परमबीर सिंह IPS

मालेगाँव ब्लास्ट मामले की शुरुआती जाँच में शामिल रहे महाराष्ट्र ATS के रिटायर्ड पुलिस इंस्पेक्टर मेहबूब मुजावर ने एक बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा कि उस वक्त उन्हें कुछ खास लोगों को गिरफ्तार करने के गुप्त आदेश दिए गए थे, जिनमें RSS प्रमुख मोहन भागवत का नाम भी शामिल था।

खास बात ये है कि ये आदेश देने वाले IPS का नाम है- परमबीर सिंह। इंस्पेक्टर मेहबूब मुजावर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि परमवीर सिंह ने ही उनसे कहा था कि ‘भगवा आतंकवाद’ की झूठी कहानी तैयार करो जबकि असल में उस समय जो कुछ हुआ वह गलत था। अंत में उन्होंने साफ कहा कि कोई ‘भगवा आतंकवाद’ नहीं था, यह सब कुछ फर्जी था।

मुजावर ने सवाल करते हुए ये भी कहा कि उन्हें अब तक समझ नहीं आया कि परमबीर को अब तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया है।

साध्वी प्रज्ञा ने बताई प्रताड़ना की कहानी

इस दावे के अलावा मालेगाँव ब्लास्ट में बाइज्जत बरी हुई साध्वी प्रज्ञा ने भी परमबीर सिंह पर प्रताड़ना के गंभीर आरोप लगाए हैं। प्रज्ञा ने कहा था कि मालेगाँव केस में उन्हें हिरासत में टॉर्चर किया गया, उन्हें बेल्ट से इस तरह पीटा गया कि उन्हें वेंटीलेटर तक पर जाना पड़ा।

प्रज्ञा ने आरोप लगाया कि उनकी रीढ़ की हड्डी भी टूट गई। उन्हें पोर्न दिखाकर भद्दे सवाल पूछे गए। साध्वी का दावा है कि परमबीर ने ‘भगवा आतंक’ का झूठा नैरेटिव बनाने के लिए ये सब किया।

IPS परमबीर सिंह पर लगाए गए आरोप और दावे पहली बार नहीं हैं। सिंह पर कई बार कानून को ताक पर रखने और हिंदुओं के खिलाफ साजिश करने के आरोप लग चुके हैं। परमबीर का नाम 26/11 के आतंकी हमलों समेत कई बड़े मामलों में आ चुका है, जहाँ उन पर कानूनी अनियमितताओं और हिंदुओं को फँसाने के गंभीर इल्जाम लगे हैं।

मालेगाँव में ‘हिंदू आतंक’ साबित करने की कोशिश

साल 2008 के मालेगाँव बम धमाके में जबरन गिरफ्तार की गईं साध्वी प्रज्ञा ने कहा था कि मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह के कहने पर 3-4 पुलिसकर्मियों उन्हें बहुत अधिक प्रताड़ना देते थे। थी। उन्हें हिरासत में लेकर पुलिसकर्मी उन्हें घेर कर मारते थे। उन्हें पूरी रात बेल्ट से इस कदर पीटा गया कि उनकी रीढ़ की हड्डी टूट गई और उन्हें वेंटिलेटर पर जाना पड़ा था।

परमबीर सिंह की देखरेख में ही साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को हिरासत के दौरान पुरुष कैदियों के साथ रखकर पोर्न वीडियो दिखाया जाता था और भद्दे सवाल किए जाते थे। उन्होंने बताया था कि पहले उनको भगवा आतंकी कहा गया, फिर भारत को आतंकवादी देश घोषित करवाने का प्रयास किया गया।

मालेगाँव ब्लास्ट में ही कर्नल श्रीकांत पुरोहित पर भी आरोप लगाए गए। उन्हें पुलिस कस्टडी में रखा गया और प्रताड़ित किया गया था। कर्नल ने कोर्ट में बताया कि परमबीर सिंह और ATS के अफसरों ने उन्हें टॉर्चर किया।

