कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गाँधी एक बार फिर सुर्खियों में हैं। सावरकर मानहानि केस में पुणे की अदालत में उनके वकील ने उनकी जान को खतरा बताते हुए एक अर्जी दायर की थी। इस अर्जी ने राजनीतिक गलियारों में तूफान मचा दिया। लेकिन अब खबर है कि राहुल ने इस अर्जी से खुद को अलग कर लिया है।
कॉन्ग्रेस की आईटी सेल प्रमुख सुप्रिया सुनेत ने एक्स पर पोस्ट कर बताया कि ये अर्जी बिना राहुल की सहमति के दायर की गई थी और वो इस बात से बेहद नाराज हैं। गुरुवार को उनके वकील इस बयान को कोर्ट से वापस लेंगे। इस पूरे घटनाक्रम ने कॉन्ग्रेस की रणनीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या है पूरा मामला?
ये पूरा विवाद विनायक दामोदर सावरकर से जुड़ा है। मार्च 2023 में लंदन में एक भाषण के दौरान राहुल गाँधी ने सावरकर की रचनाओं का हवाला देते हुए दावा किया था कि सावरकर ने अपनी किताब में लिखा था कि उन्होंने और उनके पाँच-छह दोस्तों ने एक मुस्लिम व्यक्ति की पिटाई की थी और उन्हें इस बात पर खुशी हुई थी।
इस बयान को सावरकर के वंशज सत्यकी सावरकर ने अपमानजनक माना और राहुल के खिलाफ पुणे की स्पेशल MP-MLA अदालत में मानहानि का केस दर्ज कराया था।
इस बीच, बुधवार (13 अगस्त 2025) को राहुल के वकील मिलिंद दत्तात्रय पवार ने कोर्ट में एक अर्जी दायर की, जिसमें दावा किया गया कि सत्यकी सावरकर की वंशावली को देखते हुए राहुल की जान को खतरा है। अर्जी में कहा गया कि सत्यकी, नाथूराम गोडसे और गोपाल गोडसे यानी महात्मा गाँधी की हत्या के मुख्य आरोपितों के मातृ पक्ष से जुड़े हैं।
इसके अलावा, सत्यकी का सावरकर से भी संबंध होने का दावा किया गया। अर्जी में ये भी जिक्र था कि सावरकर की विचारधारा और उनके अनुयायियों की हिंसक प्रवृत्तियों के इतिहास को देखते हुए राहुल को नुकसान पहुँचाए जाने या गलत फँसाए जाने का डर है।
अर्जी में और क्या था?
वकील ने अर्जी में कई गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि राहुल गाँधी ने हाल ही में संसद में “वोट चोर सरकार” का नारा दिया और चुनावी अनियमितताओं के खिलाफ सबूत पेश किए। इसके बाद उनकी राजनीतिक दुश्मनी बढ़ गई।
अर्जी में दो बीजेपी नेताओं की धमकियों का जिक्र था। केंद्रीय मंत्री रवीनीत सिंह बिट्टू ने राहुल को ‘देश का नंबर वन आतंकवादी’ कहा था, जबकि बीजेपी नेता तरविंदर सिंह मारवाह ने खुलेआम धमकी दी कि अगर राहुल ‘सही व्यवहार’ नहीं करेंगे, तो उनका अंजाम उनकी दादी इंदिरा गाँधी जैसा हो सकता है।
अर्जी में ये भी कहा गया कि महात्मा गाँधी की हत्या कोई अचानक हुई घटना नहीं थी, बल्कि एक सोची-समझी साजिश थी, जो एक खास विचारधारा से जुड़ी थी। वकील ने कोर्ट से माँग की कि राहुल की सुरक्षा के लिए ‘निवारक उपाय’ किए जाएँ।
अर्जी के जरिए कहा गया कि ये कदम न केवल राहुल की जान बचाने के लिए जरूरी है, बल्कि ये राज्य का संवैधानिक कर्तव्य भी है। अर्जी में ये भी जिक्र था कि सत्यकी सावरकर अपने प्रभाव का दुरुपयोग कर सकते हैं, जिससे राहुल को निशाना बनाया जा सकता है।
राहुल का यू-टर्न
लेकिन इस अर्जी के कुछ ही घंटों बाद कॉन्ग्रेस की ओर से सुप्रिया सुनेत का बयान आया, जिसने सबको हैरान कर दिया।
सुप्रिया श्रीनेता ने एक्स पर लिखा कि वकील ने राहुल से बिना पूछे ये अर्जी दायर की थी। राहुल ने इस पर सख्त आपत्ति जताई और इसे वापस लेने का फैसला किया। सुप्रिया ने वकील के प्रेस नोट को भी शेयर किया, जिसमें वकील ने माना कि उन्होंने राहुल की सहमति के बिना ये बयान कोर्ट में दिया। सुप्रिया ने लिखा, “राहुल गाँधी ने इस अर्जी के कंटेंट से असहमति जताई है। उनके वकील गुरुवार को इसे कोर्ट से वापस लेंगे।”
राहुल गांधी जी के वकील ने बिना उनसे बात किए या उनकी सहमति लिए अदालत में लिखित बयान दाखिल करके उनकी जान पर खतरे का हवाला दिया था.
