लेखिका लिज कैमरून

लिज कैमरून एक ऐसी लेखिका जिनकी किताब ‘कल्ट ब्राइड हाउ आई वाज ब्रेनवाश्ड – एंड हाउ आई ब्रोक फ्री’ एक बार फिर सुर्खियों में है। चैनल 7 ने स्पॉटलाइट कार्यक्रम के अंतर्गत ‘द कल्ट नेक्स्ट डोर’ नाम से उनकी कहानी पर डॉक्यूमेंट्री बनाई है।

दरअसल उनकी कहानी एक सच्चाई है जो 18 साल की उम्र में लिज कैमरून के ईसाइयत का प्रचार करने वाले ग्रुप और पादरी के चंगुल में फँसने और उसके निकलने को मार्मिक तरीके से बयाँ करती है।

शॉपिंग के दौरान दक्षिण कोरियाई लोगों से मिलीं

2011 में जब लिज 18 साल की शर्मीली लड़की थीं और ऑस्ट्रेलिया की राजधानी कैनबरा के शॉपिंग मॉल में घूम रही थी। उनकी मुलाकात ईसाइयत का प्रचार करने वाली महिला यूजून से हुई। यूजून दक्षिण कोरिया से एक ग्रुप के साथ आई थी। ईसाइयत का प्रचार करने वाली संस्था से ये ग्रुप जुड़ा था। ये संस्था 70 देशों में ईसाइयत का प्रचार- प्रसार करता था। यूजून ने बहुत प्यार से लिज से बातें की और सामान्य से सवाल किए, मसलन तुम्हें ऑस्ट्रेलिया पसंद है या नहीं। अपने धर्म में आस्था है या नहीं । यूजून ने मेल आईडी ली और बातचीत करने लगी।

एक दिन यूजून ने कैमरून को चाय पर बुलाया । इस दौरान उसकी दोस्त भी मौजूद थीं। दोनों ने मिलकर बहुत प्यार से कैमरून से बातें की और खाना भी खिलाया। कैमरून उन दोनों से इंप्रेस हो गईं। अब कैमरून का यूजून के घर आना-जाना बढ़ गया। वह बाइबिल सेशन में भी जाने लगी।

कैमरून के मुताबिक, “मैं काफी खुश रहने लगी। कुछ महीनों में ही मैं सुबह 5 बजे उठ कर प्रार्थना करना और 6 बजे से उनके घर पर घंटों बाइबिल पढ़ने लगी।”

कैमरून के व्यवहार में आए बदलाव को माँ ने नोटिस किया और उससे बातें भी की।

कैसे ब्रेन वॉश किया गया?

धीरे-धीरे ग्रुप का रंग कैमरून पर चढ़ने लगा। उसका ब्रेनवॉश यहाँ तक किया गया कि यौन शोषण के लिए सजा पाए पादरी जोशुआ को वो मसीहा मानने लगीं। पादरी उस वक्त तीन महिलाओं के यौन उत्पीड़न के आरोप में दक्षिण कोरिया की जेल में बंद था।

कैमरून को ये बताया गया कि पादरी जोशुआ को गलत तरीके से कैद किया गया है। कैमरून को पादरी जोशुआ या चर्च से जुड़े सवाल पूछने की इजाजत नहीं थी। उसे ‘समझाने’ के लिए कई लड़कियाँ आती थीं।

2011 की बात है जब चर्च में ब्राइड फैशन शो का आयोजन हुआ। इसमें कैमरून ने भी हिस्सा लिया। कुछ दिनों बाद जेल से पादरी जोशुआ का खत आया जिसमें कहा गया कि पादरी कैमरून के प्यार करते हैं।

चर्च और संस्था में ऐसा माहौल था कि पादरी के पास जाना बहुत ‘बड़ी बात’ मानी जाती थी। ऐसी लड़कियों को ‘खास ब्राइडेल’ कहा जाता था। कैमरून को भी खुद पर गर्व हुआ। वह अब पादरी की खास ब्राइडेल बनने का सपना देखने लगीं।

चर्च द्वारा आयोजित फैशन शो ( फोटो साभार- द सन)

