जोहरान ममदानी और निधि राजदान

न्यूयॉर्क के मेयर चुनावों से चर्चा में आए जोहरान ममदानी को लिबरल और वामपंथी हर तरह से मीडिया में हीरो दिखाने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे लोगों में एक नाम निधि राजदान का भी है। निधि ने हाल में एक्स (पहले ट्विटर) पर जोहरान ममदानी के लिए लिखे एक विचार को शेयर किया। इसमें उन्होंने जोहरान ममदानी की प्रशंसा के बहाने भारत को बदनाम करने का कुत्सित प्रयास किया।

यह वही निधि राजदान हैं जो कभी NDTV में कम करती थीं। फिर इन्होंने ऐलान किया था कि वह अब हार्वर्ड विश्वविद्यालय पढ़ाने जा रही हैं। बाद में पता चला था कि उन्हें इस संबंध में एक फर्जी मेल आया था और राजदान स्वयं एक फिशिंग अटैक का शिकार हो गईं थी। इससे उनकी काफी जगहंसाई हुई थी।

निधि राजदान ने क्या कहा?

पोस्ट में निधि राजदान ने गल्फ न्यूज पर लिखे अपने एक लेख को साझा किया। निधि राजदान ने इसमें कहा कि जोहरान ममदानी पर अमेरिका में चर्चा का कारण उनकी विचारधारा है जबकि भारत में ममदानी को लेकर होने वाली बात उनके मजहब तक केन्द्रित है। राजदान ने दावा किया कि कई लोग उसे पाकिस्तान से जोड़ रहे हैं।
राजदान ने लिखा है कि ममदानी से दक्षिणपंथी इसलिए इतनी नफरत करते हैं क्योंकि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आलोचक हैं और इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू की गाजा पर कार्रवाई का विरोध कर चुके हैं।

अपने लेख में उन्होंने ममदानी के वादों की तुलना आम आदमी पार्टी के वादों से की और ये दिखाया कि वो कितनी कल्याणकारी योजनाओं के साथ आगे बढ़ रहा है। आगे ममदानी ने कहा कि भारत में सिर्फ ममदानी का मजहब देखा जा रहा है जबकि अमेरिका में उनके विचार क्रान्ति ला सकते हैं।

निधि राजदान ने यह दावा किया कि ममदानी की बढ़ती लोकप्रियता से उनके विरोधी रिपब्लिकन तो क्या, उनकी पार्टी के ही डेमोक्रेट भी डरे हुए हैं। निधि राजदान ने इसी को आधार बनाते हुए यह ज्ञान दिया कि भारतीयों को इसी तरह सीख लेनी चाहिए और ममदानी के मजहब पर बात नहीं होनी चाहिए।

अमेरिका में ममदानी का मजहब ही चर्चा में

दिलचस्प बात ये है कि भारत को कोसने के चक्कर में निधि राजदान ने अमेरिका से आने वाली जोहरान ममदानी से जुड़ी खबरों पर आँख मूँद ली है। चूँकि अगर गौर से देखती तो उन्हें ये पता चलता कि भारत से कहीं अधिक जोहरान ममदानी के मजहब को लेकर उतना नहीं उछाला गया जितना अमेरिका में इसे लेकर बातें हो रही हैं।

अमेरिकी खुलेआम उनके इस्लाम से जुड़ाव को लेकर सवाल उठा रहे हैं। लोग पूछ रहे हैं कि 24 साल पहले मुस्लिमों के समूह ने 2753 लोगों को 9/11 पर मार गिराया था और अब एक मुस्लिम न्यूयॉर्क सिटी चलाएगा?

अमेरिका में उनके बयानों को देखते हुए उन्हें इस्लामिक समर्थक नेता के तौर पर माना जाने लगा है। लोग उन पर खुलेआम नस्लीय टिप्पणियाँ कर रहे हैं। नवंबर में न्यूयॉर्क का मेयर चुन लिया जाएगा। इसे देखते हुए ममदानी को अमेरिका में 9/11 घटना की याद दिलाई जा रही है। लोग कह रहे हैं कि आतंकियों ने 2753 लोगों को मार दिया था। अब ऐसा ही ‘मुस्लिम सोशलिस्ट’ न्यूयॉर्क का मेयर बनने की दौड़ में है। यहाँ तक कि डोनल्ड ट्रंप जूनियर भी कह रहे हैं कि ‘न्यूयॉर्क शहर ढह जाएगा।’

रिपब्लिकन सांसद एंडी ओगल्स ने यहाँ तक कह दी है कि जोहरान ममदानी की नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए। ममदानी को ‘छोटा मुहम्मद’ कहकर संबोधित किया जा रहा है। उन्होंने एक्स पर लिखा है, ”जोहरान ‘लिटिल मुहम्मद’ ममदानी यहूदी विरोधी, समाजवादी और कम्युनिस्ट है, वह बेहतरीन सिटी न्यूयॉर्क को बर्बाद कर देगा। उसे वापस भेज देना चाहिए। इसीलिए मैं नागरिकता छीनने की प्रक्रिया शुरू करने की माँग कर रहा हूँ।”