उनके साथ मारपीट, गालियाँ और प्राइवेट पार्ट्स पर हमला किया गया, ताकि वो ‘भगवा आतंकवाद’ का नैरेटिव कबूल लें। कर्नल का कहना है कि परमबीर ने कॉन्ग्रेस की शह पर उन्हें फँसाया और उनकी जिंदगी बर्बाद कर दी।

26/11 में ड्यूटी करने से किया मना

26/11 आतंकी हमलों के दौरान मुंबई के पुलिस कमिश्नर हसन गफूर थे। उन्होंने परमबीर सिंह पर आरोप लगाया था कि उन्होंने इस दौरान ड्यूटी करने से मना कर दिया था। गफूर ने कहा था कि कानून-व्यवस्था के संयुक्त आयुक्त केएल प्रसाद, अपराध शाखा के अतिरिक्त आयुक्त देवेन भारती, दक्षिणी क्षेत्र के अतिरिक्त आयुक्त के वेंकटेशम और आतंकरोधी दस्ते के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह मुंबई आतंकी हमले के दौरान अपनी ड्यूटी निभाने में विफल रहे थे।

कसाब के फोन को किया गायब जो कभी नहीं मिला

2008 में हुए इसी हमले को लेकर महाराष्ट्र के रिटायर्ड एसीपी शमशेर खान पठान ने भी परमबीर सिंह पर गंभीर आरोप लगाए। पठान ने मुंबई पुलिस कमिश्नर को लिखे पत्र में कहा कि 26/11 के बाद कसाब के पास से मिले फोन को परमबीर सिंह ने अपने पास रख लिया था। इसे उन्होंने कभी जाँच अधिकारियों को दिया ही नहीं।

कथित तौर पर इसी फोन पर कसाब को उसके आका पाकिस्तान से ऑर्डर दे रहे थे। पठान का दावा था कि इस फोन से पाकिस्तान और हिंदुस्तान के हैंडलर्स का पता चल सकता था।

पठान ने बताया था कि हमले वाले दिन वो पाईधूनी पुलिस स्टेशन में थे और उनके बैचमेट एनआर माली बतौर सीनियर इंस्पेक्टर डीबी मार्ग पुलिस थाने में कार्यरत थे। उन्होंने लिखा कि 26/11 के दिन अजमल आमिर कसाब को गिरगाँव चौपाटी इलाके में पकड़ा गया था। ऐसे में उन्होंने अपने साथी एनआर माली से फोन पर बात की।

इस दौरान उन्हें पता चला कि कसाब के पास एक फोन मिला है, जो पहले कॉन्स्टेबल कांबले के पास था और बाद में उससे परमबीर सिंह ने ले लिया।

पूर्व एसीपी के मुताबिक, इस मामले में उनकी माली से बातचीत आगे भी होती रही। उन्हें पता चला कि परमबीर सिंह ने जाँच अधिकारी को फोन नहीं दिया है। माली ने शमशेर को ये भी बताया था कि उन्होंने दक्षिण क्षेत्र के आयुक्त वेंकटेशम से मुलाकात की थी और उस फोन के बारे में बताया था।

हालाँकि इसके बावजूद उन पर कार्रवाई नहीं हुई। जब पूछने के लिए माली परमबीर के पास गए तो सिंह उन पर चिल्लाने लगे और कहा कि इससे उनका कोई लेना-देना नहीं है।

कॉन्ग्रेस ने गढ़ा ‘सैफरन टेरर’ का नैरेटिव, उनके ही नेता ने खोली पोल

29 सितंबर 2008 को हुए मालेगाँव ब्लास्ट और 26 नवंबर 2008 को हुए मुंबई आतंकी हमले के दौरान केंद्र में कॉन्ग्रेस की सरकार थी। वहीं, महाराष्ट्र में कॉन्ग्रेस और NCP की गठबंधन सरकार थी। पी चिदंबरम उस समय केंद्रीय गृह मंत्री थे।

