राहुल गाँधी

कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी भारत की अर्थव्यवस्था को ‘डेड’ करार दे रहे हैं। कुछ दिन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय अर्थव्यवस्था को ‘डेड’ कहा था। उनके सुर में सुर मिलाते हुए राहुल गाँधी ने अपनी बात कही है। लेकिन उनकी पार्टी के कई बड़े नेता ऐसा नहीं मानते।

कॉन्ग्रेस सांसद मनीष तिवारी, सांसद शशि थरूर, राजीव शुक्ला जैसे कई नेता भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत मानते हैं। कॉन्ग्रेस के ही सीनियर नेता भारतीय अर्थव्यवस्था को डेड कहने के राष्ट्रपति ट्रंप के बयान को गलत कहते हुए भारतीय इकोनॉमी को जीवंत बता रहे हैं, जबकि राहुल गाँधी अपनी ही पार्टी के नेताओं से सबक नहीं ले पा रहे।

भारत की अर्थव्यवस्था, एक ऐसी अर्थव्यवस्था जिसने हाल ही में जर्मनी को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का गौरव प्राप्त किया है। अनुमान है कि 2030 तक ये जापान को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था बन जाएगी। ऐसे देश के नेता विपक्ष अर्थव्यवस्था को ही ‘डेड’ घोषित करने में तुले हुए हैं। जबकि राहुल गाँधी खुद की आर्थिक स्थिति का ही आँकलन कर लें तो देश की अर्थव्यवस्था के विकास का कुछ अंदाजा उन्हें लग जाएगा।

दरअसल भारत पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत की अर्थव्यवस्था को डेड घोषित कर दिया। उनकी हाँ में हाँ मिलते हुए कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी ने उन्हें शुक्रिया तक कह दिया। सरकार को घेरते हुए राहुल गाँधी ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप सही कह रहे हैं। भारत के प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को छोड़कर बाकी सब जानते हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था ‘डेड’ है। उन्होंने यहाँ तक कहा कि भारत ने अडानी की मदद करने के लिए अर्थव्यवस्था को डेड कर दिया।

डोनाल्ड ट्रंप का तो समझा जा सकता है कि भारत के साथ व्यापार वार्ता सफल नहीं होने और भारत द्वारा F-35 फाइटर जेट जैसे रक्षा सौदों से साफ मना कर देने की वजह से उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को ही ‘डेड’ कह दिया। ये बयान भारत पर व्यापारिक दबाव बनाने के लिए ही दिया गया है। ट्रंप पाकिस्तान के साथ तेल सौदे की घोषणा कर भारत पर दबाव डाल रहे हैं, लेकिन वास्तव में भारत की विकास दर अमेरिका से कहीं ज्यादा है। इसलिए हमारी अर्थव्यवस्था ‘मृत’ नहीं बल्कि जीवंत है। लेकिन राहुल गाँधी भारत की अर्थव्यवस्था के विकास पर सवाल खड़े कर पूरे देश और दुनिया को क्या संदेश देना चाहते हैं? ऐसा तब है जब भारत की अर्थव्यवस्था न केवल बड़ी है, बल्कि स्वस्थ और गतिशील भी है, जो आत्मनिर्भर भारत की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है।

सरकार से सवाल पूछना विपक्षी दलों का अधिकार है लेकिन मोदी सरकार की खिलाफत करते- करते देश के खिलाफ बयानबाजी नेता विपक्ष की मानसिकता को दर्शाता है। वे नोटबंदी, जीएसटी और बेरोजगारी जैसे मुद्दों को उठाते हैं, लेकिन इसका राग वो वर्षों से गा रहे हैं।

राहुल गाँधी का यह रुख विपक्षी राजनीति का हिस्सा है, जहां वे हर सफलता पर नकारात्मकता ढूँढते हैं, जबकि आईएमएफ और दूसरी रिपोर्ट भारत को सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्था बता रही हैं।

कोरोना काल के बाद से भारत की ग्रोथ दुनिया में सबसे ज्यादा

भारत दुनिया में अभी सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है। पीआईबी के अनुसार 2024-25 में 6.5% वृद्धि के साथ भारत सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्था है। दुनिया के विकास में इसका योगदान 16 फीसदी है और दुनिया के पाँच सबसे बड़ी अर्थव्यस्थाओं में भारत शामिल है। पिछले एक दशक में भारत की स्थिति कमजोर अर्थव्यवस्था वाले देश से ऊपर उठ कर दुनिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था वाले देशों में शामिल होना ही मोदी सरकार में देश के विकास को दर्शाता है। माना जा रहा है कि भारत जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था वाला बन जाएगा। यहाँ तक की कोरोना काल में जब दुनिया त्रासदी से कराह रही थी और भारत में भी महामारी का व्यापक असर था, भारत की ग्रोथ रेट दुनिया में सबसे ज्यादा रही।

भारत ने इस दौरान बड़ी आबादी को गरीबी से मुक्त दिलाने, अनाज मुफ्त में देने से लेकर हर घर नल, शौचालय की व्यवस्था करने और हर व्यक्ति का बैंक खाता खोलने जैसी सुविधाएँ देकर भारतीयों की सामाजिक आर्थिक स्थिति में सुधार किया।

मनमोहन सिंह के वक्त कैसी थी अर्थव्यवस्था?

