को भारत का वित्तीय समर्थन हासिल है। इससे मालदीव के लिए अंतरराष्ट्रीय कर्ज लेना महँगा नहीं हुआ और उसकी संप्रभुता और साख बची रही।

मालदीव हिंद महासागर में रणनीतिक रूप से बेहद अहम स्थिति में स्थित है। भारत लंबे समय से इस क्षेत्र में ‘नेट सिक्योरिटी प्रोवाइडर’ की भूमिका निभा रहा है। चीन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए भारत का यह वित्तीय हस्तक्षेप न केवल आर्थिक सहारा था, बल्कि रणनीतिक जवाब भी था।

विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने फरवरी 2025 में हिन्द महासागर सम्मेलन में भारत की भूमिका को रेखांकित करते हुए बताया कि कैसे भारत ने श्रीलंका को 4 अरब डॉलर की सहायता देकर वहाँ की अर्थव्यवस्था को भी स्थिर किया था। मालदीव के लिए की गई यह सहायता उसी नीति का विस्तार है।

भारत-मालदीव की ऐतिहासिक पार्टनरशिप

भारत हमेशा से अपने पड़ोसियों की मदद के लिए आगे रहा है। भारत और मालदीव के बीच 1965 से लगातार अच्छा रिश्ता रहा है। ब्रिटेन से मालदीव की आजादी के बाद जब भी मालदीव पर मुसीबत आई, भारत संकट मोचक की तरह सामने आया। चाहे वह 1988 का ‘ऑपरेशन कैक्टस’ हो, 2004 की सुनामी हो या फिर कोविड-19 महामारी, भारत सबसे पहले मदद के लिए आगे आया है।

रक्षा संबंधों के अलावा, भारत ने द्वीपसमूह में विभिन्न बुनियादी ढाँचे, स्वास्थ्य और शिक्षा परियोजनाओं को आर्थिक मदद दी। 18 मई 2025 को भारत ने ₹100 करोड़ की मदद दी। इसके लिए 13 समझौतों (एमओयू) पर हस्ताक्षर हुए। मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला खलील ने उस समय कहा था कि भारत की सहायता हमेशा उद्देश्यपूर्ण, सार्थक और मालदीव के लोगों के अनुरूप रहे हैं।

ऐसे में पीएम मोदी की मालदीव यात्रा दोनों देशों के रिश्तों में एक बार फिर मजबूती लाएगी।

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