न्यूयॉर्क शहर का मेयर बनने की रेस में शामिल जोहरान ममदानी का नाम इन दिनों खूब चर्चा में है। जोहरान, मशहूर फिल्ममेकर मीरा नायर और लेखक महमूद ममदानी का बेटा है। लेकिन उसकी चर्चा न तो किसी अच्छे काम के लिए है, न ही किसी बड़े विजन के लिए। उसका नाम विवादों में है, ऐसे विवादों में… जो भारत, हिंदुओं और यहूदियों के खिलाफ उसकी बयानबाजी और गतिविधियों से जुड़े हैं।
कभी पीएम मोदी को ‘फास्टिस्ट’ कहने वाला ममदानी भारत और हिंदुओं के खिलाफ लगातार आग उगलता रहा है। वो गुजरात दंगों को लेकर भी प्रोपेगेंडा चलाता रहा है और हिंदू विरोधी बयान भी देता रहा है।
चूँकि वो खुद को सोशलिस्ट कह कर लोगों के वोट पाना चाहता है, ऐसे में धीरे-धीरे ही सकती, उसका असली चेहरा बेनकाब होने लगा है। यही नहीं, इस चुनाव में उसका साथ भी वही जिहादी और इस्लामी कट्टरपंथी दे रहे हैं, जो भारत और हिंदुओं के खिलाफ ही नहीं, बल्कि यहूदियों के खिलाफ भी काम करते रहे हैं।
जोहरान खुद को ‘प्रोग्रेसिव’ और ‘सोशल जस्टिस’ का झंडाबरदार बताता है। लेकिन उसकी फंडिंग और समर्थन कहाँ से आ रहा है, ये देखकर उसकी असलियत सामने आती है।
भारत और हिंदू विरोधी होने के लिए कुख्यात काउंसिल ऑन अमेरिकन-इस्लामिक रिलेशंस (CAIR) नाम का इस्लामी कट्टरपंथी संगठन जोहरान के सबसे बड़े समर्थकों में से एक है। CAIR ने जोहरान की कैंपेन को चलाने वाली सबसे बड़ी कमेटी ‘न्यूयॉर्कर्स फॉर लोअर कॉस्ट्स’ को एक लाख डॉलर (लगभग 83 लाख रुपए) का चंदा दिया है। ये पैसा दो किस्तों में आया – 30 मई 2025 को 25,000 डॉलर और 16 जून 2025 को 75,000 डॉलर।

CAIR पर पहले से ही भारत और हिंदू विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देने के आरोप लगते रहे हैं, और अब उसका ममदानी को समर्थन देना कई सवाल खड़े कर रहा है।
CAIR का इतिहास देखें तो ये संगठन खुद को अमेरिका में मुस्लिमों के हक की लड़ाई लड़ने वाला बताता है। लेकिन हकीकत में ये भारत और हिंदुओं के खिलाफ लगातार जहर उगलता रहा है। 2022 में इसने एक रिपोर्ट निकाली थी, जिसमें अमेरिका में मुस्लिमों के साथ भेदभाव की बात कही गई थी।
लेकिन उसी CAIR ने भारत में हिंदू विरोधी प्रोपगैंडा को बढ़ावा दिया। मिसाल के तौर पर, 2021 में इसने ‘डिसमैंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व’ नाम के एक हिंदू विरोधी कॉन्फ्रेंस को सपोर्ट किया था। इतना ही नहीं, पिछले साल न्यू जर्सी में 26/11 के मुंबई हमले की सच्चाई दिखाने वाली एक मोबाइल बिलबोर्ड ट्रक को भी CAIR ने ‘नफरत फैलाने वाला’ करार दे दिया था।

