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भारत-पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता कर महान बनना चाहते थे डोनाल्ड ट्रंप, मोदी सरकार ने झिड़का तो टैरिफ लगाकर खीज निकालने लगा US का राष्ट्रपति: मीडिया रिपोर्ट


नरेंद्र मोदी, डोनाल्ड ट्रंप

लोगों के मन में सवाल उठ रहे होंगे कि जब अमेरिका की पिछली सरकारें भारत के साथ संबंधों को बेहतर बनाने के लिए बड़ी से बड़ी छूट भारत को दे रहे थे, तब उसी अमेरिका को ऐसी क्या चिढ़ हो गई कि वो भारत में टैरिफ पर टैरिफ लगाने लगा। हालाँकि अब शायद इसका जवाब सामने आ चुका है, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अमेरिका ने भारत पर 50% का भारी-भरकम टैरिफ (आयात शुल्क) क्यों लगाया?

एक अमेरिकी निवेश बैंक जेफरीज की रिपोर्ट के मुताबिक, इसका कारण है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव को सुलझाने में मध्यस्थता करने का मौका नहीं मिला। यानी ट्रंप को इस बात का गुस्सा है कि भारत ने उन्हें इस मसले में दखल देने से मना कर दिया।

रिपोर्ट कहती है कि ये टैरिफ ट्रंप के निजी नाराजगी का नतीजा हैं। ट्रंप को लगता था कि वे मई में भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु ताकत वाले देशों के बीच हुए तनाव को खत्म करने में मदद कर सकते थे। लेकिन भारत ने साफ कह दिया कि वह इस मामले में किसी तीसरे देश की दखलअंदाजी नहीं चाहता। भारत का ये रुख हमेशा से रहा है कि वह पाकिस्तान के साथ अपने मसलों को खुद सुलझाएगा।

ट्रंप ने कई बार दावा किया है कि उन्होंने दुनिया भर के कई झगड़ों को खत्म किया, जिसमें भारत-पाकिस्तान का मुद्दा भी शामिल है। व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलिन लेविट ने जुलाई में कहा था कि ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार मिलना चाहिए।

ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया साइट ट्रुथ सोशल पर लिखा था, “मैं दोनों देशों के साथ मिलकर कश्मीर जैसे हजार साल पुराने मसले का हल निकाल सकता हूँ।” लेकिन भारत ने उनकी इस पेशकश को ठुकरा दिया, क्योंकि भारत किसी बाहरी देश को अपने मामलों में दखल देने की इजाजत नहीं देता।

इसके अलावा टैरिफ लगाने की एक और वजह भारत का कृषि क्षेत्र है। जेफरीज की रिपोर्ट कहती है कि भारत ने अपनी खेती को बचाने के लिए विदेशी आयात को अपने कृषि बाजार में आने से रोका है। भारत में करीब 25 करोड़ किसान और मजदूर खेती पर निर्भर हैं। देश की 40% आबादी खेती से अपनी रोजी-रोटी चलाती है। इसलिए भारत सरकार ने हमेशा अपने किसानों को प्राथमिकता दी है और विदेशी कृषि उत्पादों को बाजार में लाने से बचती रही है।

अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेन्ट ने हाल ही में कहा था कि भारत व्यापार समझौतों में थोड़ा जिद्दी रवैया अपनाता है। भारत ने इन टैरिफ को “अनुचित और गलत” बताया है। भारत का कहना है कि उसे इस तरह निशाना बनाना ठीक नहीं है।

जेफरीज की रिपोर्ट ने चेतावनी दी है कि अगर अमेरिका भारत पर दबाव डालता रहा, तो भारत और चीन के बीच नजदीकियाँ बढ़ सकती हैं। दोनों देश सितंबर से पाँच साल बाद फिर से सीधी उड़ानें शुरू करने वाले हैं।

भारत ने भारी आर्थिक नुकसान के बावजूद अपनी नीति पर कायम रहते हुए किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को सिरे से नकार दिया। ये टैरिफ भारत के लिए चुनौती तो हैं, लेकिन भारत अपने स्टैंड पर अडिग है।

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