उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रक्रिया से कई लोगों को वोट देने के अधिकार से वंचित किया जा सकता है। उनका आरोप था कि यह सब भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सरकार द्वारा सत्ता में बने रहने के लिए किया जा रहा है।
बिहार में महागठबंधन इस अभियान को लेकर लगातार सवाल उठा रहा है। यह फर्जी वोटरों को हटाने और वोटर लिस्ट को अपडेट करने के लिए चलाया जा रहा है। तेजस्वी यादव जैसे वरिष्ठ नेता चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगा चुके हैं और उन्होंने यहाँ तक कह दिया कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो वे चुनाव बहिष्कार पर भी विचार कर सकते हैं।
चुनाव आयोग ने इस पूरी प्रक्रिया में सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को शामिल किया है ताकि पारदर्शिता बनी रहे। दिलचस्प बात यह रही कि जिन नेताओं ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाए, उन्हीं के पार्टी कार्यकर्ता और बूथ लेवल एजेंट्स (BLAs) ने बताया कि प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी नहीं हो रही है। इससे उनके नेताओं के दावे गलत साबित हुए।
BLA ने क्या कहा?
नवादा जिले में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के प्रतिनिधि ने बताया कि पूरी मतदाता सूची समय पर जाँच कर उन्हें सौंप दी गई है। साथ ही जिन मतदाताओं के नाम किसी कारणवश सूची से हटाए गए हैं, जैसे कि स्थानांतरण, नाम दोहराव आदि, उनकी जानकारी भी दी गई है। ये नाम अब पंचायत और बूथ प्रमुखों को भेजे जाएँगे।
उन्होंने बताया कि बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) और बूथ लेवल असिस्टेंट (BLA) अब आगे की प्रक्रिया तय करेंगे। यदि सूची में कोई गलती मिलती है, तो उसे 1 अगस्त से 1 सितंबर तक चलने वाली आपत्ति अवधि के दौरान सुधारा जाएगा। RJD प्रतिनिधि ने कहा, “हम संतुष्ट हैं। हमारे क्षेत्र में कोई समस्या नहीं है और किसी भी राजनीतिक पार्टी ने प्रशासन को परेशान नहीं किया है।” उन्होंने प्रशासन का धन्यवाद भी किया।
Listen to what @RJDforIndia’s Navada district official is saying about the #SIR process being carried out in Bihar. There is no tampering, no deletion of names as being propagated by the Opposition. @ECISVEEP (3). pic.twitter.com/qSSqmN5o64
— Pramod Kumar Singh (@SinghPramod2784) August 11, 2025
गोपालगंज जिले के कॉन्ग्रेस जिलाध्यक्ष ओम प्रकाश शर्मा ने कहा कि प्रशासन द्वारा तैयार की गई मतदाता सूची की एक प्रति सभी राजनीतिक दलों को दी गई है, जिसमें हटाए गए नामों की भी जानकारी है। उन्होंने कहा, “हमें एक महीना दिया गया है ताकि अगर कोई नाम गलती से हट गया हो, तो हम उसमें आपत्ति दर्ज कर सुधार करवा सकें।”
Listen to Om Prakash Sharma district president Gopalganj district @INCIndia says #SIR process is going on smoothly and they have been provided with the list of those whose names have been omitted from the electoral list. @ECISVEEP (5). Don’t fall to rumours. pic.twitter.com/szo5Pnct0h
— Pramod Kumar Singh (@SinghPramod2784) August 11, 2025
पूर्णिया जिले के कॉन्ग्रेस जिलाध्यक्ष अखिलेश कुमार ने बताया कि जिला प्रशासन के साथ बैठक हुई और मतदाता सूचियाँ राजनीतिक दलों को सौंप दी गई हैं। उन्होंने कहा, “हमें निर्देश दिए गए हैं कि जिन लोगों के नाम छूट गए हैं, उन्हें शामिल कराने में मदद करें और यह भी जाँच करें कि जो लोग स्थानांतरित हो गए हैं या जिनका निधन हो चुका है, उनकी जानकारी सही है या नहीं।”
Akhilesh Kumar Purnia district president of @INCIndia on #SIR in #Bihar. LOP in Lok Sabha should listen to what his district president has to say. @ECISVEEP (6). pic.twitter.com/Tb1Lplqjkz
— Pramod Kumar Singh (@SinghPramod2784) August 11, 2025
उन्होंने कहा, “हम अपने BLAs के माध्यम से BLOs की पूरी सहायता करेंगे। सभी पार्टियों को संशोधित सूची दे दी गई है। जिला प्रशासन का कार्य बहुत अच्छा रहा है और हम उनका पूरा सहयोग करेंगे।”
इसके अलावा, कई ऐसे वीडियो सामने आए हैं जिनमें विपक्षी दलों के BLAs ने प्रशासन की पारदर्शी प्रक्रिया की तारीफ की है और भरोसा जताया है कि सभी संबंधित पक्षों को इसमें शामिल किया गया।
चुनाव आयोग ने विपक्ष के दुष्प्रचार का किया खंडन
