छांगुर पीर के धर्मांतरण गैंग का खुलासा

जलालुद्दीन उर्फ छांगुर पीर उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में बड़े पैमाने पर अवैध धर्मांतरण का धंधा चलाने वाला साजिशकर्त है। वह खुद को ‘हाजी पीर जलालुद्दीन’, ‘पीर बाबा’ या ‘हजरत पीर’ कहलवाना पसंद करता था। छांगुर पीर के खिलाफ हिंदू लड़के-लड़कियों, गरीब और असहाय लोगों को बहला-फुसलाकर जबरन धर्मांतरण कराने और उनकी संपत्ति हड़पने के कई आरोप सामने हैं।

इतना ही नहीं, छांगुर पीर को धर्मांतरण का नेटवर्क चलाने के लिए विदेशों से भी फंडिंग भी मिलती थी। छांगुर पीर के 10, 20 नहीं बल्कि 40+ ऐसे बैंक अकाउंट सामने आए, जिसमें लाखों-करोड़ों पैसा केवल हिंदुओं का धर्मांतरण और लड़कियों को बेचने के लिए दिया मिलता था।

छांगुर पीर अपना नेटवर्क बढ़ाने के लिए मुस्लिम के अलावा हिंदुओं का ब्रेनवॉश कर उन्हें अपने गैंग का सदस्य बना लेता था और उनको राजा-रानी की तरह जिंदनी जीना, दौलत, लग्जरी गाड़ियाँ आदि का लालच देता था। छांगुर पीर के गैंग में जिन हिंदुओं ने इस्लाम कबूल किया, वो लोग फिर अन्य हिंदुओं का ब्रेनवॉश कर इस्लाम कबूल करने के लिए प्रेरित करते और पैसे देते थे।

धर्मांतरण मामले में जिन हिंदुओं ने छांगुर का ऑफर स्वीकार किया, उनको गैंग में शामिल किया। लेकिन जिन हिंदुओं ने इसका विरोध किया, उनकों या तो धमकी दी गई या फिर उन्हें मार दिया गया। अब जानें पूरे सिलसिलेवार तरीके से छांगुर पीर के धर्मांतरण गैंग की थ्योरी, जिसमें मिलेंगे कब, क्यों और कैसे जैसे सभी प्रश्नों के उत्तर।

कैसे चालू किया छांगुर पीर ने धर्मांतरण का धंधा?

जलालुद्दीन उर्फ छांगुर पीर पहले फेरीवाला था और गाँव-गाँव जाकर कपड़े और फिर अंगूठी व नग बेचता था। 2020 में कोरोना काल के दौरान मुंबई जाने पर छांगुर पीर की मुलाकात नवीन घनश्याम रोहरा और उसकी पत्नी नीतू रोहरा से हुई।

नीतू और नवीन एक सिंधी परिवार से थे और मुंबई में उनकी ₹158 करोड़ की संपत्ति थी। सबसे पहले तो छांगुर पीर ने उन दोनों हिंदुओं का ब्रेनवॉश किया, जिसके बाद उन्होंने अपनी सारी संपत्ति छांगुर को बेच दी और बलरामपुर के मधुपुर गाँव आकर छांगुर के साथ रहने लगे।

नवीन और नीतू (जिन्हें बाद में नसरीन नाम दिया गया) के कारण ही छांगुर अमीर हुआ और धर्मांतरण का बड़ा नेटवर्क खड़ा कर सका।

कैसे बनाया गैंग और कौन-कौन शामिल?

छांगुर पीर ने धर्मांतरण के लिए एक संगठित गैंग बनाया था। इस गैंग में उसके बेटे महबूब, भतीजा सबरोज, साले का बेटा शहाबुद्दीन, गोंडा का रिश्तेदार रमजान और बलरामपुर का रसीद शामिल थे।

इसके अलावा, नीतू रोहरा उर्फ नसरीन और उसका पति नवीन रोहरा भी इस गैंग के प्रमुख सदस्य थे। नसरीन छांगुर पीर की गतिविधियों का पूरा हिसाब-किताब रखती थी और धर्मांतरण के खेल को अंजाम देने के लिए टच वाले फोन का इस्तेमाल करती थी।

जबकि छांगुर पीर खुद कीपैड मोबाइल रखता था। नवीन, छांगुर और नसरीन को लग्जरी गाड़ियों में घुमाता था। जाँच में पता चला है कि धर्मांतरण का यह नेटवर्क पूरे भारत में फैला हुआ था।

क्या-क्या तरीके अपनाते थे?

