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‘मंदिर-देवताओं के हितों की रक्षा करने को न्यायालय बाध्य’: मद्रास HC ने खारिज की फातिमा की याचिका, शौहर इकबाल की मौत के बाद लेना चाहती थी तमिलनाडु के मंदिर की प्रॉपर्टी


पेरुमल देवस्थानम चेन्नई

मद्रास हाईको्र्ट ने कहा है कि भगवान में आस्था रखने वाला कोई भी व्यक्ति मंदिर की संपत्तियों की सुरक्षा के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है। हाईकोर्ट ने ये भी कहा है कि न्यायालय मंदिर और देवता के हितों की रक्षा करने के लिए बाध्य है।

ये टिप्पणी करते हुए याचिकाकर्ता एए फातिमा नाचिया की दायर अर्जी खारिज कर दी। फातिमा नाचिया चेन्नई के चन्नमल्लेश्वर और चन्न केशवरपेरुमल देवस्थानम की संपत्तियों पर कब्जा चाहती थी।

कोर्ट ने क्या कहा?

मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस एडी जगदीश चंदिरा ने अपने आदेश में कहा, ” मंदिर में रुचि रखने वाला कोई भी व्यक्ति कानून की शरण में आ सकता है और कोर्ट खुद भी मंदिर या देवताओं के हितों की रक्षा करने के लिए बाध्य है।”

क्या था मामला?

दरअसल मंदिर की संपत्ति याचिकाकर्ता फातिमा के शौहर मोहम्मद इकबाल को पट्टे पर दी गई थी। मंदिर प्रबंध कमेटी ने 1994 में उनके खिलाफ दीवानी अदालत में एक याचिका दायर की थी। इस पर सुनवाई करते हुए 2000 में कोर्ट ने इकबाल से पट्टे की जमीन वापस लेने का आदेश पारित किया। इसके बाद इकबाल ने कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील दायर की। इकबाल की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी फातिमा ने मुकदमा जारी रखा।

इस पर अब मद्रास हाईकोर्ट ने फैसला दिया है। कोर्ट ने ये भी टिप्पणी की कि याचिकाकर्ता विवाद को अनसुलझा रखने के लिए एक के बाद एक कई आवेदन दायर करके केवल कुछ तकनीकी पहलुओं पर मुकदमे को लंबा खींच रहा है।

ऐतिहासिक मंदिर है पेरुमल देवस्थानम

चन्ना मल्लेश्वरम और चन्ना केशव मंदिर को पेरुमल देवस्थानम कहा जाता है। चेन्नई के इन दोनों मंदिर को जुड़वां मंदिर कहा जाता है। ये मंदिर भगवान विष्णु (चेन्ना केशव) और भगवान शिव (चेन्ना मल्लेश्वर) को समर्पित हैं, साथ ही ये चेन्नई के इतिहास से जुड़े हुए हैं। चेन्ना शब्द से चेन्नई शब्द की उत्पत्ति हुई है। इसलिए हिन्दुओं के लिए ये प्राचीन मंदिर काफी अहम है।

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