बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के पुनरीक्षण को लेकर बवाल मचा हुआ है। हर तरफ प्रदर्शन हो रहे हैं। सड़कें, रेल बंद हैं। लेकिन नेता लोग अपना भाषण देकर गायब हो गए। वहीं, अब भी कार्यकर्ता सड़कों पर लोट रहे हैं।
दरअसल, विपक्षी महागठबंधन ने इसे बीजेपी और चुनाव आयोग की साजिश बताकर बुधवार (9 जुलाई 2025) को ‘बिहार बंद’ बुलाया। सुबह से ही सड़कों पर हंगामा शुरू हो गया। पटना से लेकर दरभंगा, आरा, कटिहार तक महागठबंधन के कार्यकर्ताओं ने चक्का जाम कर दिया।
कहीं ट्रेनें रोकी गईं, कहीं हाईवे जाम किए गए। पटना के आयकर गोलंबर पर तो कॉन्ग्रेस कार्यकर्ता सड़क पर चादर बिछाकर लेट गए, बोले – “गाड़ी भी चढ़ जाए, हम नहीं उठेंगे!” वैशाली में RJD के लोग भैंस लेकर प्रदर्शन करने पहुँच गए। कोई रेलवे ट्रैक पर लेटा, तो कोई गाँधी सेतु पर आगजनी करता दिखा। पूरे बिहार में बाजार बंद, बस-ट्रेन ठप, जनता परेशान।
#WATCH | Patna | On 'Bihar Bandh', a Congress worker lying on the road to block it, says, "… Entire Bihar has been successfully shut down. The Mahagathbandhan is united against the rigging done by the Election Commission… We will not get up even if a car tramples us…" https://t.co/enxDNkFQEr pic.twitter.com/njV74H0YuZ
— ANI (@ANI) July 9, 2025
इधर, तेजस्वी यादव और राहुल गाँधी ने पटना में खुले ट्रक पर चढ़कर जोरदार भाषण दिए। तेजस्वी ने कहा, “ये बीजेपी की चाल है, गरीबों-दलितों का वोट छीनने की।” राहुल ने महाराष्ट्र के ‘वोट चोरी’ वाले आरोप को बिहार से जोड़ते हुए आयोग पर निशाना साधा।
राहुल गाँधी हो या तेजस्वी यादव, दोनों ने कार्यकर्ताओं को भड़काया और मार्च की शुरुआत की, लेकिन शहीद स्मारक के पास पुलिस ने रोक लिया। भाषण खत्म, फोटो खिंचवाए और दोनों नेता गायब। राहुल दिल्ली लौट गए, तेजस्वी घर। चुनाव आयोग के दफ्तर में अफसर इंतजार करते रह गए कि शायद कोई प्रतिनिधिमंडल आए, उनकी शिकायत सुने। लेकिन कोई नहीं पहुँचा।
विपक्ष का कहना है कि मतदाता सूची के लिए माँगे गए 11 दस्तावेजों में आधार कार्ड जैसी चीजें शामिल नहीं, जिससे गरीबों के नाम कट सकते हैं। तेजस्वी ने सवाल उठाया, “आयोग को ये हक किसने दिया?” उधर, आयोग का कहना है कि ये काम संविधान और कानून के तहत हो रहा है। ईसी का कहना है कि “किसी वैध वोटर का नाम नहीं कटेगा, सिर्फ घुसपैठियों और फर्जी नाम हटाए जाएँगे।” सुप्रीम कोर्ट में इस मसले पर 10 जुलाई को सुनवाई है, लेकिन उससे पहले बिहार की सड़कों पर सियासत गरमा गई।
बंद की वजह से आम लोग खासे परेशान दिखे। एक ऑटो ड्राइवर ने कहा, “नेता तो भाषण देकर चले गए, हमारी कमाई का क्या?” स्कूल-कॉलेज बंद, दुकानें सूनी, मरीज अस्पताल नहीं पहुँच पाए। विपक्ष का दावा है कि ये ‘लोकतंत्र बचाने’ की लड़ाई है, लेकिन सड़क पर भैंस और चादर लेकर प्रदर्शन देख जनता भी हैरान है। अब सवाल ये कि क्या ये बंद वाकई गरीबों की आवाज उठा रहा है या सिर्फ सियासी ड्रामा?