जलालुद्दीन उर्फ छांगुर पीर धर्मांतरण के लिए कई तरीके अपनाता था।

प्रेमजाल और निकाह- मुस्लिम युवक हिंदू लड़कियों को ‘अमित’ या ‘रुद्र शर्मा’ जैसे नाम बताकर प्रेमजाल में फँसाते थे। एक बार संबंध स्थापित होने पर हिंदु लड़कियों का ब्रेनवॉश कर उन्हें दरगाह ले जाकर धर्मांतरण करवाया जाता था और फिर निकाह होता था।

लखनऊ की रहने वाली गुंजा गुप्ता को एक मुस्लिम लड़के ‘अमित’ बनकर प्रेमजाल में फँसाया और उसको दरगाह ले जाकर ब्रेनवॉश कर अलीना अंसारी बना दिया। औरैया जिले की लड़की को मेराज अंसारी नाम के मुस्लिम युवक ने अपना नाम रुद्र शर्मा बताकर प्रेमजाल में फँसाया और छांगुर के पास ले जाकर धर्मांतरण करवाने की कोशिश की।

लालच और धमकी- छांगुर पीर और उसके गुर्गे उन लोगों को सबसे पहले निशाना बनाते थे, जो मुख्यतौर पर गरीब और असहाय है। इन्हीं लोगों को पैसे, विदेश में नौकरी, बंगले और लग्जरी गाड़ियों का लालच दिया जाता था।

अगर कोई व्यक्ति छांगुर पीर के लालच में नहीं फँसता था और इस्लाम कबूल करने से मना कर देता था तो उसे डराया-धमकाया जाता था। इसके अलाव झूठे मुकदमों में फँसाने की धमकी तक दी जाती थी। एक दलित व्यक्ति ने जब छांगुर पीर से मजदूरी माँगी तो उसे काम देने के बजाय इस्लाम कबूल करने के लिए कहा गया।

मालती देवी ने जब धर्मांतरण से इनकार किया तो छांगुर पीर ने उस महिला पर चोरी का झूठा आरोप लगाकर पुलिस में शिकायत कर दी थी। इस तरह, जो लोग छांगुर पीर की बात नहीं मानते थे उन्हें परेशान किया जाता था।

ब्रेनवॉश और प्रचार- छांगुर पीर ने खुद की एक ‘शिजर-ए-तैयबा‘ नामक किताब छपवाई, जिसमें ब्रेनवॉश कैसे किया जाता है सारी जानकारी थी। यह किताब इस्लाम का प्रचार करती थी और इसमें ऐसे लोगों का जिक्र था जो इस्लाम के लिए अपनी जान दे सकते थे।

जाति के अनुसार फीस- धर्मांतरण के लिए लड़कियों की जाति के हिसाब से एक फीस तय थी। ब्राह्मण, क्षत्रिय, सरदार लड़कियों के लिए ₹15-16 लाख, पिछड़ी जाति की लड़कियों के लिए ₹10-12 लाख और अन्य जातियों के लिए ₹8-10 लाख की रकम फिक्सड थी।

अवैध गतिविधियाँ और कोडवर्ड- जलालुद्दीन उर्फ छांगुर पीर सिर्फ धर्मांतरण ही नहीं करवाता था, बल्कि वो सरकारी ज़मीनों पर भी गैरकानूनी तरीके से कब्ज़ा करता था। वो कागजात में बदलाव करके जमीन को अपनी या अपने लोगों के नाम करवा लेता था।

एक बड़े उदाहरण के तौर पर, छांगुर पीर ने कुंडवा नाम के एक सरकारी तालाब को पूरी तरह से भरवा दिया था। तालाब को भरने के बाद, उसने उस जगह पर अवैध तरीके से जमीन के छोटे-छोटे टुकड़े (प्लॉट) बना दिए और उन्हें बेच दिया। यह सब सरकारी नियमों के खिलाफ था।

छांगुर पीर अपने गैरकानूनी कामों को छुपाने के लिए कुछ खास और गुप्त शब्दों (कोडवर्ड्स) का इस्तेमाल करता था। ताकि बाहर के लोग उसकी बातों को समझ न पाएँ। जब वो लड़कियों को अपने जाल में फँसाने की बात करता था तो उन्हें ‘प्रोजेक्ट’ कहता था। किसी के धर्मांतरण की प्रक्रिया को वो ‘मिट्टी पलटना’ कहता था।