लोग यहाँ तक कह रहे हैं कि अगर न्यूयॉर्क मेयर का चुनाव जोहरान ममदानी जीतते हैं तो न्यूयॉर्क को पहला ‘मुस्लिम मेयर’ मिल जाएगा। यहाँ तक कि खुद ममदानी से स्वीकार किया है कि अमेरिका में मुस्लिम होने की वजह से कई तरह के हमलों का उन्हें सामना करना पड़ा है।

अमेरिका में यहूदी विरोधी बयान को लेकर कई लोगों ने कहा है कि न्यूयॉर्क में यहूदी विरोध नहीं चलेगा। वहीं गाजा हमला, ईरान हमले को लेकर इजरायल की आलोचना करने के ममदानी के तरीके पर सवाल उठाए हैं।

ममदानी ने एक सवाल के जवाब में कहा था कि अगर उन्हें न्यूयॉर्क के मेयर के रूप में इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू का स्वागत करना पड़ा तो वे क्या करेंगे? इसके जवाब में ममदानी ने कहा था कि वो नेतन्याहू को गिरफ्तार कर लेंगे। ममदानी के बयानों की अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कड़ी आलोचना की थी और यहाँ तक कहा था कि अगर ममदानी यूयॉर्क के मेयर बनते हैं तो वे फंड रोक देंगे।

ममदानी का इतिहास भारत विरोध से भरा

अमेरिका में सोशल मीडिया इन सब खबरों से पटा पड़ा है। लेकिन भारत में सोशल मीडिया से लेकर ममदानी के बयानों पर बात हुई है। ममदानी के भारत विरोधी और पीएम मोदी के खिलाफ दिये गए बयानों की न सिर्फ भारत में आलोचना हुई, बल्कि उनके निर्वाचन क्षेत्र न्यूयॉर्क में रहने वाले भारतीय अमेरिकी समुदाय के करीब 2 लाख से अधिक लोगों ने ममदानी की आलोचना की थी।

ममरानी ने 2002 के गुजरात दंगों को लेकर पीएम मोदी को लगातार निशाना बनाया है। ममदानी ने पीएम मोदी को ‘युद्ध अपराधी’ और ‘मुसलमानों के नरसंहार’ करने वाला तक बताया है। इस दौरान सिर्फ पीएम मोदी पर हमला नहीं किया गया, बल्कि हिंदू धर्म और संस्कृति को भी निशाना बनाने की कोशिश की गई है।

ममदानी ने एक फोरम में पीएम मोदी की तुलना इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू से की और दोनों को ‘युद्ध अपराधी’ करार दे दिया था।

भारत में ममदानी की ‘सोच’ पर चल रही चर्चा

भारत में ममदानी को लेकर जब भी बात हुई है तो उसके विचारों और बयानों को ही आधार बनाया गया है ना कि उसके मजहब को निशाना बनाया गया है। फिल्ममेकर मीरा नायर के बेटे ममदानी के विचारों की आलोचना ऑपइंडिया ने भी की है। ऑपइंडिया ने पीएम मोदी को फासिस्ट कहने और और भारत विरोधी खासकर हिन्दुओं के खिलाफ जहर उगलने पर उसकी आलोचना की थी ना कि उसके मजहब को निशाना बनाया था।

भारत में ममदानी की आलोचना का केंद्र उसके वादे भी रहे हैं। ममदानी अपने चुनाव में न्यूयॉर्क के भीतर राशन की दुकानें खुलवाने, फ्री बस चलवाने, किराए बढ़ाने पर रोक लगाने और टैक्स बढ़ाने के वादे कर रहे हैं। भारत में आलोचना हो रही है कि यह आइडिया सालों पहले भारत में आजमाए जा चुके हैं और फेल भी हुए हैं। ममदानी लेकिन अब उन्हीं कथित समाजवादी आइडिया को अमेरिका भीतर नई पैकिंग में बेच रहे हैं। इसकी भारत में काफी आलोचना हुई थी।

भारतीयों नहीं, निधि राजदान की नीयत में खोट

बात दरअसल ये है कि निधि राजदान जैसे लिबरल पत्रकार किसी दूसरे लिबरल की आलोचना स्वीकार करने में सक्षम नहीं हैं। भले ही इसके लिए उन्हें भारत को ही नीचा क्यों ना दिखाना पड़े। निधि राजदान अगर असल बात पकड़ पातीं तो उन्हें पता चलता कि भारत में बिल्कुल पिन पॉइंट तरीके से ममदानी की आलोचना हुई है। यदि भारत में आलोचना का अकेला एक आधार किसी नेता का मुस्लिम होना होता तो भारतीय दिन रात फिर सऊदी अरब के प्रधानमंत्री या UAE के नेताओं की आलोचना करते रहते।

भारतीयों ने शायद ही कभी इन नेताओं की आलोचना की हो। यहाँ तक कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ की भी आलोचना का केंद्र उसकी भारत विरोधी हरकतें और बयान होते हैं ना कि उसका मुस्लिम होना। ऐसे में यह कहना कि भारतीयों की आलोचना का दायरा सिर्फ मजहब तक रहता है एकदम आधारहीन और खुद की सतही सोच का नतीजा है। अच्छा होगा कि निधि राजदान थोड़ा असलियत को समझतीं और खुद आलोचना करते समय यह बौद्धिक जुगाली ना करके ढंग की बात कहतीं।



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