मालेगाँव ब्लास्ट मामले की शुरुआती जाँच में शामिल रहे महाराष्ट्र ATS के रिटायर्ड पुलिस इंस्पेक्टर मेहबूब मुजावर ने एक बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा कि उस वक्त उन्हें कुछ खास लोगों को गिरफ्तार करने के गुप्त आदेश दिए गए थे, जिनमें RSS प्रमुख मोहन भागवत का नाम भी शामिल था।
मुजावर के अनुसार, इन निर्देशों का मकसद ‘भगवा आतंकवाद’ की झूठी कहानी गढ़ना था। रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने बताया कि उन्हें राम कालसंगरा, संदीप डांगे, दिलीप पाटीदार और मोहन भागवत को पकड़ने को कहा गया था।
हालाँकि उन्होंने यह आदेश मानने से इंकार कर दिया। उनका कहना है कि मोहन भागवत जैसी बड़ी शख्सियत को बिना किसी ठोस वजह के पकड़ना उनके बस की बात नहीं थी। आदेश न मानने के बाद, उनके ऊपर आईपीएस अधिकारी परमवीर सिंह ने एक झूठा केस डाल दिया जिससे उनकी 40 साल की पुलिस सेवा खत्म हो गई।
Solapur, Maharashtra: Former ATS officer Mehboob Mujawar on 2008 Malegaon blast case says, "Whatever I said about Mohan Bhagwat or about my investigation was all under the orders of Param Bir Singh and even higher authorities. According to their instructions, I was provided with… pic.twitter.com/Ztx5hszU7h
— IANS (@ians_india) August 1, 2025
मुजावर ने यह भी आरोप लगाया कि पूरी जाँच एक ‘फर्जी अफसर’ के नेतृत्व में हुई थी और जाँच का पूरा ढाँचा ही झूठ पर आधारित था। उन्होंने कोर्ट के हालिया फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि इससे यह साबित हो गया है कि उस समय जो कुछ हुआ वह गलत था। अंत में उन्होंने साफ कहा कि कोई ‘भगवा आतंकवाद’ नहीं था, यह सब कुछ फर्जी था।
बता दें कि इससे पहले भी एक ऐसा ही खुलासा हुआ था, जिसमें पता चला था कि महाराष्ट्र ATS उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, विश्व हिन्दू परिषद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लोगों को फँसाना चाहती थी। इसके लिए उसने मालेगाँव बम धमाकों के मामले में मुकदमे का सामना करने वाले लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित को भी प्रताड़ित किया था।
कर्नल पुरोहित ने मुंबई के एक कोर्ट को बताया था, “मेरे साथ ऐसा व्यवहार किया गया जो किसी जानवर के साथ भी नहीं किया जाता। मेरे साथ युद्ध बंदी से भी बदतर व्यवहार किया गया। हेमंत करकरे, परमबीर सिंह और कर्नल श्रीवास्तव लगातार इस बात पर जोर देते रहे कि मैं मालेगाँव बम धमाके के लिए खुद को जिम्मेदार बता दूँ। उन्होंने मुझसे कहा कि मैं RSS, VHP के वरिष्ठ नेताओं और उत्तर प्रदेश के तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ का नाम लूँ। उन्होंने मुझे 3 नवम्बर, 2008 तक यातनाएँ दी।”
गौरतलब है कि 2008 के मालेगाँव ब्लास्ट मामले में NIA की विशेष अदालत ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर समेत सभी 7 आरोपितों को बरी कर दिया है। कोर्ट का कहना है कि आरोपितों के खिलाफ कोई सबूत नहीं है।