बिहार में चुनाव आयोग की मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया को लेकर विपक्षी दल लगातार विवाद कर हैं। हजारों-लाखों पात्र मतदाताओं के वोट कटने का दावा किया जा रहा है। वहीं, अब चुनाव आयोग ने SIR पर शनिवार (9 अगस्त 2025) को सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा दाखिल कर दिया है। आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि बिना नोटिस दिए किसी भी मतदाता को अंतिम वोटर लिस्ट से बाहर नहीं किया जाएगा।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) नामक NGO ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दावा किया था कि 65 लाख मतदाताओं को गलत तरीके से सूची से बाहर किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने 6 अगस्त को आदेश दिया कि चुनाव आयोग इस मामले में हलफनामा दायर करे। 1 अगस्त 2025 को यह ड्राफ्ट सूची प्रकाशित की गई थी। कोर्ट अब 13 अगस्त को इस मामले में सुनवाई करेगा।
अब आयोग ने अपने हलफनामे इसमें साफ कर दिया है कि बिना किसी पूर्व नोटिस, सुनवाई का अवसर और तर्कपूर्ण आदेश के किसी भी पात्र मतदाता का नाम नहीं हटाया जाएगा। आयोग ने बताया कि सभी योग्य मतदाताओं का नाम फाइनल सूची में आ जाए इसके लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। किसी नाम को हटाए जाने को रोकने के लिए भी ‘कड़े निर्देश’ जारी किए गए हैं।
आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में क्या बताया?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, चुनाव आयोग ने अपने हलफनामे में बताया है कि 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 7.24 करोड़ लोगों अपने फॉर्म किए हैं या अपने नामों को पुष्टि की है। इस विस्तृत में शामिल रहे लोगों को लेकर EC ने कहा कि इसके लिए बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, 38 जिला निर्वाचन पदाधिकारी, 243 निर्वाचन पंजीकरण पदाधिकारी, 77895 बूथ लेवल ऑफिसर (BLO), 2.45 लाख स्वयंसेवक और 1.60 लाख बूथ स्तर एजेंट सक्रिय रहे हैं।
राजनीतिक दलों को दी गई छूटे नामों की सूची: EC
चुनाव आयोग के मुताबिक, BLO ने घर-घर जाकर मौजूदा मतदाताओं से फॉर्म लिए और उसके बाद ही उन व्यक्तियों की पहचान की गई जिनके गणना फॉर्म नहीं मिले हैं। EC ने कहा कि 20 जुलाई 2025 तक इन बूथ-स्तरीय सूचियों को मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के बीएलए के साथ साझा कर दिया गया था। इसका मकसद था कि राजनीतिक दल भी वोटर वेरीफाई कर लें और कोई दिक्कत होने पर अपडेटेड सूची में जरूरी बदलाव किए जा सकें। बाद में इन दलों के ‘सक्रिय प्रयासों’ के बाद अपडेटेड सूची जारी की गई।
कोई मतदाता ना छूटे इसके लिए EC कर रहा है प्रयास
आयोग ने कहा कि हर योग्य मतदाता का नाम फाइन वोटिंग लिस्ट में आ जाए इसके लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं और इस प्रक्रिया पर रोजाना प्रेस विज्ञप्ति के जरिए जनता को जानकारी दी जा रही है। प्रवासी मजदूरों के लिए 246 अखबारों में हिंदी में विज्ञापन, ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यमों से फॉर्म भरने की सुविधा है। शहरी क्षेत्रों में विशेष कैंप, युवाओं के पंजीकरण के लिए अग्रिम आवेदन की व्यवस्था की गई है।
किसी भी नाम को प्रारूप सूची से हटाने से पहले नोटिस, सुनवाई और सक्षम अधिकारी का कारणयुक्त आदेश अनिवार्य है। 1 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक दावे और आपत्तियां दर्ज की जा सकती हैं। इस दौरान ड्राफ्ट वोटर लिस्ट को लोग ऑनलाइन भी देख सकते हैं। इन दावों को 7 दिनों में निस्तारित करने की प्रक्रिया बनाई गई है। इसकी अपील पहले ERO फिर मुख्य निर्वाचन अधिकारी के बाद जाएगी।
अगर किसी के पास मौजूदा वक्त में कोई दस्तावेज नहीं है तो उसे दस्तावेज इकट्ठा करने में भी चुनाव आयोग द्वारा मदद की जा रही है। जिनके नाम ड्राफ्ट सूची में नहीं हैं, वे अपने दस्तावेजों के साथ नाम दर्ज करा पाएँ इसके लिए चुनाव आयोग पूरी कोशिश में जुटा है।
ADR की याचिका पर EC ने उठाए सवाल
चुनाव आयोग ने याचिकाकर्ता NGO ADR की याचिका को खारिज करने की माँग की और उस पर जुर्माना लगाकर ‘उचित कार्रवाई’ करने का भी अनुरोध किया है। आयोग का कहना है कि ADR ने ‘अशुद्ध हाथों’ से आवेदन दायर किया है और उनका तरीका पहले की तरह ही है, जिसमें वे डिजिटल, प्रिंट और सोशल मीडिया पर झूठी खबरें फैलाकर चुनाव आयोग को बदनाम करने की कोशिश करते हैं।
चुनाव आयोग ने ADR के इस तर्क को खारिज कर दिया कि जिन लोगों के नाम बूथ लेवल अधिकारियों ने अनुशंसित नहीं किए थे, वे मसौदे में शामिल थे। आयोग ने कहा कि BLO से मिली जानकारी केवल एक संकेत है और इसकी दोबारा जांच निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों द्वारा की जानी चाहिए।