बिहार विधानसभा चुनाव से पहले कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ चर्चा से ज्यादा विवादों में बनी हुई है। शनिवार (30 अगस्त 2025) को सारण जिले (छपरा) में जब यह यात्रा पहुँची तो वहाँ एक अजीब नजारा देखने को मिला।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मंच और सड़कों पर भीड़ तो जुटी लेकिन उनमें से कई लोगों को यह तक नहीं मालूम था कि वे किस रैली में आए हैं और उसका मकसद क्या है। रैली में शामिल शख्स का दावा है कि बड़ी संख्या में लोगों को 500-500 रुपए देकर यात्रा में शामिल किया गया। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि लोकतंत्र और वोटरों के अधिकार की बात करने वाली यह यात्रा असल में भीड़ दिखाने का राजनीतिक कार्यक्रम भर है।
रैली में शामिल एक शख्स ने News18 से बात करते हुए कहा, “हमें रैली में आने के लिए 500 रुपए मिले हैं। दिन भर की मजदूरी मिल गई। हमारे साथ 20-25 आदमी आए थे, हमें झंडा लेकर खड़ा रहने को कहा गया था।” हालाँकि, जब इस शख्स ने पूछा गया कि वोटर अधिकार क्या है तो यह नहीं बता सका। शख्स ने टीशर्ट मिलने की बात भी कही है।
बीजेपी नेता अमित मालवीय ने यह वीडियो X पर शेयर करते हुए लिखा है कि राहुल गाँधी की वोटर अधिकार यात्रा की पोल खुल गई है। उन्होंने लिखा, “नकली नारों और पैसों की भीड़ से राजनीति करने वालों को जनता भली-भाँति पहचानती है।”
छपरा में राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ की खुली पोल!
लोगों ने खुद स्वीकार किया कि यात्रा में भीड़ जुटाने के लिए उन्हें ₹500 दिये गये।
नक़ली नारों और पैसों की भीड़ से राजनीति करने वालों को जनता भली-भांति पहचानती है। pic.twitter.com/B1BWyUcJcY— Amit Malviya (@amitmalviya) August 30, 2025
रैली के दौरान राहुल गाँधी, अखिलेश यादव और तेजस्वी यादव खुले वाहन पर सवार होकर भीड़ का अभिवादन कर रहे थे, तभी नीचे से ‘नरेंद्र मोदी जिंदाबाद’ के नारे लगे और काले झंडे दिखाए गए।
यह दूसरा मौका है जब यात्रा किसी नकारात्मक वजह से सुर्खियों में आई। इससे पहले दरभंगा में राहुल गाँधी के मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को माँ की गाली दी गई थी, जिसके आरोपित को जेल भेजा गया।
सारण में हुए हंगामे और पैसे देकर भीड़ जुटाने की खबरों ने इस यात्रा की साख पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। जो लोग 500 रुपए लेकर रैली में पहुँचे, उन्हें न तो रैली का असली मकसद मालूम था और न ही यह जानकारी कि कॉन्ग्रेस किस अधिकार की लड़ाई की बात कर रही है।
ऐसे में राहुल गाँधी का यह दावा खोखला साबित होता है कि यात्रा जनता की भागीदारी और लोकतंत्र की रक्षा के लिए है। यह भी गौर करने वाली बात है कि यात्रा के 14वें दिन सारण में यह विवाद हुआ।
इससे पहले भी कई जिलों से होकर यह यात्रा गुजरी है, लेकिन हर जगह भीड़ जुटाने के लिए कॉन्ग्रेस और सहयोगी दलों को एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ा। 1 सितंबर को पटना में इस यात्रा का समापन एक विशाल पैदल मार्च से होना है, लेकिन सवाल यही है कि क्या यह भीड़ वास्तविक जनसमर्थन की है या फिर केवल पैसों और व्यवस्थाओं से बनाई गई एक दिखावटी तस्वीर? जहाँ लोगों को असली मकसद ही नहीं पता की वो इस यात्रा में किस लिए आए है।