ये वही कॉन्ग्रेस सरकार है जिसने मालेगाँव ब्लास्ट के बाद से ही हिंदू समुदाय को बदनाम करने के लिए ‘हिंदू आतंकवादी’ या ‘भगवा आतंकवाद’ जैसे शब्दों का प्रयोग शुरू कर दिया था। चिदंबरम ने गृह मंत्री रहते हुए ‘भगवा आतंकवाद’ शब्द का इस्तेमाल किया था। यहाँ तक कि कॉन्ग्रेस नेता सुशील कुमार शिंदे और दिग्विजय सिंह ने इन शब्दों का इस्तेमाल सार्वजनिक रूप से किया।

केंद्रीय गृह मंत्री के तौर पर कार्य करते हुए 25 अगस्त 2010 को पी चिदंबरम में कहा था,  “मैं आपको सावधान करना चाहता हूँ कि भारत में युवा पुरुषों एवं महिलाओं को कट्टरपंथी बनाने के प्रयासों में कोई कमी नहीं आयी है। इसके अलावा हाल में ‘भगवा आतंकवाद’ सामने आया है, जो अतीत में कई बम विस्फोटों में पाया गया है..।”

फोटो साभार- X (@LeNonDuMonde)

सितंबर 2010 में दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने ‘हिंदू आतंकवाद’ से देश को खतरा बता दिया था। विकीलीक्स खुलासे में ये बात सामने आई थी कि भारत में अमेरिकी राजदूत टिमोशी रोमर को 2010 में राहुल गांधी ने कहा था कि भारत को पाकिस्तान से आने वाले इस्लामिक आतंकवाद से ज्यादा बड़ा खतरा हिंदू आतंकवाद से है।

इसके बाद गृह मंत्री रहते हुए सुशील कुमार शिंदे ने 20 जनवरी 2013 को जयपुर में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि बीजेपी और आरएसएस के कैंप में हिंदू आतंकवादियों को प्रशिक्षण दिया जाता है। उनके बयान के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणि शंकर अय्यर ने उन्हें मुबारकबाद दी थी।

लगभग 11 वर्षों बाद पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री और कॉन्ग्रेस के राजनेता सुशील कुमार सिंह ने 2024 में भगवा आतंकवाद पर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि शब्द को इस्तेमाल करने के लिए कॉन्ग्रेस पार्टी ने ही उन पर दबाव डाला था। एक पॉडकास्ट में उन्होंने कहा, “भगवा के पीछे आतंकवाद शब्द क्यों लगाया गया मुझे आज तक पता नहीं है। यह नहीं लगना चाहिए था, ये गलत था।”

कॉन्ग्रेस की माफी माँगने की उठी माँग

NIA कोर्ट ने मालेगाँव ब्लास्ट के सभी आरोपितों को बरी करते हुए कहा कि आतंक का कोई धर्म नहीं होता और अभियोजन पक्ष उन पर आरोप साबित करने में भी नाकाम रहा। इसके बाद से ही राजनीतिक गलियारों में चिदंबरम, सोनिया गांँधी और अन्य कॉन्ग्रेस नेताओं से सनातन धर्म को बदनाम करने के लिए सार्वजनिक माफी की माँग उठने लगी है। साथ ही परमबीर सिंह और कॉन्ग्रेस के नेताओं की गिरफ्तारी की बात भी नेटिजन्स तेजी से सोशल मीडिया पर उठा रहे हैं।

सवाल ये उठता है कि ‘हिंदू आतंकवाद’ या ‘सैफरन टेरर’ का नैरेटिव गढ़ने और इसे हर हाल में साबित करने पर तुले परमबीर सिंह ने खुद ही ये पूरा खेल खेला? या फिर चिदंबरम और सोनिया गाँधी ने मिलकर इस नैरेटिव को धरातल पर लाने के लिए और हिंदुओं को बदनाम करने के लिए इस पूरी साजिश का कर्ताधर्ता परमबीर सिंह को बना दिया?



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