प्रो नीलिमा अख्तर ढाका

बांग्लादेश की ढाका विश्वविद्यालय में एक वरिष्ठ प्रोफेसर नीलिमा अख्तर को फेसबुक पोस्ट पर मोहम्मद युनुस सरकार की आलोचना करने और बांग्लादेश के संस्थापक बंगबंधु को पसंदीदा इंसान बताने पर यूनिवर्सिटी से बर्खास्त कर दिया गया है।

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस की तानाशाही के कई मामले अब तक सामने आ चुके हैं। इस मामले में भी उनका अड़ियल रवैया सामने आया है। नीलिमा अख्तर ने अपने पोस्ट्स में डॉ. मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार की आलोचना की थी। साथ ही गोपालगंज नरसंहार, 5 अगस्त के बाद हुई हिंसा, और जिया-उर-रहमान के शासनकाल में 1300 सैनिकों की हत्या जैसे मुद्दों पर सवाल उठाए थे।

डॉ. नीलिमा अख्तर ने विश्वविद्यालय में जमात-शिबिर समर्थित समूहों द्वारा फैलाए जा रहे भीड़-आतंक के खिलाफ एक लिखित बयान जारी किया था, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इन बयानों के बाद उन्हें सोशल मीडिया पर विरोध का सामना भी करना पड़ा। छात्रों ने उनके खिलाफ प्रदर्शन करते हुए उन्हें सत्ता समर्थक और छात्र आंदोलनों की विरोधी बताया। छात्रों ने विभाग की दीवारों पर विरोध संदेश लिखे और उनकी बर्खास्तगी की माँग की।

फोटो साभार- https://en.bddigest.com/

ढाका विश्वविद्यालय में प्रोफेसर नीलिमा अख्तर भी 20 वर्षों से कार्यरत थीं। अंग्रेजी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर रहीं नीलिमा विश्वविद्यालय की शिक्षक राजनीति में सक्रिय थीं और 2022 में ढाका यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन के चुनाव में ब्लू पार्टी की ओर से विजयी हुई थीं। ये पार्टी आमतौर पर आवामी लीग समर्थक मानी जाती है।

5 अगस्त के बाद जब भी प्रो. नीलिमा अख्तर ने बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की विचारधारा, मुक्ति संग्राम की भावना, और छात्रों की सुरक्षा के पक्ष में खुलकर आवाज उठाई थी। उन्होंने लगातार विश्वविद्यालय में जमात-शिबिर के प्रभाव और आतंकवादी गतिविधियों के खिलाफ बोलना जारी रखा, जिसे उनकी बर्खास्तगी का एक प्रमुख कारण माना जा रहा है।

यह घटना सोशल मीडिया पर व्यापक समर्थन और आलोचना का विषय बन गई है। समर्थकों ने डॉ नीलिमा की पुनः नियुक्ति और उनके खिलाफ की गई कार्रवाई की पारदर्शी जाँच की माँग की है।

न्यूज 18 की एक रिपोर्ट की मानें तो प्रो नीलिमा को हाल की किसी पोस्ट के कारण नहीं बल्कि 17 जुलाई 2024 को की गई उनकी फेसबुक पोस्ट के कारण हटाया गया है। इस पोस्ट में उन्होंने एक आंदोलन को विरोधी ताकतों द्वारा पोषित बताया था। साथ ही इसमें बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की तस्वीर का उपयोग किया था।

रिपोर्ट के अनुसार, 1995 में भोर कागोज को दिए गए थे इंटरव्यू में उन्होंने शेख मुजीबुर रहमान को अपना पसंदीदा शख्सियत बताया था। इसके बाद अब उन्हें इस सोशल मीडिया पोस्ट के कारण बर्खास्त किया गया है।



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