बांग्लादेश हिंदुओं की स्थिति

बांग्लादेश में तख्तापलट को 1 साल पूरे हो गए हैं। आज से ठीक 12 महीने पहले बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना अचानक अपने ही मुल्क को छोड़कर भागना पड़ा था क्योंकि वहाँ की कथित ‘छात्र युवा शक्ति’ ने प्रधानमंत्री आवास पर हमला बोल दिया था। इस अटैक के बाद जो तस्वीरें सोशल मीडिया पर आईं उन्हें कभी कोई नहीं भुला सकता और उसके बाद जो हुआ उसे पूरी दुनिया देख रही है।

एक साल पहले मीडिया में जिस ‘छात्र प्रदर्शन’ को क्रांतिकारी बताया जा रहा था उसका अंत पूर्व प्रधानमंत्री के अंडरगार्मेंट फैलाने से हुआ। याद करिए कैसे छात्रों के नाम पर इस्लामी कट्टरपंथियों की भीड़ प्रधानमंत्री आवास में घुसी थी और तमाम सामान चुराने के साथ ब्रा-ब्लाउज को चुराकर ले भागे थे। उस दिन बांग्लादेश में हसीना सरकार की सत्ता का अंत था और हिंदुओं पर होने वाले अत्याचार में बढ़ौतरी की शुरुआत।

हाल में बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद की एक रिपोर्ट आई थी। इस रिपोर्ट में जानकारी दी गई थी 4 अगस्त से 30 जून के बीच 330 दिनों की अवधि में देश भर में धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की कुल 2442 घटनाएँ हुईं। इनमें हत्या, महिलाओं के खिलाफ हिंसा, बलात्कार, सामूहिक बलात्कार, धार्मिक स्थल पर हमले, ईशनिंदा के आरोप में गिरफ्तारियाँ, घर-व्यवसाय पर कब्जा जैसे मामले शामिल थे।

ऑपइंडिया, पहले बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार को लेकर अपनी विस्तृत रिपोर्ट कर चुका है। आज कुछ घटनाएँ याद दिलाकर हम आपको ये बताएँगे कि पिछले एक साल में कैसे हिंदू महिलाओं के साथ इस्लामी कट्टरपंथियों ने सुलूक किया।

  • बात 26 जून 2025 की है। बांग्लादेश के कुमिल्ला में एक हिंदू महिला अपने मायके रहने आई थी। जब बांग्लादेशी नेशनलिस्ट पार्टी के नेता फजोर अली ने उसे अपनी हवस का शिकार बनाया। फजोर अली ने उसे घर में अकेला पाकर उसके साथ बलात्कार किया और उसकी रोती-चीखती नंगी वीडियो बनाई और उसे वायरल भी किया। वीडियो में महिला हाथ जोड़कर रोते हुए हुए उसे छोड़ने को कह रही थी, मगर फरोज के साथ खड़े एक शख्स को उस पर एक भी बार दया नहीं आई। अंत में पीड़िता मदद के लिए और तेज चिल्लाई तो आखिर में पड़ोसी मदद के लिए पहुँचे। पीड़िता को अस्पताल ले जाया जहाँ पुष्टि हुई कि उसके साथ दुष्कर्म किया गया है।
  • अगला मामला। शेख हसीना सरकार के जाने के चंद दिनों बाद का है। सतखीरा जिले में 30-35 लोगों की भीड़ एक हिंदू महिला के घर में घुसी। फिर उसके घर को लूटा और बाद में उसे गौशाला ले गए जहाँ उसे चुप रहने की धमकी देकर सबने बारी-बारी से उसके साथ बलात्कार किया। दुष्कर्म के बाद महिला अचेत अवस्था में थी। उसे अस्पताल ले जाया गया और पूछा गया लेकिन महिला ने बताया कि उसके साथ जिन्होंने कुकर्म किया वो उनमें से किसी को नहीं पहचान सकती क्योंकि उसके मुँह पर मास्क था।
  • 52 साल की एक अन्य हिंदू महिला भी बांग्लादेशी कट्टरपंथियों की दरिंदगी का शिकार 24 दिसंबर 2024 को हुई थी। बसना के साथ गैंगरेप हुआ था। कट्टरपंथियों ने न केवल उसे शारीरिक प्रताड़नाएँ दी थी बल्कि उसे मानसिक रूप से भी परेशान किया था। महिला को अपने साथ हुई घटना पर इतना लज्जित महसूस हुआ कि उन्होंने खुद कीटनाशक पीकर हत्या कर ली।
  • इसी तरह एक हिंदू महिला ने अपने घर हुई लूटपाट की जानकारी देते हुए बताया कि इस्लामी कट्टरपंथियों ने घर में घुस सिर्फ सामान नहीं लूटा बल्कि वह तलवार-धारदार हथियार के दमपर घर की एक महिला को पकड़ लिया और उसे दूसरे कमरे में ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म भी किया। गनीमत बस इतनी रही कि उन्होंने उसकी जान को बख्श दिया क्योंकि परिवार के मुताबिक इस्लामी कट्टरपंथी महिला का गला काटना चाहते थे।

