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ब्रिटेन के लीसेस्टर में दीवाली के आयोजन पर लगी पाबंदी, नहीं होगी आतिशबाजी

ब्रिटेन के लीसेस्टर में रहने वाले हिंदू धर्म के लोग धूमधाम से दीपावली त्योहार नहीं मना पाएँगे। ब्रिटिश अधिकारियों ने आतिशबाजी और मंच पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने पर पाबंदी लगा दी है। इसके पीछे पब्लिक सेफ्टी का हवाला दिया गया है।

लीसेस्टर सिटी काउंसिल के मुताबिक, हर साल की तरह इस साल भी बेलग्रेव रोड पर मशहूर ‘गोल्डन माइल’ लाइटों से जगमगाएगा और 20 अक्टूबर 2025 को सड़कों पर ट्रैफिक भी बंद रहेगा। लेकिन इस बार आतिशबाजी नहीं होगी, ना ही मंच पर कोई कार्यक्रम होगा। पिछले सालों की तरह दीवाली का मेला भी नहीं लगेगा।

यह कदम शहर के सुरक्षा सलाहकार समूह (SAG) के निर्देश के बाद उठाया गया है, जिसमें काउंसिल, पुलिस और आपातकालीन सेवाओं के प्रतिनिधि शामिल हैं। SAG ने कहा कि पिछले साल दीपावली पर लगभग 50 हजार लोग इकट्ठा हुए थे, जो कि सुरक्षा के लिए चिंता का विषय है।

भारतीय मूल की ब्रिटिश सांसद शिवानी राजा ने की आलोचना

भारतीय मूल की लीसेस्टर सांसद शिवानी राजा ने इस फैसले की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि दीपावली का जश्न खतरे में है। शिवानी राजा ने एक्स पर पोस्ट में लिखा, “हमारी दीवाली का जश्न अब भी खतरे में, हमारे जश्न पर संकट मंडरा रहा है।”

सांसद ने आगे लिखा, “भारत से बाहर लीसेस्टर में दीवाली सबसे बड़ा जश्न है और हमारे शहर का मुख्य आकर्षण भी है। बावजूद लीसेस्टर सिटी काउंसिल अब पब्लिक सेफ्टी के नाम पर इस जश्न को सीमित करना चाहती है।”

पिछले साल दीवाली में परोसा मीट और शराब

यह पहली बार नहीं है जब ब्रिटेन में दीवाली के जश्न पर विवाद खड़ा हुआ है। पिछले साल 2024 में भी पीएम कीर स्टार्मर की सरकार के दौरान 10 डाउनिंग स्ट्रीट पर दीवाली रिसेप्शन कार्यक्रम में मीट और शराब परोसी गई थी।

तब भी हिंदू, सिख और जैन समाज के लोगों ने इस घटना को धार्मिक भावनाओं के खिलाफ बताकर विरोध जताया था। लीसेस्टर सांसद शिवानी राजा ने तब भी स्टार्मर को पत्र लिखकर कहा था कि खाने का मेन्यू धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार नहीं था। उन्होंने आगे से गाइडेंस देने की पेशकश भी की थी।

लीसेस्टर में हिंदू-विरोधी माहौल खड़ा करने की हुई कोशिश

ब्रिटेन के लीसेस्टर में 18 प्रतिशत हिंदू समाज के लोग रहते हैं। यही कारण है कि लीसेस्टर की दीवाली दुनियाभर में मशहूर है। इसके अलावा बाकी हिंदू त्योहार भी धूमधाम से मनाए जाते हैं। हालाँकि, शहर में कई बार हिंदू-विरोधी माहौल खड़ा करने की कोशिश की गई है।

हाल ही में गणेश चतुर्थी की शोभायात्रा में भगवा झंडे लगाने को लेकर विवाद शुरू हुआ था। जब मुस्लिम काउंसिल ऑफ ब्रिटेन (MCB) ने इसे ‘हिंदू कट्टरवाद’ बताकर कार्रवाई की माँग की थी।

वहीं साल 2022 में भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच के बाद हिंसा के जख्म अब तक नहीं भरे हैं। सोशल मीडिया पर हिंदुओं के खिलाफ झूठी अफवाहें फैलाई गई थीं। इन अफवाहों के बाद हिंदू घरों और मंदिरों पर हमले हुए, भगवा झंडो का अपमान किया गया और सरेआम लोगों पर चाकू से वार किए गए थे।

कुछ समय बाद नवंबर 2022 में आई घटना की जाँच रिपोर्ट में साफ हो गया था कि हिंसा ‘हिंदुत्व कट्टरवाद’ से नहीं, बल्कि इस्लामी दुष्प्रचार से भड़की थी।



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