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बांग्लादेश में लगातार बढ़ रहे रेप और गरीबी के केस

बांग्लादेश इस समय दोहरी त्रासदी से जूझ रहा है। एक ओर मासूम बच्चियों के साथ रेप की घटनाओं में भयानक वृद्धि हुई और दूसरी ओर तेजी से बढ़ती गरीबी। साल 2025 के पहले सात महीनों में देश में बच्चियों के साथ रेप के मामलों में लगभग 75% की वृद्धि दर्ज की गई है। वहीं गरीबी की दर भी 28% के करीब पहुँच गई है, जो महज दो वर्षों में दोगुनी हो चुकी है। यह सब तब हो रहा है जब देश की बागडोर मुहम्मद यूनुस के हाथ में है, जो एक ‘लोकतांत्रिक और पारदर्शी सरकार’ के वादे के साथ सत्ता में आए थे।

रेप के बढ़ते आँकड़े – एक राष्ट्रीय शर्म

बांग्लादेश में बच्चियों के साथ बलात्कार के मामले में चौंकाने वाली वृद्धि हुई है। मानवाधिकार संगठन आईन ओ सालिश केंद्र (ASK) के आँकड़ों के अनुसार, 2025 के पहले सात महीनों (जनवरी-जुलाई) में 306 लड़कियों के साथ बलात्कार हुआ, जबकि 2024 में इसी अवधि में यह संख्या 175 थी। इसका मतलब है कि केवल सात महीनों में ही बलात्कार के मामलों में लगभग 75% की बढ़ोतरी हुई है।

यह संख्या 2024 के पूरे साल के कुल 234 मामलों को भी पार कर गई है। इनमें से 49 पीड़ित बच्चियाँ 0-6 साल की थीं, 94 बच्चियाँ 7-12 साल की थीं और 103 किशोरियाँ थीं। 30 लड़कों के साथ बलात्कार हुआ, जिनमें से अधिकांश 12 साल से कम उम्र के थे। इनमें मात्र 20 मामलों में केस दर्ज हो सके। बलात्कार के प्रयास के भी 129 मामले सामने आए। कानूनी कार्रवाई की बात करें तो, 306 में से केवल 251 मामलों में ही केस दर्ज हो पाया, यानि 55 बच्चियों को अब तक न्याय नहीं मिल सका। इस भयावह वृद्धि का कारण कमजोर कानून-व्यवस्था और अपराधियों में जवाबदेही की कमी है।

बांग्लादेश में बढ़ती गरीबी

जहाँ एक तरफ अपराध बढ़ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ बांग्लादेश की आर्थिक स्थिति भी बिगड़ती जा रही है। पावर एंड पार्टिसिपेशन रिसर्च सेंटर (PPRC) के अनुसार, बांग्लादेश में गरीबी दर 2022 के 18.7% से बढ़कर अब 27.93% हो गई है। इसी तरह, अत्यधिक गरीबी में रहने वाले लोगों का अनुपात भी 5.6% से बढ़कर 9.35% हो गया है। विश्व बैंक का अनुमान है कि 2025 में लगभग 30 लाख और लोग गरीबी रेखा के नीचे जा सकते हैं।

जब शेख हसीना सत्ता में थीं, तब बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था जीडीपी वृद्धि के मामले में मजबूत दिख रही थी। वर्तमान में, मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार काम कर रही है, जहाँ गरीबी और बेरोजगारी तेजी से बढ़ी है। मुहम्मद यूनुस के कार्यकाल के पहले नौ महीनों में 21 लाख से ज्यादा नौकरियाँ खत्म हो गईं, जिनमें से अधिकांश महिलाओं की थीं।

बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं पर हमले और अत्याचार की घटनाएँ लगातार हो रही हैं। लूटपाट, मंदिरों पर हमले और धार्मिक मूर्तियों को निशाना बनाना आम बात हो गई है। यूनुस के शासन में, भारत के साथ संबंधों में तनाव भी बढ़ा है, जिससे हिंदुओं की स्थिति और भी नाजुक हो गई है। कुल मिलाकर, बांग्लादेश में यूनुस सरकार के आने के बाद से अपराध और आर्थिक चुनौतियों में कोई खास कमी नहीं आई है, जिससे वहाँ की जनता, खासकर बच्चों और अल्पसंख्यकों के लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं।

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