हिंदू महिलाओं के साथ हुई ये घटनाएँ अंतिम खबरें नहीं है। इनकी लिस्ट लंबी है। अब भी ऐसे तमाम मामलों से मीडिया भरा पड़ा हुआ है। वहीं अनगिनत वीडियोज सोशल मीडिया पर मौजूद हैं जिनमें हिंदू महिलाएँ रो-रोकर अपनी व्यथा बता रही हैं, लेकिन सुनवाई के नाम पर कोई एक्शन तक नहीं लिया होता।

शेख हसीना की सरकार जाने के बाद हिंदू कई रात अपने घर, अपने मंदिर, अपनी महिलाओं की रक्षा में जागते रहे। उन्होंने बार-बार गुहार लगाई कि उनकी मदद की जाए, उन्हें बचाया जाए, सरकार देश में सांप्रदायिक सद्भाव बहाल रहें, अल्पसंख्यकों को सुरक्षा प्रदान करें… लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई।

आज जब उस तख्तापलट को हुए 1 साल हो गया है। इस्लामी कट्टरपंथियों के दबदबे से मुल्क गर्त में रोज नए तरीके से ढकेला जा रहा है। न सांस्कृतिक विरासत बच पा रही है और न ही संस्कृति बचाने वाले। चुन-चुनकर हिंदू धर्मस्थलों को निशाना बनाया जाता है। समय-समय पर हिंदू विरोधी की हिंसा की बात सामने आती है… और जहाँ तक हिंदू महिलाओं के अधिकारों को संरक्षित करने की बात है तो इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि वहाँ इस्लामियों की सत्ता आने के बाद से सभी महिलाओं की आवाज दबाने की बात हो रही है।

महिला आयोग करो खत्म, लड़कियों को खेलने मत दो: इस्लामी जमातों के तर्क

अप्रैल 2025 की खबर पढ़िए। बांग्लादेश में इस्लामवादी गठबंधनों ने एक माँग उठाई थी कि देश में जो सरकारी महिला आयोग चल रहा है उसे खत्म किया जाए। इस माँग को करते हुए इस्लामी कट्टरपंथियों ने कहा था- समानता सुनिश्चित करना एक पश्चिमी विचारधारा है। पुरुषों और महिलाओं के बीच समानता नहीं रखी जानी चाहिए।

इसके अलावा जनवरी 2025 में खबर आई थी कि इस्लामी संगठनों के दबाव में आकर महिलाओं का एक फुटबॉल मैच को रद्द करना पड़ा था क्योंकि ये मैच इस्लामी कट्टरपंथियों को नहीं पसंद था। उन्होंने मैच से कुछ दिन पहले ही सैंकड़ों की तादाद में इकट्ठा होकर आयोजन स्थल पर हमला कर दिया और हर जगह तोड़फोड़ कर दी थी। एक स्कूल के प्रिंसिपल ने तो यहाँ तक कहा था कि लड़कियों का फुटबॉल खेलना गैर-इस्लामी है। ये मजहबी जिम्मेदारी है ऐसी चीजों को रोका जाए तो इस्लामी मान्यता के खिलाफ हों।

