बांग्लादेश में हिंदुओं के घरों पर हमला

बांग्लादेश के रंगपुर जिले में इस्लामी भीड़ ने हिंदुओं को निशाना बनाया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, गंगाचारा उपजिला के बेटगारी यूनियन में रविवार (27 जुलाई 2025) को 500-600 मुस्लिमों की भीड़ ने 15 से ज्यादा हिंदू घरों पर हमला किया। उन्होंने ‘ईशनिंदा’ के बहाने घरों में तोड़फोड़ की और सामान लूट लिया।

खबरों के मुताबिक, यह हमला रविवार शाम करीब 4:30 बजे हुआ। मुस्लिम भीड़ ने सिर्फ हिंदू घरों को निशाना बनाया और उनका सामान लूट लिया। डर की वजह से कम से कम 50 हिंदू परिवार अपने घर छोड़कर भाग गए।

यह हिंसा शनिवार (26 जुलाई 2025) से शुरू हुई, जब मुस्लिमों ने एक हिंदू व्यक्ति के घर पर लाठी और हथियारों से हमला किया।

रविवार शाम को फिर से मुस्लिम भीड़ ने हिंदू परिवारों के घरों को घेर लिया, तोड़फोड़ की और लूटपाट की। उनके पास लाठियाँ और देसी हथियार थे। एक हिंदू महिला ने रोते हुए कहा, “अब हम कैसे जिएँगे? हम पूरी तरह बर्बाद हो गए। उन्होंने (मुस्लिमों ने) सब कुछ छीन लिया।”

एक युवा हिंदू लड़की ने ‘आजकर पत्रिका’ को बताया कि जब हमलावर उनके घरों में तोड़फोड़ करने आए, तब पुलिस वहाँ थी। पुलिस ने पहले भीड़ को रोकने की कोशिश की, लेकिन बाद में भाग गई और हिंदुओं को उनकी किस्मत के भरोसे छोड़ दिया।

लड़की ने पूछा, “हम जैसे निर्दोष लोगों के घर क्यों तोड़े और लूटे गए?” उसे नहीं पता था कि मुस्लिम भीड़ ‘सामूहिक सजा’ देने के लिए ऐसा करती है।

गंगाचारा पुलिस के ओसी अल इमरान ने माना कि उन्होंने 500-600 मुस्लिमों की भीड़ को इकट्ठा होने दिया, क्योंकि उन्हें लगा कि यह ‘शांतिपूर्ण मार्च’ है। उन्होंने कहा, “लेकिन अचानक उन्होंने हमला शुरू कर दिया। एक पुलिसवाला गंभीर रूप से घायल हो गया।”

उन्होंने यह भी बताया कि मुस्लिम भीड़ ने दोपहर की नमाज के बाद यह हमला किया।

स्थानीय हिंदू निवासी प्रमोद महंत ने ‘प्रथम आलो’ को बताया कि मुस्लिमों ने बाजार में विरोध प्रदर्शन की बात कही थी, लेकिन जल्द ही नारे लगाने शुरू किए और हिंदू घरों पर हमला कर दिया।

बाद में पुलिस और फौज ने स्थिति को नियंत्रण में किया। हमलावर मौके से भाग गए। ऑपइंडिया के सूत्रों ने बताया कि हिंदू घरों को नष्ट करने के मामले में अभी तक एक भी गिरफ्तारी नहीं हुई है।

इसी तरह की हिंसा और आगजनी का तरीका मई में बांग्लादेश के जेसोर जिले में हिंदू समुदाय को सजा देने के लिए मुस्लिम भीड़ ने इस्तेमाल किया था।

कैसे शुरु हुए इस्लामी भीड़ के हमले?

शनिवार (26 जुलाई) को गंगाचारा में 18 साल के हिंदू लड़के रंजन रॉय को ‘ईशनिंदा’ के बिना सबूत के आरोपों में गिरफ्तार किया गया।

खबरों के मुताबिक, रंजन पर इस्लाम का अपमान करने और फेसबुक पर पैगंबर मुहम्मद के बारे में अपमानजनक पोस्ट करने का आरोप था। कहा गया कि उसने ‘रंजन रॉय एलआरएम’ नाम के आईडी से पाँच दिनों तक ऐसी पोस्ट कीं।

पत्रकार और फैक्ट-चेकर सोहन आरएसबी ने बताया कि रंजन का फेसबुक पर एक डुप्लिकेट अकाउंट था, और कथित तौर पर अपमानजनक पोस्ट उसी नए अकाउंट से की गई थीं। उन्होंने बताया कि नए अकाउंट ने रंजन के पुराने अकाउंट की तस्वीरें लेकर उसके परिवार के बारे में अपमानजनक कैप्शन के साथ पोस्ट की थीं।

बिना तथ्यों की जाँच किए, गुस्साई मुस्लिम भीड़ गंगाचारा की सड़कों पर उतर आई और हिंदू लड़के के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने लगी।

पुलिस ने जल्दी ही उनकी माँग मान ली और यह जाँच किए बिना कि नया फेसबुक अकाउंट रंजन का है भी या नहीं, 18 साल के लड़के को गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस ओसी अल इमरान ने कहा, “जब लोग गुस्सा हो गए, तो हमने उसे गिरफ्तार करने के लिए छापा मारा और कानून-व्यवस्था को नियंत्रित किया। उससे पूछताछ हो रही है।”

इसके बावजूद, यह मुस्लिमों के लिए हिंदू घरों में तोड़फोड़ और लूटपाट का बहाना बन गया, जिससे उनकी घर, दुकान और जीवन जीने के साधन नष्ट हो गए।

ऑपइंडिया ने पहले भी 13 ऐसे मामलों को उजागर किया था, जहाँ ‘ईशनिंदा’ के बहाने हिंदुओं पर मुस्लिम भीड़ ने हमला किया, उन्हें प्रताड़ित किया और सताया।



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