बिहार में भारत-नेपाल सीमा से सटे इलाकों में चल रहे अवैध और बिना पंजीकरण वाले मदरसों के नेटवर्क का खुलासा किया है। मीडिया रिपोर्ट के सामने आते ही राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने इसका संज्ञान लेते हुए कार्रवाई शुरूकर दी है। रिपोर्ट में इन मदरसों में जिहादी ट्रेनिंग, फर्जी पहचान पत्र, विदेशी फंडिंग और जाकिर नाइक के भड़काऊ वीडियो दिखाने जैसी गंभीर गतिविधियों का खुलासा हुआ है।

NHRC ने तुरंत लिया संज्ञान

NHRC के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने शनिवार (26 जुलाई 2025) को कहा कि आयोग ने रिपोर्ट को गंभीरता से लिया है। उन्होंने रविवार (27 जुलाई 2025) को सोशल मीडिया पर बताया कि इन मदरसों में बांग्लादेशी घुसपैठियों को फर्जी भारतीय पहचान पत्र दिलवाए जा रहे हैं, बच्चों को ब्रेनवॉश कर कट्टरपंथी बनाया जा रहा है और हवाला के जरिए विदेशी फंडिंग हो रही है।

रिपोर्ट में क्या-क्या आया सामने?

रिपोर्ट के अनुसार, बिहार के कुछ मदरसों को लेकर चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। मुजफ्फरपुर जिले के ‘जामिया नूरिया मिराजुल उलूम’ मदरसे में एक शिक्षक ने कैमरे पर यह कबूल किया कि उन्हें हवाला के जरिए पैसे मिलते हैं और वहाँ बच्चों को ‘जिहादी सोच’ सिखाई जाती है।

वहीं, सीतामढ़ी में स्थित ‘मदरसा इस्लामिया महमूदिया’ बिना किसी पंजीकरण और सुविधा के टिन की छत के नीचे संचालित हो रहा था। रिपोर्ट के अनुसार, इस मदरसे में बांग्लादेशी बच्चों को फर्जी पहचान पत्रों के माध्यम से दाखिला दिया जाता था।

इन संस्थानों में कट्टरपंथी मौलाना ज़ाकिर नाइक के वीडियो दिखाकर बच्चों में गैर-मुसलमानों के प्रति नफरत भरी विचारधारा भरी जा रही है। इसके अलावा, पढ़ाई में इस्तेमाल होने वाली पुस्तक ‘तालीम-उल-इस्लाम’ में गैर-मुसलमानों को ‘काफिर’ बताया गया है, जो इस्लामी कट्टरता को बढ़ावा देने वाला माना जा रहा है।

वही जाँच में पता चला कि नेपाल की सीमा के भीतर भी ऐसे ही इस्लामी संस्थानों का बड़ा नेटवर्क मौजूद है, जो बिना किसी नियंत्रण के चल रहा है। वही इस नेटवर्क को विदेशों से भी फंडिंग मिलती है।

NHRC उठा रहा सख्त कदम

प्रियंक कानूनगो ने स्पष्ट किया है कि यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है और NHRC इस पर कड़ी जाँच और उचित कार्रवाई कर रहा है। सरकार से भी इन मदरसों की सतर्कता से जाँच की माँग की गई है।

यह रिपोर्ट केवल बिहार या उससे सटे सीमावर्ती क्षेत्रों की नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए सावधान करने वाली चेतावनी है कि किस तरह शिक्षा के नाम पर नफरत और आतंक की विचारधारा बच्चों के दिमाग में बोई जा रही है।



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