पाकिस्तान के सिंध प्रांत में एक बार फिर हिंदू समुदाय के उत्पीड़न का मामला सामने आया है। सिंध प्रांत के शाहदादपुर शहर में चार हिंदू भाई-बहनों जिया बाई (22 साल), दिया बाई (20 साल), दिशा बाई (16 साल) और उनके चचेरे भाई हरजीत कुमार (13 साल) का अपहरण कर लिया गया। इन मासूम बच्चों को जबरन इस्लाम मजहब अपनाने के लिए मजबूर किया गया।
इस मामले में हिंदुओं ने विरोध-प्रदर्शन किया और मामले को मीडिया में उठाया, जिसके बाद बैकफुट पर आए प्रशासन ने चारों बच्चों को बरामद कर लिया। हालाँकि उनका अपहरण करने वाले आरोपितों को कोर्ट ने बरी कर दिया।
यही नहीं, कोर्ट ने 2 बालिग लड़कियों को सेफ हाउस भिजवा दिया, तो 2 नाबालिग बच्चों की कस्टडी के लिए माँ-बाप से ही 10-10 मिलियन पाकिस्तानी रूपए यानी 1-1 करोड़ पाकिस्तानी रुपए का बॉन्ड भरवाया, ताकी दोनों बच्चों की घर वापसी न कराई जा सके और वो इस्लाम की प्रैक्टिस करते रहें। यानी हिंदू माँ-बाप अपने ही जबरन मुस्लिम बनाए गए बच्चों को इस्लामी तरीके से पालते रहें और इसकी गारंटी भी दें कि वो हिंदू नहीं बनेंगे।

क्या है पूरा मामला
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये घटना सिंध प्रांत के शाहदादपुर शहर की है, जो हिंदुओं की छोटी-मोटी आबादी वाला इलाका है। जिया, दिया, दिशा और हरजीत एक साधारण हिंदू परिवार से हैं। जिया और दिया मेडिकल की पढ़ाई कर रही हैं, जबकि दिशा 10वीं कक्षा की छात्रा है। हरजीत जो सिर्फ 13 साल का है, स्कूल में 8वीं कक्षा में पढ़ता है।
एक दिन ये चारों बच्चे अचानक गायब हो गए। परिवार ने आस-पास तलाश की, लेकिन कुछ पता नहीं चला। फिर खबर मिली कि बच्चों को शाहदादपुर से कराची ले जाया गया है। माँ ने स्थानीय पुलिस में शिकायत दर्ज की और बताया कि एक कंप्यूटर शिक्षक फरहान खासखेली ने बच्चों को बहलाकर उनका अपहरण किया।
माँ का कहना था कि फरहान ने पहले बच्चों से दोस्ती की, खासकर जिया और दिया से, जो उसकी कोचिंग क्लास में जाती थीं। उसने बच्चों को नौकरी और बेहतर जिंदगी का लालच दिया और फिर मौका पाकर उन्हें अगवा कर लिया।
This is no isolated case systematic forced conversions target Sindhi #Hindus.
Three Hindu sisters—Disha, Diya, Jiya plus brother Vikash & cousin Ganesh abducted at gunpoint in Shahdadpur, Sindh. Found in Karachi police station, claimed to have “willingly converted into… pic.twitter.com/DXtpl0NCtc
— Faraz Pervaiz (@FarazPervaiz3) June 20, 2025
कुछ घंटों बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें चारों बच्चे दिख रहे थे। वीडियो में वे कह रहे थे कि उन्होंने अपनी मर्जी से इस्लाम कबूल किया है। लेकिन परिवार और हिंदू समुदाय का कहना है कि बच्चे डरे हुए थे और उन्हें जबरन ऐसा कहने के लिए मजबूर किया गया। खासकर 13 साल के हरजीत को देखकर माँ का दिल टूट गया।
Abducted, Coerced, “Converted”
Three Hindu sisters—Disha, Diya, and Jiya—along with their brother Vikash and cousin Ganesh were reportedly abducted at gunpoint in Shahdadpur, Sindh. Day later, they were found in Nazim abad Police station Karachi, where police claimed they… pic.twitter.com/8IKFVEhWQ2
— Hindu Sindh हिंदू सिंध…هندو سنڌ (@SindhHindu) June 20, 2025
बच्चे की माँ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में रोते हुए कहा, “मेरा बेटा इतना छोटा है, उसे धर्म की क्या समझ? मेरी बेटियों को मुझसे छीन लिया गया।” माँ ने पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता बिलावल भुट्टो जरदारी से मदद की गुहार लगाई।
HINDU GIRLS FORCED TO CONVERT IN ISLAM
Three minor Hindu girls and a boy were abducted and converted to Islam in Shahdadpur, Sindh, Pakistan.