इसके अलावा, यदि छांगुर पीर से कोई मिलने आता था तो इसे ‘दीदार करना’ कहा जाता था। किसी का ब्रेनवॉश करने या उसे अपने विचारों में ढालने को ‘काजल करना’ कहा जाता था। ये कोडवर्ड्स इसलिए इस्तेमाल किए जाते थे ताकि छांगुर पीर के गलत काम किसी को आसानी से समझ न आएँ और वो अपनी साजिशें चुपचाप चलाता रहे।

ईसाई मिशनरियों और ISI कनेक्शन- यूपी ATS की जाँच में सामने आया है कि छांगुर पीर अवैध धर्मांतरण के लिए नेपाल सीमा से सटे 7 जिलों में सक्रिय कुछ ईसाई मिशनरियों की मदद लेता था। वह इन मिशनरियों के वॉलंटियरों से गरीब परिवारों की जानकारी लेकर उन्हें निशाना बनाता था।

इसके अलावा, छांगुर पीर के पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI से भी कनेक्शन सामने आए हैं। छांगुर पीर ‘मिशन आबाद’ का हिस्सा था, जिसके तहत धर्मांतरण के बदले उसे विदेश से पैसा मिलता था।

कुल मिलाकर कितनी विदेशी फंडिंग ली है?

UP ATS की जाँच के मुताबिक, इस धर्मांतरण नेटवर्क को विदेशों से ₹100 करोड़ से अधिक की फंडिंग मिली है। गैंग के पास 40+ बैंक खाते हैं, जिनमें बड़े पैमाने पर लेनदेन हुआ है। खास तौर पर खाड़ी देशों से फंडिंग आने की बात सामने आई है।

छांगुर पीर ने समाजिक संगठनों जैसे ‘आस्वी इंटरप्राइजेज’, ‘आस्वी चैरिटेबल ट्रस्ट’, ‘आसिपिया हसनी हुसैनी कलेक्शन’, ‘बाबा ताजुद्दीन आस्वी बुटीक’ के नाम पर बैंक खाते खुलवाए और इनमें चंदा जुटाकर विदेशों में पैसा भेजा। छांगुर पीर इन पैसों का इस्तेमाल हिंदुओं का धर्मांतरण करने, लग्जरी गाड़ियाँ, बंगले और शोरूम खरीदने में करता था।

कितने पीड़ित इस धर्मांतरण का शिकार बन चुके हैं और उन्होंने क्या बताया?

हालाँकि कुल पीड़ितों की संख्या स्पष्ट नहीं है, क्योंकि हर दिन एक नया खुलासा छांगुर पीर के खिलाफ सामने आ रहा है। UP ATS की गणना के अनुसार अब तक प्रदेश में हजारों हिंदुओं को मुस्लिम बनाया जा चुका है।

दलित परिवार का मामला– 2022 में एक दलित व्यक्ति ने छांगुर पीर पर आरोप लगाया था कि उसने मजदूरी माँगने पर इस्लाम कबूल करने को कहा और ना करने पर धमकी दी थी।

सिंधी परिवार का धर्मांतरण- मुंबई में एक सिंधी परिवार रहता था, जिसमें नवीन घनश्याम रोहरा, उनकी पत्नी नीतू रोहरा और उनकी बेटी शामिल थीं। ये लोग आम ज़िंदगी जी रहे थे, लेकिन फिर इनकी मुलाकात छांगुर पीर से हुई। छांगुर पीर ने इस परिवार को अपने जाल में फँसाया। उनका ब्रेनवॉश किया, जिससे वे अपने धर्म और पहचान से दूर हो गए।

ब्रेनवॉश करने के बाद नवीन घनश्याम रोहरा का नाम बदलकर जलालुद्दीन रख दिया गया। पत्नी नीतू का नाम बदलकर नसरीन रख दिया गया और उनकी बेटी का नाम बदलकर सबीहा रख दिया गया। इस तरह छांगुर पीर ने इस पूरे सिंधी परिवार को धर्मांतरण के लिए मजबूर किया और उनकी मूल पहचान मिटा दी। ये परिवार बाद में छांगुर पीर के अवैध धर्मांतरण के नेटवर्क का एक बड़ा हिस्सा बन गया।

