
गौरतलब है कि आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 10 सितंबर 2025 को कुल ₹7,616 करोड़ की दो अहम परियोजनाओं को मंजूरी दी। पहली परियोजना बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में भागलपुर-दुमका-रामपुरहाट सिंगल रेलवे लाइन खंड का है। इसमें कुल 177 किलोमीटर लंबा रेलवे लाइन का दोहरीकरण किया जाएगा। इसकी कुल लागत ₹3,169 करोड़ है।
दूसरी परियोजना बिहार में बक्सर-भागलपुर हाई-स्पीड कॉरिडोर के 82.4 किलोमीटर लंबे मोकामा-मुंगेर खंड का 4-लेन ग्रीनफील्ड एक्सेस-कंट्रोल है, जिसकी लागत ₹4447.38 करोड़ है। रेलवे ट्रैक दोहरीकरण परियोजना बिहार सहित तीन राज्यों से होकर गुजरती है, जबकि एक्सेस-कंट्रोल हाईवे परियोजना बिहार के लिए है।
Story that caught the eye: Cabinet okays Rs 7,616 crore worth of infra projects for poll-bound Bihar.
5 qs:
1) why are mega projects for states unveiled only at election time?
2) Is there any rigorous audit on how the money (obtained from us taxpayers) is actually spent?
3)…— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) September 11, 2025
राजदीप सरदेसाई ने आरोप लगाया कि दोनों परियोजनाओं को आगामी बिहार विधानसभा चुनावों के कारण ही मंज़ूरी दी गई है। उन्होंने 5 सवाल उठाए – राज्यों के लिए बड़ी परियोजनाओं का अनावरण केवल चुनाव के समय ही क्यों किया जाता है? क्या इस बात का कोई ऑडिट होता है कि पैसा वास्तव में कैसे खर्च किया जाता है? क्या केंद्र और विपक्ष शासित राज्यों के लिए नियम अलग-अलग हैं? अगर एक राष्ट्र, एक चुनाव हो तो क्या होगा? क्या ये कहा जा सकता है कि एक पार्टी की फ्रीबीज या रेवड़ी, दूसरी पार्टी के लिए कल्याणकारी/विकास कहलाता है?
राजदीप सरदेसाई ने ये सवाल पूरी तरह से झूठे और निराधार दावे के आधार पर उठाए हैं, क्योंकि यह आरोप लगाना पूरी तरह से गलत है कि मोदी सरकार केवल चुनाव के समय ही बड़ी परियोजनाओं को मंजूरी देती है। एनडीए सरकार का बुनियादी ढाँचे पर जोर जगजाहिर है और लगभग हर कैबिनेट बैठक में ऐसी बड़ी परियोजनाओं को नियमित रूप से मंज़ूरी दी जाती है। पिछले कुछ महीनों में, सरकार ने पूरे भारत में ऐसी कई परियोजनाओं को मंजूरी दी है। ऐसी परियोजनाओं में एनडीए और गैर-एनडीए दोनों दलों द्वारा शासित राज्य और वे राज्य शामिल हैं जहाँ हाल ही में चुनाव नहीं हुए हैं।
पिछले कुछ महीनों में घोषित प्रोजेक्ट
Date | Project | States | Amount |
27 August 2025 | Railway multi tracking projects | Karnataka, Telangana, Bihar, Assam | ₹12,328 Crore |
27 August 2025 | New railway line project | Gujarat | ₹2,526 Crore |
19 August 2025 | Green Field Airport at Kota-Bundi | Rajasthan | ₹1,507.00 Crore |
12 August 2025 | 700 MW Tato-II Hydro Electric Project | Arunachal Pradesh | ₹8,146.21 Crore |
8 August 2025 | 4-lane Marakkanam – Puducherry Road | Tamil Nadu | ₹2,157 Crore |
31 July 2025 | Railway multi tracking projects | Maharashtra, Madhya Pradesh, West Bengal, Bihar, Odisha, and Jharkhand | ₹11,169 Crore |
1 July 2025 | 4-Lane Paramakudi – Ramanathapuram Road | Tamil Nadu | ₹1853 Crore |
11 June 2025 | Railway multi tracking projects | Jharkhand, Karnataka and Andhra Pradesh | ₹6,405 Crore |
28 May 2025 | Railway multi tracking projects | Maharashtra and Madhya Pradesh | ₹3,399 Crore |
28 May 2025 | 4-Lane Badvel- Nellore Highway | Andhra Pradesh | ₹3,653.10 Crore |
9 April 2025 | 6 lane access controlled Zirakpur Bypass | Punjab and Haryana | ₹1,878.31 Crore |
9 April 2025 | Railway multi tracking projects | Andhra Pradesh and Tamil Nadu | ₹1,332 Crore |
4 April 2025 | Railway multi tracking projects | Maharashtra, Odisha, and Chhattisgarh | ₹18,658 Crore |