Their mothers are mourning and pleading with Bilawal Bhutto to return their daughters.
Pakistan is a living hell for Non-Muslims! pic.twitter.com/FcZHQL662A— The Third Eye (@thethirdeyereal) June 19, 2025
पीड़ित परिवार से भरवाया PKR 2 करोड़ का बॉन्ड
हिंदू समुदाय के विरोध और प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद पुलिस ने हरकत में आई। पुलिस ने बताया कि उन्होंने बच्चों को हैदराबाद से छुड़ाया और एक संदिग्ध को पकड़ा। लेकिन परिवार का कहना है कि पुलिस ने शुरू में कोई मदद नहीं की और उल्टा उन्हें धमकाया। अदालत में बच्चों को पेश किया गया। जिया और दिया, जो बालिग थीं, ने कहा कि वे अपनी मर्जी से इस्लाम कबूल करना चाहती हैं। लेकिन परिवार का दावा है कि वे दबाव में थीं।
नाबालिग दिशा और हरजीत को माता-पिता को सौंप दिया गया। हालाँकि इसके लिए 2 करोड़ पाकिस्तानी रुपए बतौर बॉन्ड भरने का भी आदेश दिया गया है।
Shahdadpur conversion case, three Hindu sisters and their male cousin were presented in a local court under heavy police presence.
The court decided to hand over the a minor girl and the boy to their parents, while the two adult girls were sent to a safe house.
#sindhmatters pic.twitter.com/2yUVCXiBJV— Sindh Matters – سندھ میٹرز (@SindhMatters) June 20, 2025
हालाँकि अदालत ने दोनों आरोपितों फरहान खासखेली और जुल्फिकार खासखेली को अपहरण और जबरन धर्मांतरण के आरोपों से बरी कर दिया। इस फैसले से पीड़ित परिवार और हिंदू समुदाय में निराशा छा गई।
हिंदू पंचायत के प्रमुख राजेश कुमार ने इसे ‘सांस्कृतिक आतंकवाद’ कहा। उन्होंने बच्चों की तस्वीरें दिखाते हुए सवाल उठाया, “क्या ये बच्चे इतने समझदार हैं कि धर्म बदलने का फैसला ले सकें? यह सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि पूरे हिंदू समुदाय का दुख है।”
ये मामला इतना गंभीर था कि सिंध मानवाधिकार कमीशन ने भी इस पर संज्ञान लिया। तो सिंध असेंबली में भी मामला उठा। हालाँकि कोर्ट का आदेश साफ बता रहा है कि हिंदुओं के साथ न्याय तो नहीं ही हो सकता, इसके बदले उन्हें अपने बच्चों को पाने के लिए भी 2 करोड़ पाकिस्तानी रुपए बतौर बॉन्ड भी भरना पड़ेगा।
The @SHRC_official has taken suo-motu notice of the alleged abduction & forced conversion of 3 Hindu girls from Shahdadpur. A formal notice has been issued to SSP Sanghar. Forced conversions are illegal—this case must be prioritized.#JusticeForHinduGirls #MinorityRights #SHRC pic.twitter.com/uTDhS8McgQ
— Sindh Human Rights Commission (SHRC) (@SHRC_official) June 19, 2025
पाकिस्तान में हिंदुओं के साथ अत्याचार कोई नई बात नहीं
पाकिस्तान में हिंदुओं के साथ अत्याचार कोई नई बात नहीं है। खासकर सिंध और पंजाब के ग्रामीण इलाकों में, जहाँ हिंदू अल्पसंख्यक हैं.. वहाँ ऐसी घटनाएँ आम हैं। हिंदू लड़कियों और महिलाओं का अपहरण, जबरन इस्लाम कबूल करवाना और उनका निकाह करवाने की घटनाएँ लगातार होती रहती हैं। हिंदू पंचायत के अनुसार, हर साल सैकड़ों हिंदू लड़कियों का अपहरण होता है और उनमें से ज्यादातर मामलों में कोई कार्रवाई नहीं होती।