बिहार में चलाए गए SIR अभियान को लेकर विपक्ष की ओर से लगाए जा रहे आरोपों को भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने तथ्यों, आँकड़ों और BLA की गवाही के साथ गलत साबित कर दिया है। निर्वाचन आयोग ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि यह पूरी प्रक्रिया सभी राजनीतिक दलों की पूर्ण भागीदारी से पारदर्शिता के साथ की गई थी और अगर कहीं कोई गलती थी, तो उसे ठीक भी किया गया।
इसके बावजूद जब विपक्ष ने इस अभियान को लेकर गलत जानकारी फैलानी शुरू की, तब आयोग को दोबारा वही बात समझानी पड़ी। राहुल गाँधी ने सोशल मीडिया पर विपक्षी सांसदों के विरोध की तस्वीरें साझा करते हुए ‘वोटर चोरी’ का आरोप लगाया। इसके जवाब में चुनाव आयोग ने कई लिंक साझा किए, जिनमें यह दिखाया गया कि पूरी प्रक्रिया कितनी पारदर्शी थी।
आयोग ने बताया कि मतदाता सूची के ड्राफ्ट प्रकाशित होने से पहले, उसके दौरान और उसके बाद भी BLA के साथ बैठकें हुईं, और सभी दलों को शामिल कर पूरी पारदर्शिता बरती गई। ECI ने यह भी स्पष्ट किया कि अब तक किसी भी राजनीतिक दल ने ड्राफ्ट रोल को लेकर कोई आपत्ति या शिकायत दर्ज नहीं करवाई है।
#ECIFactCheck
Details in image below
Reference links:
Link_1 https://t.co/w83gs0VlrG
Link_2 https://t.co/K8t2w39T61
Link_3 https://t.co/BMJ6OPViXQ
Link_4 https://t.co/tJ9z9abQeO
Link_5 https://t.co/AVNUZEwSAs
Link_6 https://t.co/RHiztyk9GD
Link_7 https://t.co/tqzG53EJfo https://t.co/1BBlNbMGEM pic.twitter.com/QPBW1XoxRb— Election Commission of India (@ECISVEEP) August 11, 2025
इससे यह साफ होता है कि यह विरोध सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए किया जा रहा है, न कि किसी असली मुद्दे पर। महागठबंधन और RJD ने ECI पर दलितों, अल्पसंख्यकों, गरीबों और हाशिए पर गए वर्गों के वोटिंग अधिकारों को SIR के नाम पर खत्म करने का आरोप लगाया।
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इसके जवाब में आयोग ने फिर दोहराया कि SIR अभियान में हर राजनीतिक दल के BLA को शामिल किया गया, उन्हें उनके क्षेत्रों की वोटर लिस्ट और संशोधित सूचियाँ दी गईं और हर स्तर पर उनकी शिकायतें सुनी गईं। यह भी बताया गया कि कई विपक्षी पार्टियों के BLA ने खुद सार्वजनिक रूप से यह स्वीकार किया है कि यह प्रक्रिया पारदर्शी थी और उनकी पूरी भागीदारी रही।
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Link_7 https://t.co/tqzG53EJfo https://t.co/DeVn6IRtt3 pic.twitter.com/P0K2dy3kUm— Election Commission of India (@ECISVEEP) August 11, 2025
इस प्रकार आयोग ने यह साफ कर दिया कि विपक्ष के आरोप बेबुनियाद, भ्रामक और राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित हैं, जबकि पूरी प्रक्रिया को नियमों और पारदर्शिता के तहत अंजाम दिया गया।
बिहार में SIR अभियान
चुनाव आयोग के SIR अभियान के तहत बिहार में बड़ी संख्या में फर्जी वोटरों का पता चला है। जाँच में लगभग 65 लाख ऐसे वोटर मिले जो असल में मौजूद ही नहीं थे। इनमें ज्यादातर लोग या तो मर चुके थे या फिर अपने पते पर नहीं मिले। इसके बाद इन नामों को मतदाता सूची से हटा दिया गया।
हालाँकि कुछ जिलों में नामों की भारी संख्या में कटौती चौंकाने वाली रही, खासतौर पर किशनगंज जिले में, जो मुस्लिम बहुल इलाका है। वहाँ से 1.45 लाख वोटर हटाए गए। यह जिले के कुल वोटरों का लगभग 11.8% है। एक चुनाव में जहाँ 4-5% का अंतर भी नतीजा बदल सकता है, वहाँ इतने वोटरों का हटना बेहद अहम माना जा रहा है।
राज्य में विपक्षी पार्टियाँ इस मुहिम के खिलाफ एकजुट हो रही हैं क्योंकि इन हटाए गए फर्जी वोटरों में से कई उनके समर्थक माने जा रहे थे। जाँच के दौरान कई विदेशी नागरिक, खासकर बांग्लादेशी, भी पकड़े गए जिनके पास आधार कार्ड जैसे भारतीय दस्तावेज पाए गए।
अब ऐसी ही जाँच पश्चिम बंगाल में भी शुरू होने जा रही है। इससे तृणमूल कॉन्ग्रेस और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार में हड़कंप मच गया है। ममता पहले भी बांग्लादेशी घुसपैठियों के समर्थन में बयान दे चुकी हैं, इसलिए उन्हें डर है कि यह अभियान उनके वोटबैंक को प्रभावित कर सकता है।
चुनाव आयोग का कहना है कि यह कार्रवाई लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए है, ताकि केवल वैध और जीवित वोटरों को ही मतदान का अधिकार मिले।
दिलचस्प बात यह है कि जिन शोधकर्ताओं ने पहले बिहार में 70 लाख फर्जी वोटरों की चेतावनी दी थी, वो अब सही साबित हुई। उन्होंने अब दावा किया है कि पश्चिम बंगाल में 2024 के लिए मतदाता सूची में करीब 1 करोड़ अतिरिक्त वोटर हो सकते हैं। अब आगे यह जाँच का विषय बनेगा।
(मूल रुप से ये रिपोर्ट अंग्रेजी में रुक्मा राठौर ने लिखी है। मूल रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।)