28 March 2025 | 4-Lane Highway project | Bihar | ₹3,712.40 Crore |
28 March 2025 | Kosi Mechi Intra-State Link Project | Bihar | ₹6,282.32 Crore |
19 March 2025 | 6- lane access controlled Greenfield Highway | Maharashtra | ₹4,500.62 Crore |
5 March 2025 | Govindghat to Hemkund Ropeway project | Uttarakhand | ₹2,730.13 Crore |
5 March 2025 | Sonprayag to Kedarnath Ropeway project | Uttarakhand | ₹4,081.28 Crore |
Total | ₹66,039.06 Crore | ||
उपरोक्त तालिका से साफ पता चलता है कि राजदीप सरदेसाई केंद्र सरकार पर झूठे आरोप लगाने के लिए कैसे झूठ बोल रहे हैं। पिछले छह महीनों में, सरकार ने हर महीने कई ऐसी ही बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को मंजूरी दी है।
इसके अलावा, राज्यों पर एक नज़र डालें तो पता चलता है कि राजदीप सरदेसाई का केवल चुनाव से पहले ही परियोजना शुरू करने की पहल करना और विपक्षी राज्यों के साथ भेदभाव करने का दावा भी पूरी तरह से गलत है। कई परियोजनाओं को उन राज्यों के लिए भी मंजूरी दी गई है, जहाँ विधानसभा चुनाव नहीं होने वाले हैं। इनमें गैर-एनडीए शासित राज्यों, तमिलनाडु, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, पंजाब, मेघालय शामिल हैं।
अब, राजदीप सरदेसाई के सवालों के जवाब यहाँ दिए गए हैं।
1) राज्यों के लिए बड़ी परियोजनाओं का अनावरण केवल चुनाव के समय ही क्यों किया जाता है?
उत्तर: यह दावा गलत है, राज्यों के लिए बड़ी परियोजनाओं का अनावरण हमेशा होता रहता है, न कि केवल चुनाव के समय, जैसा कि ऊपर देखा जा सकता है।
2) क्या इस बात का ऑडिट होता है कि (हम करदाताओं से प्राप्त) धन वास्तव में कैसे खर्च किया जाता है?
उत्तर: एक अनुभवी पत्रकार का यह सवाल बेतुका है। CAG बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं सहित सरकार के सभी खर्चों का ऑडिट करता है। रेलवे, NHAI और अन्य संबंधित कार्यान्वयन संगठनों के अपने आंतरिक ऑडिट होते हैं।
इसके अलावा, ये सभी परियोजनाएँ पूरी तरह से सरकारी पैसों पर निर्भर नहीं हैं, कई परियोजनाओं में निजी क्षेत्र भी मदद कर रहा है।
3) क्या केंद्र और विपक्ष शासित राज्यों के लिए नियम अलग-अलग हैं? क्या भेदभावपूर्ण संघवाद ‘डबल इंजन’ राजनीति का आधार है?
उत्तर: ऊपर दी गई लिस्ट से पता चलता है कि यह एक और झूठा दावा है। कई बड़ी बुनियादी ढाँचा परियोजनाएँ गैर-एनडीए शासित राज्यों में हैं। सड़क और रेलवे परियोजनाएँ कई राज्यों में फैली हुई हैं और सत्तारूढ़ दल के आधार पर उनका निर्माण संभव भी नहीं है।
नोट: राजदीप सरदेसाई ‘विपक्ष शासित’ शब्द सही नहीं है, क्योंकि विपक्ष का अर्थ सरकार में न होना है, कोई ‘विपक्ष शासित सरकार’ नहीं हो सकती। शायद वह ‘गैर-एनडीए शासित’ कहना चाहते थे।
4) अगर एक राष्ट्र, एक चुनाव हो तो क्या होगा?
उत्तर: यह एक काल्पनिक प्रश्न है जिसका फिलहाल कोई मतलब नहीं है। हालाँकि यह पहले ही बताया जा चुका है कि परियोजनाओं को बिना किसी चुनाव के मंजूरी दी जाती है।
5) क्या यह कहना उचित है कि एक पार्टी की मुफ्त/रेवड़ी दूसरी पार्टी के कल्याण/विकास का खजाना है?
उत्तर: एक और बेतुका सवाल, बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं पर पैसा खर्च होना फ्रीबीज या रेवड़ी नहीं है। रेवड़ी सीधे लोगों को दिया जाता है। जबकि ये पूँजीगत व्यय है, जो प्रमुख बुनियादी ढाँचे का निर्माण करेंगे, रोजगार पैदा करेंगे और उन स्थानों के समग्र आर्थिक विकास में योगदान देंगे।
2025 में परियोजनाओं की लगातार मंज़ूरी, यह साबित करता है कि राजदीप सरदेसाई कितनी बेशर्मी से झूठ बोल रहे हैं। ये परियोजनाएँ पीएम गति शक्ति जैसी पहलों के तहत राष्ट्रीय बुनियादी ढाँचे के प्रति मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं। इनका चुनावों या राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है।
(मूल रूप से ये लेख अंग्रेजी में लिखा गया है। इसे पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)