अपहरण और जबरन धर्मांतरण: सिंध के बदिन, घोटकी, और शाहदादपुर जैसे इलाकों में हिंदू लड़कियों को निशाना बनाया जाता है। अक्सर स्थाानीय प्रभावशाली लोग या मजहबी कट्टरपंथी गरीब हिंदू परिवारों की लड़कियों को बहलाते हैं, लालच देते हैं या डराते हैं। इसके बाद उनका धर्म परिवर्तन करवाकर निकाह कर लिया जाता है। ऐसी लड़कियों की उम्र ज्यादातर 12 से 20 साल होती है। कई बार तो 10 साल की बच्चियों को भी नहीं छोड़ा जाता।
न्याय नहीं मिलता: पुलिस और अदालतें ज्यादातर ऐसे मामलों में ढीला रवैया अपनाती हैं। अगर परिवार गरीब या कमजोर हो, तो उनकी सुनवाई नहीं होती। राजेश कुमार ने बताया कि सिर्फ उन्हीं मामलों में कार्रवाई हो पाती है, जिनमें पीड़ित बच्चे प्रभावशाली परिवारों से होते हैं। गरीब हिंदुओं को पाकिस्तान में इंसाफ नहीं मिलता।
सामाजिक दबाव: धर्म परिवर्तन के बाद लड़कियों को उनके परिवार से मिलने की इजाजत नहीं दी जाती। कई बार उन्हें धमकाया जाता है कि अगर वे अपने परिवार के पास गईं, तो उनकी जान को खतरा होगा। इससे परिवार पूरी तरह टूट जाता है।
तेजी से घटती हिंदू आबादी: पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी लगातार कम हो रही है। साल 1947 में आजादी के समय, पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी लगभग 15-20% थी। आज यह घटकर केवल 2-3% रह गई है। इसका सबसे बड़ा कारण है उत्पीड़न, भेदभाव और जबरन धर्मांतरण। सिंध जहाँ हिंदुओं की आबादी थोड़ी ज्यादा है (लगभग 8-10%), वहाँ भी हालात बदतर हैं। हिंदू समुदाय के लोग डर के मारे या तो देश छोड़कर भारत चले जाते हैं या चुपचाप अत्याचार सहते हैं।
आर्थिक और सामाजिक भेदभाव: हिंदुओं को नौकरियों, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं में भेदभाव का सामना करना पड़ता है। कई हिंदू परिवार गरीबी और सामाजिक बहिष्कार के कारण कमजोर हो गए हैं।
पलायन: हर साल हजारों हिंदू परिवार भारत या अन्य देशों में शरण लेते हैं। लेकिन उनके लिए नई जगह पर बसना आसान नहीं होता। जो लोग रह जाते हैं, वे डर और असुरक्षा में जीते हैं।
सांस्कृतिक पहचान पर खतरा: जबरन धर्मांतरण और अपहरण की घटनाएँ हिंदुओं की सांस्कृतिक पहचान को मिटाने की कोशिश हैं। मंदिरों पर हमले, धार्मिक त्योहारों पर पाबंदी और सामुदायिक उत्पीड़न से हिंदू समुदाय का मनोबल टूट रहा है।
पाकिस्तान के जन्म से चला आ रहा हिंदुओं का उत्पीड़न, अपहरण, जबरन धर्मांतरण और तेजी से घटती उनकी आबादी दिखाती है कि हिंदुओं के लिए पाकिस्तान में इंसाफ और सुरक्षा एक सपना है। जरूरी है कि दुनिया इस मसले पर आवाज उठाए और हिंदू समुदाय को वह सम्मान और हक मिले, जो हर इंसान का अधिकार है। चार भाई-बहनों का अपहरण और जबरन धर्मांतरण पाकिस्तान में हिंदुओं की स्थिति को साफ बता देता है।
सबसे ज्यादा चिंता इस बात की है कि पुलिस और अदालतें ऐसे मामलों में इंसाफ नहीं देतीं। यह व्यवस्थित उत्पीड़न का सबूत है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय और मानवाधिकार संगठनों को इस पर ध्यान देना चाहिए। पाकिस्तान सरकार को चाहिए कि हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए सख्त कानून बनाए और उन्हें लागू करे। ताकि कोई भी डर के बिना अपनी आस्था और पहचान के साथ जी सके।