2014 में यूपीए की मनमोहन सिंह सरकार को करारी हार देने के बाद नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सत्ता पर काबिज हुई। कॉन्ग्रेस नेता मनमोहन सिंह के 2004 से 14 तक के 10 साल में महंगाई देश की बड़ी चुनौती थी। घोटालों से देश त्रस्त था। हर दिन नए घोटाले से देश दो-चार होता था।

मनमोहन सरकार के समय औसत वित्तीय घाटा 4.3 फीसदी रहा। जबकि मोदी सरकार में वित्तीय घाटे को कम करते हुए जीडीपी को दोगुना कर दिया है। विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड स्तर पर हैं और भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। मोदी के समय में संरचनात्मक सुधार हुए हैं जिसने अर्थव्यवस्था को अधिक लचीला बनाया है। डेलॉयट की रिपोर्ट में FY2024-25 के लिए 6.5% से 6.8% वृद्धि का अनुमान है, जो घरेलू माँग और निवेश पर आधारित है।

मनमोहन सरकार के वक्त से अब व्यापार करने की ज्यादा सहुलियतें हैं। दुनिया भर में व्यापार सुगमता सूचकांक के में भारत का स्थान करीब 60 है जो मनमोहन काल में 132 के आसपास था।

पीएम मोदी के पहले कार्यकाल में औसत जीडीपी विकास दर 7.7% रहा जबकि कोरोना के बाद दूसरे कार्यकाल में 6.8% रहा। कोरोना के बाद रिकवरी रेट 6.3-6.8% रहा। मुद्रास्फीति नियंत्रित रहा जिससे महंगाई से जनता को राहत मिली। जबकि मनमोहन सिंह के दस सालों में अर्थव्यवस्था में वैश्विक उछाल भी आया फिर भी जीडीपी प्रति व्यक्ति औसतन 6% से 4% रहा और असंतुलित विकास की वजह से महंगाई काफी बढ़ी।

मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस से विदेशी निवेश दोगुना हुआ। जबकि मनमोहन सिंह के समय भ्रष्टाचार और घोटालों की वजह से निवेशकों का विश्वास कम हुआ और विदेशी निवेश कम हुए। | यही वजह है कि उस वक्त विदेशी मुद्रा भंडार 300 बिलियन डॉलर थे जो अब बढ़ कर 600 बिलियन डॉलर से ज्यादा हो गए हैं। भारत की अर्थव्यवस्था अब 5 ट्रिलियन डॉलर की ओर है।

राहुल गाँधी की खुद की संपत्ति में हुआ जबरदस्त ग्रोथ

कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी के संपत्ति की बात की जाए तो उन्होंने मोदी सरकार में शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड में निवेश कर भारी मुनाफा कमाया। 2014 में जहाँ राहुल गाँधी की शेयर की वैल्यू 83 लाख रुपए थी, वहीं 2024 में बढ़कर ये 8.3 करोड़ रुपए हो गई यानी 10 गुणा ज्यादा। वहीं म्यूचुअल फंड से उन्होंने पिछले 10 सालों में 6.6- 8.3 करोड़ रुपए कमाए जबकि मनमोहन सरकार के समय 60-80 लाख ही कमा पाए थे। ऐसा उन्होंने शेयर बाजार में रिस्क लेते हुए निवेश कर कमाया। ये रिस्क लेने की हिम्मत उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था पर विश्वास जताकर ही पाई होगी।

चीन और पाकिस्तान से राग मिलाते रहे हैं राहुल

राहुल गाँधी पर चीन से चंदा लेने और उनकी भाषा बोलने के आरोप लग चुके हैं। पिछले दिनों भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया था कि राहुल गाँधी ने चीन के उस दावे को सहमति दे दी, जिसमें उसने अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताया था। वहीं ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर सवाल खड़े कर उन्होंने पूछा कि कितने जेट गिरे? इतना ही नहीं सीजफायर पर पीएम मोदी और सेना के आधिकारिक बयान पर विश्वास न जता कर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान को सही मानते हुए सवाल करना भी उनके मंसूबे को बताता है।

कॉन्ग्रेस नेताओं ने राहुल के बयान से किया किनारा

मोदी सरकार को घेरने के लिए राहुल गाँधी ने जिस तरह अमेरिकी राष्ट्रपति के बयान को लपका, इससे कॉन्ग्रेसी भी हैरान हैं। कॉन्ग्रेस सांसद मनीष तिवारी, शशि थरूर और राजीव शुक्ला ने राष्ट्रपति ट्रंप के बयान का खंडन करते हुए कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था मरी नहीं है बल्कि तेज गति से आगे बढ़ रही है। जो सुधार पीवी नरसिम्हा राव के समय में शुरू हुए मनमोहन काल में मजबूत हुए वो आज बिल्कुल भी कमजोर नहीं हुई है।

इसके बावजूद राहुल गाँधी भारत की अर्थव्यवस्था को ‘डेड’ कह रहे हैं तो ये देश की छवि ही खराब कर रहे हैं। साथ ही उन निवेशकों को भी गुमराह कर रहे हैं जो भारत के विकास में योगदान दे रहे हैं। कुल मिलाकर, भारत की अर्थव्यवस्था न केवल सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है बल्कि सबसे अच्छी है। हर तरह की चुनौतियों के बावजूद मजबूती से ये आगे बढ़ रही है। ट्रंप और राहुल जैसे नेताओं के बयान अपने अपने हित साधने के लिए दिए गए हैं, जो तथ्यों पर आधारित नहीं। भारत 2030 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है, और यह उपलब्धि मोदी सरकार की नीतियों की सफलता को दर्शाती है।



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