12 लोगों की घर वापसी– उत्तर प्रदेश के लखनऊ में 12 लोगों की घर वापसी करवाई गई है, जिनका बलरामपुर के जलालुद्दीन उर्फ छांगुर पीर ने धर्मांतरण करवाया था। इनमें मंडवी शर्मा (जैनब), सोनू रानी, मालती, रीना, पल्लवी, हरजीत कश्यप जैसे नाम शामिल थे। हरजीत कश्यप ने बताया कि छांगुर पीर ने नागपुर में सुपरवाइजर की नौकरी दिलाने का झाँसा देकर धर्मांतरण कराया था और विरोध करने पर दो मुकदमे दर्ज करा दिए थे।

UP ATS का एक्शन और जाँच कहाँ तक पहुँची?

UP ATS ने जलालुद्दीन उर्फ छांगुर पीर को उसकी सहयोगी नीतू रोहरा उर्फ नसरीन के साथ लखनऊ के एक होटल से गिरफ्तार किया, जहाँ वे 70 दिनों से मियाँ-बीवी बनकर रह रहे थे।

बुलडोजर कार्रवाई- छांगुर पीर की बलरामपुर के मधुपुर गाँव स्थित आलीशान कोठी पर यूपी सरकार द्वारा बुलडोजर चलाया गया, क्योंकि इसे सरकारी जमीन पर अवैध तरीके से बनाया गया था।

मुख्यमंत्री का सख्त रुख- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने छांगुर की गतिविधियों को ‘राष्ट्र विरोधी’ बताया है और आदेश दिया है कि आरोपित और उसके गिरोह से जुड़े सभी अपराधियों की संपत्तियाँ जब्त की जाएँगी और उन पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

जाँच एजेंसियाँ- यूपी ATS, पुलिस और प्रवर्तन निदेशालय (ED) इस मामले की जाँच कर रही हैं। ED ने मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है और छांगुर पीर व उसके साथियों से पूछताछ जारी है।

पुणे में संपत्ति का खुलासा- STF ने खुलासा किया है कि छांगुर पीर ने पुणे में ₹16 करोड़ की संपत्ति बनाई थी जो उसके सहयोगी मोहम्मद अहमद खान के नाम पर रजिस्टर थी।

विदेशी यात्राओं की जाँच- नीतू ऊर्फ नसरीन, नवीन रोहरा ने 2014 से 2019 तक 19 बार UAE की यात्रा की। नवीन घनश्याम रोहरा ने भी 2016 से 2020 के बीच 19 बार UAE की यात्रा की है। इन यात्राओं की जाँच की जा रही है। छांगुर पीर ने खुद भी 40-50 बार इस्लामिक देशों की यात्रा की है।

बैंक खातों की जाँच– धर्मांतरण गैंग के 40+ बैंक खातों में ₹100 करोड़ से अधिक के लेनदेन की जाँच की जा रही है। ED ने छांगुर पीर और उसके सहयोगियों के करीब 30 बैंक खातों की जानकारी माँगी है जिनमें पिछले 10 सालों में पैसे का लेन-देन हुआ है।

माफिया कनेक्शन- जाँच में छांगुर पीर का कनेक्शन माफिया मुख्तार अंसारी गैंग से भी सामने आया है। मोहम्मद अहमद खान ने बताया कि छांगुर पीर मुख्तार की मदद से धर्मांतरण और अवैध जमीन का काम करता था।

अतिरिक्त गिरफ्तारियाँ- ATS का कहना है कि यह नेटवर्क पूरे भारत में फैला हुआ है और आने वाले दिनों में और भी गिरफ्तारियाँ हो सकती हैं। गैंग के 14 अन्य सदस्य अभी भी फरार हैं।

जलालुद्दीन उर्फ छांगुर पीर का मामला केवल धर्मांतरण का नहीं, बल्कि एक व्यवस्थित आपराधिक गैंग का है। यह गैंग विदेशी फंडिंग और अन्य तरीकों का उपयोग करके ‘लव जिहाद’ और लालच के माध्यम से कमजोर वर्गों को निशाना बना रहा था। विभिन्न जाँच एजेंसियाँ इस गहरी साजिश की परतों को खोलने में जुटी हुई हैं। हर दिन गिरफ्तारी और नया मामला सामने आ रहा है।

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