भारत का रक्षा उत्पादन वित्त वर्ष 2024-25 में रिकॉर्ड 1 लाख 50 हजार 590 करोड़ रुपये तक पहुँच गया है। यह पिछले साल से 18% ज्यादा और 2019-20 की तुलना में 90% की बड़ी बढ़ोतरी है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियानों की ऐतिहासिक कामयाबी बताया।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इस बारे में एक्स पर पोस्ट करके सूचना दी है। उन्होंने लिखा, “भारत का रक्षा उत्पादन 2024-25 में रिकॉर्ड 1.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुँच गया। पिछले साल के 1.27 लाख करोड़ से 18% ज्यादा और 2019-20 के 79,071 करोड़ से 90% की बड़ी बढ़ोतरी। मैं रक्षा उत्पादन विभाग, सरकारी कंपनियों और निजी उद्योगों की मेहनत की तारीफ करता हूं। ये तरक्की दिखाती है कि भारत का रक्षा उद्योग कितना मजबूत हो रहा है।”
I commend the collective efforts of the Department of DefenceProduction and all stakeholders i.e., DPSUs, public sector manufacturers, and the private industry in achieving this landmark. This upward trajectory is a clear indicator of India's strengthening defence industrial…
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) August 9, 2025
सरकार के आँकड़ों के मुताबिक, रक्षा उत्पादन में 77% हिस्सा रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (डीपीएसयू) और सरकारी संस्थाओं का है, जबकि 23% निजी कंपनियों का योगदान है। खास बात ये है कि निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी में 2% की बढ़ोतरी हुई, जो रक्षा निर्माण में उनकी बढ़ती भूमिका दिखाती है। डीपीएसयू के उत्पादन में 16% और निजी क्षेत्र में 28% की वृद्धि हुई।
मंत्रालय का कहना है कि नीतिगत सुधार, व्यापार को आसान बनाना और स्वदेशी उत्पादन पर जोर देने से ये मुमकिन हुआ। यह न सिर्फ रक्षा क्षेत्र को मजबूत कर रहा है, बल्कि रोजगार और तकनीकी विकास को भी बढ़ावा दे रहा है।
आत्मनिर्भर भारत के तहत पुराने हेलीकॉप्टरों की विदाई, नए निर्माण की तैयारी
इसके साथ ही, मोदी सरकार सेना और एयरफोर्स को अपग्रेड करने में जुटी है। पुराने चेतक और चीता हेलीकॉप्टरों को रिटायर करने की तैयारी शुरू हो गई है। ये हेलीकॉप्टर 1960 के दशक की डिजाइन पर बने थे और लंबे समय से सेना-एयरफोर्स में काम कर रहे थे। लेकिन अब इनकी क्षमता और सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं। हाल के सालों में इनमें कई दुर्घटनाएँ हुईं, जिनमें बहादुर सैनिकों ने बलिदान दिया। इसलिए इन्हें धीरे-धीरे हटाया जा रहा है।
रक्षा मंत्रालय ने 200 नए हल्के हेलीकॉप्टरों की खरीद के लिए जानकारी माँगी है। इनमें से 120 सेना को और 80 एयरफोर्स को मिलेंगे। ये हेलीकॉप्टर दिन-रात टोही, निगरानी, खोज-बचाव, विशेष मिशन, सैनिकों की तेज तैनाती और सामान ढोने में सक्षम होंगे। ये हमलावर हेलीकॉप्टरों के साथ तालमेल बनाकर काम करेंगे और अंदर-बाहर से भारी सामान उठा सकेंगे, जिससे इनका इस्तेमाल बहुत लचीला होगा।
रक्षा मंत्रालय ने साफ किया है कि ये हेलीकॉप्टर भारत में ही बनाए जाएँगे। भारतीय कंपनियाँ विदेशी कंपनियों के साथ मिलकर इन्हें तैयार करेंगी। इससे आत्मनिर्भर भारत अभियान को बल मिलेगा और स्वदेशी रक्षा निर्माण को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) से 156 हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर खरीदने की मंजूरी दी गई है। इनकी लागत 45 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा है।
ये हेलीकॉप्टर सेना और एयरफोर्स के पास रहेंगे और चीन-पाकिस्तान सीमाओं पर तैनात होंगे। इससे सीमाओं पर भारत की स्थिति और मजबूत होगी। एयरफोर्स हल्के फाइटर जेट (एलसीए), हल्के उपयोगी हेलीकॉप्टर (एलयूएच), मल्टी-परपज हेलीकॉप्टर और हवा में ईंधन भरने वाले विमानों की खरीद की योजना बना रही है। साथ ही रडार, गाइडेड हथियार, ड्रोन (यूएवी) और ट्रेनिंग विमानों के निर्माण पर भी ध्यान दे रही है।
ये आधुनिक हेलीकॉप्टर न केवल सर्वे और निगरानी करेंगे, बल्कि छोटे सैनिक दलों की आवाजाही, विशेष अभियानों में सहायता, हमलावर हेलीकॉप्टरों के साथ समन्वय और सामरिक रसद पहुँचाने जैसे कार्यों के लिए भी सक्षम होंगे। साथ ही ये आंतरिक और बाहरी भार वहन करने में भी सक्षम होंगे, जिससे इनका इस्तेमाल बेहद लचीला और उपयोगी बन जाता है।
यह सारी कोशिशें भारत को एक ताकतवर रक्षा शक्ति बनाने की दिशा में हैं। रक्षा उत्पादन में रिकॉर्ड बढ़ोतरी से न सिर्फ सेना-एयरफोर्स आधुनिक होंगी, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी फायदा होगा। स्वदेशी निर्माण से विदेशी आयात पर निर्भरता कम होगी और तकनीकी विकास को बढ़ावा मिलेगा। निजी और सरकारी क्षेत्र की साझेदारी इस दिशा में एक नया रास्ता खोल रही है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि यह उपलब्धि भारत के रक्षा क्षेत्र की ताकत और आत्मनिर्भरता की मिसाल है। पुराने उपकरणों को हटाकर नए लाना और स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देना देश को मजबूत और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा कदम है।