CAIR का रुख सिर्फ हिंदू विरोधी ही नहीं, यहूदी विरोधी भी है। ये संगठन हमास जैसे आतंकी संगठन के समर्थन में भी खड़ा रहा है। 7 अक्टूबर 2023 को जब हमास ने इजरायल के निर्दोष नागरिकों का नरसंहार किया, CAIR के कुछ लोग उसका जश्न मना रहे थे।
जोहरान भी इस मामले में पीछे नहीं है। उसने ‘ग्लोबलाइज द इंतिफादा’ जैसे नारे का बचाव किया, जो यहूदियों के खिलाफ नफरत और हिंसा भड़काने वाला है। उसने इजरायल के अस्तित्व को मानने से भी इनकार किया है।
Mamdani, on The Bulwark podcast, says ‘Globalize the Intifada’ chant signifies, to him, a call for Palestinian human rights.
Adds: “The word has been used by the Holocaust Museum when translating the Warsaw Ghetto Uprising into Arabic — because it’s a word that means struggle.” pic.twitter.com/k2yeiSJpMy— Jacob N. Kornbluh (@jacobkornbluh) June 17, 2025
CAIR के अलावा जोहरान को और भी ऐसे लोगों का समर्थन मिल रहा है, जो या तो भारत विरोधी हैं, हिंदू विरोधी हैं, या फिर यहूदी विरोधी। मिसाल के लिए यहूदी विरोधी बयानों के लिए जानी जाने वाली लिंडा सरसौर, उसने जोहरान की कैंपेन को 2,500 डॉलर दिए। इसके अलावा इजरायल विरोधी संगठन ‘इफनॉट नाउ’ से जुड़े ‘एंड द ऑक्यूपेशन’ ग्रुप ने भी उसे 1,000 डॉलर का चंदा दिया। इजरायल पर ‘नरसंहार’ का इल्जाम लगाने वाले न्यू जर्सी के ‘द ट्रुथ प्रोजेक्ट’ ने भी 9 जून 2025 को उसे 10,000 डॉलर दिए।
जोहरान का भारत और हिंदुओं के प्रति रवैया भी साफ है। उसने कई बार भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘फासिस्ट’ और ‘वॉर क्रिमिनल’ कहा। 2002 के गुजरात दंगों को लेकर उसने झूठ बोला कि मोदी ने मुस्लिमों का कत्लेआम करवाया और गुजरात में अब मुस्लिम बचे ही नहीं। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने मोदी को क्लीन चिट दी है, और गुजरात में मुस्लिम आबादी बढ़ी है। जोहरान ने मोदी की तुलना इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू से की और दोनों को एक ही श्रेणी में रखा।
साल 2020 में जब अयोध्या में राम मंदिर बन रहा था, जोहरान ने इसके खिलाफ रैली निकाली। उस रैली में हिंदुओं के खिलाफ अपमानजनक नारे लगाए गए, और इसे खालिस्तानी तत्वों ने आयोजित किया था। 2023 में जब मोदी न्यूयॉर्क आए, तब भी जोहरान ने उनके खिलाफ जहर उगला।
जोहरान ने मोदी से जुड़े हिंदुओं को ‘फासिस्ट’ कहा और न्यूयॉर्क के दो भारतीय-अमेरिकी नेताओं जेनिफर राजकुमार और केविन थॉमस पर हमला बोला, क्योंकि उन्होंने मोदी की आलोचना नहीं की। राजकुमार ने जवाब में जोहरान के बयानों को ‘चरमपंथी और विभाजनकारी’ बताया और वोटरों से नफरत को खारिज करने की अपील की।
जोहरान को सिर्फ CAIR ही नहीं, बल्कि इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (IAMC) जैसे संगठनों का भी समर्थन मिल रहा है।
IAMC का इतिहास भी भारत और हिंदू विरोधी गतिविधियों से भरा है। इस संगठन के तार लश्कर-ए-तैयबा और जमात-ए-इस्लामी जैसे आतंकी संगठनों से जुड़े हैं। 2021 में IAMC और CAIR ने मिलकर भारत को ‘कंट्री ऑफ पार्टिकुलर कंसर्न’ घोषित करने की कोशिश की थी। IAMC पर भारत में फर्जी खबरें और प्रोपगैंडा फैलाने का भी इल्जाम है और इसे UAPA के तहत कार्रवाई का सामना करना पड़ा है।
यहाँ तक कि हाल ही में भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान भी IAMC और CAIR ने पाकिस्तान में पाकिस्तानी फौज समर्थित आतंकवादी प्रतिष्ठानों के खिलाफ भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की निंदा की थी।

इतना ही नहीं, जोहरान को सुनीता विश्वनाथ जैसी शख्सियतों का भी साथ मिला है, जो ‘हिंदूज फॉर ह्यूमन राइट्स’ (HfHR) की को-फाउंडर हैं। ये संगठन जॉर्ज सोरोस से फंडिंग लेता है और हिंदू विरोधी एजेंडा चलाता है। सुनीता ने हाल ही में जोहरान का समर्थन करते हुए कहा कि वो ‘एक हिंदू’ के तौर पर उसके साथ खड़ी हैं, जबकि उनके काम और बयान हिंदुत्व के खिलाफ हैं। HfHR को IAMC और ‘ऑर्गनाइजेशन फॉर माइनॉरिटीज ऑफ इंडिया’ ने 2019 में बनाया था। इन संगठनों ने मिलकर 2019 में मोदी के ह्यूस्टन दौरे के खिलाफ प्रदर्शन भी किया था।
As a Hindu, I am deeply chagrined at the attacks on @ZohranKMamdani from some Hindus. We are better than this. #NoToHate pic.twitter.com/511PWQIswH
— Sunita Viswanath (@SunitaSunitaV) June 20, 2025
जोहरान की कैंपेन को भारत के कुछ वामपंथी मीडिया हाउस भी बढ़ावा दे रहे हैं। वो उसे ‘प्रोग्रेसिव मुस्लिम’ के तौर पर पेश करते हैं, लेकिन उसका भारत, हिंदू और यहूदी विरोधी रुख उसकी असलियत बयान करता है।
जोहरान का मकसद साफ है – वो उन ताकतों का साथ लेकर न्यूयॉर्क का मेयर बनना चाहता है, जो भारत और हिंदुओं के खिलाफ हैं। लेकिन सवाल ये है कि क्या न्यूयॉर्क जैसे शहर के लोग ऐसे शख्स को अपना नेता चुनेंगे, जिसका एजेंडा नफरत और विभाजन पर टिका है? बहरहाल, इस सवाल का जवाब तो वक्त बीतने के साथ सामने आ ही जाएगा।
मूल रूप से ये रिपोर्ट अंग्रेजी में श्रद्धा पाण्डेय ने लिखी है। मूल रिपोर्ट यहाँ क्लिक करके पढ़ सकते हैं। इसका हिंदी भावानुवाद सौम्या सिंह ने किया है।