प्रधानमंत्री मोदी से लड़कियों ने माँगी मदद

बता दें कि बांग्लादेश में महिलाएँ अपनी सुरक्षा को लेकर इतनी व्यथित हो चुकी थीं कि उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखना शुरू कर दिया। सोशल मीडिया पर सामने आए एक पत्र के अनुसार बांग्लादेशी हिंदू लड़कियों ने पीएम मोदी से गुहार लगाई थी कि उन्हें बचा लिया जाए। पत्र में लिखा था- “हमारे साथ बांग्लादेश में बहुत बुरी चीजें हो रही हैं। हम पर सुनियोजित तरीके से हमले और अत्याचार किए जा रहे हैं। मैं आपको इस स्थिति का वर्णन नहीं कर सकती।”

इस पत्र में लड़की ने लिखा था कि बांग्लादेश के इस्लामी कट्टरपंथी और आतंकी समूह ने हिंदुओं पर अकल्पनीय अत्याचार शुरू किए हैं। लड़कियों के साथ बलात्कार हो रहा, घरों-मदिरों पर गोलीबारी हो रही है, हिंदुओं के व्यवसायों को लूटा जा रहा है और संपत्ति न देने पर जान से मारने की धमकी दी जा रही है। इस पत्र की प्रमाणिकता क्या है ये तो नहीं पता लेकिन इसे शेयर करने वाले रिटार्यड फौजी हैं और उन्होंने दावा किया था कि इस पत्र को एक बांग्लादेशी लड़की ने ही लिखा है।

पत्र वो किस लड़की ने लिखा यहाँ ये जानना जरूरी नहीं है बल्कि ये जानना जरूरी है कि ये स्थिति आई कैसे। 4-5 अगस्त को बांग्लादेश में यूँही तख्तापलट नहीं हो गया था। इसी पृष्ठभूमि उसी समय से तैयार होने लगी थी जब शेख हसीना की पार्टी ने आम चुनाव में जीत हासिल की और लगातार चौथी बार अपनी सरकार बनाई।

छात्र प्रदर्शन था इस्लामी कट्टरपंथ की साजिश

5 जून से बांग्लादेश में एक प्रदर्शन शुरू हुआ जो सरकारी नौकरी से 30% कोटा हटाए जाने के विरोध में शुरू हुआ। 1जुलाई को बांगलादेश बंद की घोषणा करते हुए सड़के और रेलवे लाइन तक जाम कर दी गई। इस दौरान पूर्व सरकार ने स्थिति संभालने के प्रयास करते हुए इंटरनेट ब्लॉक किए, कर्फ्यू लगाए, लेकिन प्रदर्शन हल्का नहीं हुआ। 18 जुलाई के आसपास ये प्रदर्शन और व्यापक स्तर पर मीडिया में दिखाया जाने लगा। 4 अगस्त को खबर आई कि प्रदर्शनकारी और सुरक्षाकर्मियों के बीच झड़प हो गई है और 5 अगस्त को उनके पीएम आवास में घुसकर लूटपाट करने की खबर आई।

दिलचस्प बात ये है कि 5 अगस्त तक ये पूरा प्रदर्शन ‘छात्र प्रदर्शन’ बताकर मीडिया में फैलाया गया था, लेकिन बाद शेख हसीना के मुल्क छोड़ते ही नजर आने लगा कि इन सबमें इस्लामी कट्टरपंथियों का क्या हाथ था। शेख हसीना के आवास से निकालकर ब्रा और ब्लाउज लहराने वाली उपद्रवी मानसिकता हिंदुओं के घरों पर चुन-चुनकर अटैक करने लगी। उन्होंने अल्पसंख्यक हिंदुओं को ऐसे निशाना बनाया जैसे वो इसी अवसर की फिराक में थे। करीबन 3-4 दिन हमलों की अनगिनत खबरें सामने आईं। इसके बाद 8 अगस्त को घोषणा की गई कि नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद युनूस अंतरिम सरकार के प्रमुख बनें और अगले चुनाव तक देश संभाले। सत्ता हाथ में आते ही युनूस सरकार ने दिखावा किया कि वो अल्पसंख्यकों पर हुए अत्याचारों के खिलाफ एक्शन लेंगे, लेकिन हुआ कुछ भी नहीं। उलटा जिन लोगों पर हिंसा के केस थे उनपर से केस वापस लेने तक की खबरें आईं और ये पता चला कि सेकुलर चेहरा दिखाते हुए जिसे मुल्क संभालने को दिया गया उस पर तो असल पमें कट्टरपंथ का रंग चढ़ा हुआ है।



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