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ब्रिटेन की नई गृह मंत्री शबाना महमूद, निष्पक्षता पर उठे सवाल

पाकिस्तानी मूल की सांसद शबाना महमूद भारत विरोधी बयानबाजी में ज्यादातर देखी जाती है, जिसमें जम्मू-कश्मीर से आर्टिक्ल 370 हटाने, AFSPA को हटाने, आतंकवाद के आरोप में बंद लोगों को रिहा करने और सामूहिक कब्रों की जाँच करने जैसे मामले शामिल है। अब उन्हीं शबाना महमूद को ब्रिटेन की नई गृह मंत्री बनाया गया है। इस नियुक्ति ने सोशल मीडिया पर एक नई बहस छेड़ दी है।

कई लोग शबाना महमूद की निष्पक्षता पर सवाल उठा रहे हैं, क्योंकि शबाना ने खुद कहा है कि उनके लिए इस्लाम सबसे महत्वपूर्ण है। आलोचकों का मानना है कि इस तरह के विचारों वाली महिला आव्रजन और सीमा नियंत्रण जैसे संवेदनशील मुद्दों पर निष्पक्ष होकर काम नहीं कर पाएगी, खासकर जब उनका इतिहास भी विवादित रहा है।

इस्लाम को बताया सबसे महत्वपूर्ण

शबाना महमूद की नियुक्ति पर सबसे बड़ा सवाल उनके मजहबी रुख को लेकर उठा है। एक पुराने वीडियो में शबाना महमूद ने साफ तौर पर कहा था कि उनके लिए इस्लाम उनके जीवन में किसी भी चीज से ज़्यादा महत्वपूर्ण है। शबाना महमूद ने यह भी कहा था कि यह उनके हर काम का मूल आधार है।

इसी बयान को आधार बनाकर अमेरिकी पत्रकार टॉमी रॉबिन्सन और कई अन्य लोगों ने ट्वीट किया है कि एक व्यक्ति, जो अपने मजहब को सबसे ऊपर रखती हो, क्या वह आव्रजन और सीमा नियंत्रण जैसे जटिल मामलों में निष्पक्षता से काम कर पाएँगी? यह पद बहुत ही संवेदनशील होता है, जहाँ देश की सुरक्षा और राष्ट्रीय हित सर्वोपरि होते हैं।

एक अन्य यूजर क्रिस रोज ने ट्वीट कर कहा कि एक ऐसी गृह सचिव जो भीड़तंत्र को बढ़ावा दे, वह ‘अयोग्य और खतरनाक’ है। ये सभी घटनाएँ उनकी कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं।

भारत विरोधी और कश्मीर पर प्रोपेगेंडा

शबाना महमूद पर केवल इस्लाम का पक्ष लेने का ही आरोप नहीं है, बल्कि उसका इतिहास भारत विरोधी गतिविधियों और बयानों से भी भरा हुआ है। शबाना महमूद के अम्मी-अब्बू पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) से हैं और इस वजह से वह लंबे समय से कश्मीर मुद्दे पर भारत के खिलाफ बोलती रही हैं।

नवंबर 2015 में शबाना महमूद और साथियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा था, जिसमें जम्मू-कश्मीर से सेना हटाने और अनुच्छेद 370 को लेकर भारत की आलोचना की गई थी। इसके बाद 2019 में जब भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 हटाया तो शबाना ने इसे ‘अन्याय से भरी’ और ‘एकतरफा कार्रवाई’ बताई।

फिर शबाना महमूद ने तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन से भारत पर दबाव बनाने की अपील भी की थी। एक समय पर शबाना महमूद ने ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन्स में भारत के आंतरिक मामलों में विदेशी हस्तक्षेप की माँग भी की थी।

इन सभी बातों को देखते हुए, आलोचकों का कहना है कि क्या एक ऐसी व्यक्ति, जो भारत के खिलाफ इतना पक्षपातपूर्ण रवैया रखती हो, वह भारत के साथ संबंधों में निष्पक्षता बरत पाएगी?

इजरायल विरोधी गतिविधियाँ

शबाना महमूद की आलोचना सिर्फ भारत विरोधी रुख तक सीमित नहीं है। वह पहले भी इजरायल विरोधी प्रदर्शनों में शामिल रही हैं। एक तस्वीर में शबाना महमूद एक पोस्टर पकड़े हुए दिखाई दी थीं। इस पर लिखा था, ”फिलिस्तीन को आजाद करो, इजरायली कब्जे को खत्म करो।”

2014 की डेली मेल की एक रिपोर्ट के अनुसार, शबाना महमूद बर्मिंघम में एक सुपरमार्केट को जबरन बंद करने में शामिल थीं, क्योंकि वहाँ कथित तौर पर ‘अवैध बस्तियों’ से सामान स्टॉक किया गया था। यहूदी लोगों ने उन पर ‘तनाव बढ़ाने’ का बढ़ावा देने का आरोप लगाया था। एक लेख में, द जेरूसलम पोस्ट ने बताया था कि वह किस तरह इजरायल विरोधी बयानबाजी लगातार कर रही थीं।

आगे की चुनौतियाँ

गृह सचिव के रूप में शबाना महमूद के सामने कई चुनौतियाँ हैं, खासकर अवैध प्रवासियों से निपटने की। छोटे नावों से ब्रिटेन में आ रहे अवैध प्रवासियों को रोकना इस समय लेबर सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।

रिफॉर्म यूके पार्टी इस मुद्दे पर लगातार लेबर पार्टी को घेर रही है। अब यह देखना होगा कि शबाना महमूद इन चुनौतियों से कैसे निपटती हैं और क्या वह अपने विवादित बयानों और ‘इस्लाम ही सब चीजों से ऊपर’ को पीछे छोड़कर निष्पक्षता से काम कर पाती हैं। शबाना महमूद की हर कार्रवाई पर अब ब्रिटेन और दुनिया भर की नजर रहेगी।



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