नवंबर आते-आते कैमरून पूरी तरह चर्च के चंगुल में फँस चुकी थी। उसने अपने माता-पिता का घर छोड़ दिया और ईसाइयत का प्रचार करने वाले दक्षिण कोरियाई ग्रुप के साथ रहने लगी। अब चर्च ही कैमरून की जिंदगी बन गई। दोस्तों से उसने बात करना भी बंद कर दिया।

पिता से मिलने नहीं दिया गया

जनवरी 2012 में कैमरून की माँ उसे समझाने और चर्च पर हुए नए रिसर्च की जानकारी देने के लिए उससे मिलीं। कैमरून डर गई लेकिन फिर ग्रुप ने उनका ब्रेनवॉश कर दिया। इसके बाद जब पिता कैमरून से मिलने आए तो उसे छुपा कर भगा दिया गया।

पहली बार पादरी जोशुआ से मिलीं कैमरून

कुछ सप्ताह बाद कैमरून अपने ग्रुप के साथ दक्षिण कोरिया के जेल में बंद पादरी जोशुआ से मिलने पहुँची। इस दौरान वो काफी नर्वस थी।

कैमरून के मुताबिक, “अचानक पादरी जोशुआ पहुँचा। उन्होंने कहा कि वो सबसे मिलकर काफी खुश हैं। इस दौरान मुझसे ‘आई लव यू’ कहा। लेकिन मैं उनसे किसी तरह का प्यार महसूस नहीं कर पा रही थी।”

पादरी ने सेक्स करने को कहा

कैमरून वापस आई तो उसे पादरी का खत मिला। उसे पादरी ने सेक्स करने के लिए आमंत्रित किया था। कैमरून मान गई। वह कहती हैं कि पादरी के साथ सेक्स के बाद उन्हें बुरा नहीं लगा, क्योंकि मसीहा के साथ सबकुछ ‘पवित्र’ था। इसी तरह कई दिन बीत गए।

कैमरून कहती हैं कि वो खुद को फिट रखने के लिए व्यायाम करने लगीं। ज्यादा व्यायाम करने, कम खाने और ज्यादा काम करने की वजह से वह बीमार पड़ गईं। कैमरून का काफी वजन घट गया। जनवरी 2012 में अस्पताल में भर्ती होना पड़ा और वो इटिंग डिसऑर्डर का शिकार हो गई।

माँ ने मुझे बचाया- कैमरून

कैमरून कहती हैं कि माँ ने चर्च के बजाय मुझे अस्पताल से छुट्टी दिलवा कर घर ले गईं और मनोचिकित्सक से संपर्क किया।

दो दिन तक मनोचिकित्सक ये बताते रहे कि कैसे पादरी की संस्था ने उसका ब्रेनवॉश किया? कैसे वो लोग रणनीति बना कर लोगों को बरगलाते हैं? कैमरून को सच का पता चलने पर समझ में आया कि पादरी जोशुआ यानी जंग म्युंग-सोक तीन महिलाओं के साथ बलात्कार और यौन उत्पीड़न के लिए जेल में बंद था।

कैमरून के मामले के उजागर होने और आरोप साबित होने के बाद 2023 में जंग म्युंग-सोक को रेप और यौन उत्पीड़न का दोषी ठहराया गया और उसे 23 साल और जेल की सजा हुई।

कैमरून को एहसास हुआ कि उन्हें कितना धोखा दिया गया था

2013 में पादरी जोशुआ के चंगुल से छूट कर धीरे-धीरे कैमरून अपने जीवन में आगे बढ़ने लगीं। धार्मिक कार्यक्रमों में जाकर जागरूकता फैलाना, दूसरे पीड़ितों की मदद करना उनके जीवन का मकसद बन गया। लिज कैमरून फिलहाल कैनबरा में रहती हैं। वो वकील भी हैं साथ ही मनोविज्ञान की डिग्री की पढ़ाई कर रही हैं।

चैनल 7 ने स्पॉटलाइट कार्यक्रम के अंतर्गत ‘द कल्ट नेक्स्ट डोर’ नाम से उनकी कहानी पर डॉक्यूमेंट्री बनाई है। उसको फिल्माने के लिए 2023 में कैमरून दक्षिण कोरिया गई। लिज इन दिनों धार्मिक कट्टरता, लोगों का ब्रेनवॉश और उसके पीछे के मनोविज्ञान का पूरा सच दुनिया के सामने रखने की कोशिश करती हैं।



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