इस बात से राहुल जी की घोर असहमति है.
इसलिए कल उनके वकील इस लिखित बयान को कोर्ट से वापस लेंगे.
यह रहा उनका वक्तव्यpic.twitter.com/guKU97ldrL — Supriya Shrinate (@SupriyaShrinate) August 13, 2025
पहले भी कर चुके हैं सावरकर पर विवादित बयानबाजी
ये पहली बार नहीं है जब राहुल गाँधी ने सावरकर को लेकर विवादित बयान दिए हों। 17 नवंबर 2022 को महाराष्ट्र के अकोला में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल ने एक रैली में सावरकर पर निशाना साधा था। उन्होंने एक चिट्ठी दिखाते हुए कहा कि सावरकर ने अंग्रेजों को लिखा था कि वो उनका नौकर बने रहना चाहते हैं और डर के मारे माफी माँगी थी।
राहुल ने कहा, “गाँधी, नेहरू और पटेल ने सालों तक जेल में समय बिताया, लेकिन उन्होंने कभी ऐसी चिट्ठी पर साइन नहीं किए। सावरकर ने ऐसा करके गाँधी और पटेल को धोखा दिया।”
इस बयान के बाद लखनऊ के वकील नृपेंद्र पांडे ने 14 जून 2023 को राहुल के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज कराया। पांडे ने आरोप लगाया कि राहुल ने सावरकर को ‘अंग्रेजों का नौकर’ और ‘पेंशनभोगी’ कहकर समाज में नफरत फैलाने की कोशिश की।
सुप्रीम कोर्ट से लग चुकी है फटकार
सावरकर पर राहुल के बयानों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी 26 अप्रैल को उन्हें फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा, “हम स्वतंत्रता सेनानियों के खिलाफ अनाप-शनाप बयानबाजी की इजाजत नहीं दे सकते। उन्होंने हमें आजादी दिलाई, और हम उनके साथ ऐसा व्यवहार कर रहे हैं।” कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर राहुल ने भविष्य में ऐसा कोई बयान दिया, तो स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई की जाएगी। हालाँकि, कोर्ट ने सावरकर मामले में राहुल के खिलाफ ट्रायल कोर्ट के समन पर रोक लगा दी थी।
कॉन्ग्रेस पर सवाल, नहीं चलेगा पुराना पैंतरा
इस पूरे घटनाक्रम ने कॉन्ग्रेस की रणनीति पर सवाल उठा दिए हैं। कुछ लोग इसे राहुल की छवि को चमकाने का हथकंडा बता रहे हैं। सोशल मीडिया पर चर्चा गरम है कि पहले जान को खतरा बताकर सुर्खियाँ बटोरी गईं और अब अर्जी वापस लेकर नया ड्रामा रचा जा रहा है। एक यूजर ने लिखा, “कॉन्ग्रेस पहले डर का माहौल बनाती है, फिर सहानुभूति बटोरने के लिए अर्जी वापस लेती है। ये पुराना पैतरा अब नहीं चलेगा।”
अब सबकी नजर गुरुवार को पुणे कोर्ट की सुनवाई पर है। क्या वकील की अर्जी वाकई वापस ली जाएगी? और अगर हाँ, तो इसका सावरकर मानहानि केस पर क्या असर पड़ेगा? कॉन्ग्रेस की इस रणनीति का राजनीतिक फायदा होगा या नुकसान, ये भी देखने वाली बात होगी। फिलहाल, ये मामला कॉन्ग्रेस और राहुल गाँधी के लिए एक नई चुनौती बन गया है। इस घटनाक्रम ने एक बार फिर साबित कर दिया कि कॉन्ग्रेसी राजनीति में ड्रामे और ट्विस्ट की कोई कमी नहीं है।