बिहार में चुनाव आयोग (ECI) की स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) ड्राइव ने चौंका देने वाला खुलासा किया है। वोटर लिस्ट की सफाई के लिए चलाए जा रहे इस अभियान में 11,000 मतदाता पूरी तरह ‘नॉट ट्रेसेबल’ हैं। यानी न तो उनके पते पर कोई घर मिला, न ही पड़ोसियों को उनकी कोई खबर।
टाइम्स ऑफ इंडिया के हवाले से ECI के एक अधिकारी ने दावा किया कि ये 11,000 ‘नॉट ट्रेसेबल’ लोग बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठिए हो सकते हैं, जो पड़ोसी राज्यों में रहते हुए बिहार में फर्जी वोटर कार्ड बनवाने में कामयाब रहे। ये सनसनीखेज खुलासा बिहार की सियासत में भूचाल ला सकता है, क्योंकि ये घुसपैठिए कथित तौर पर फर्जी वोटिंग के जरिए चुनावी खेल बिगाड़ने की साजिश रच रहे थे।
ECI के मुताबिक, ये गड़बड़ियाँ पुरानी समीक्षा में लापरवाही या भ्रष्टाचार की वजह से हुईं, जिससे घुसपैठियों को वोटर लिस्ट में जगह मिली। कुछ मामलों में तो पते पर कोई घर ही नहीं था और कई बार पड़ोसियों ने भी ऐसे लोगों के बारे में अनभिज्ञता जताई। SIR ड्राइव का मकसद बिहार की वोटर लिस्ट को पूरी तरह साफ करना है, ताकि सिर्फ योग्य भारतीय नागरिक ही मतदान कर सकें। इसके लिए बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLOs) ने तीन बार घर-घर जाकर जाँच की है।
वोटर लिस्ट की सफाई के लिए चलाए जा रहे इस अभियान में 7.90 करोड़ मतदाताओं में से 95.92% की जाँच पूरी हो चुकी है, लेकिन 41.64 लाख मतदाता अपने पते पर नहीं मिले। इनमें 14.29 लाख संभावित रूप से मृत, 19.74 लाख स्थायी रूप से दूसरी जगह शिफ्ट हो चुके और 7.50 लाख लोग एक से ज्यादा जगहों पर रजिस्टर्ड पाए गए। लेकिन सबसे सनसनीखेज बात 11,000 मतदाताओं के नॉन ट्रेसेबल होने की है।
वहीं, बिहार की SIR ड्राइव में अब तक 7.15 करोड़ फॉर्म जमा हो चुके हैं, जिनमें से 6.96 करोड़ डिजिटाइज हो गए हैं। 25 जुलाई तक फॉर्म जमा करने की आखिरी तारीख है, और 1 अगस्त को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी होगी। इसके बाद 1 से 30 अगस्त तक दावे-आपत्तियाँ दर्ज होंगी और 30 सितंबर को फाइनल लिस्ट आएगी।
ECI ने साफ किया कि अगर कोई नाम गलती से शामिल हुआ या छूट गया, तो उसे 30 अगस्त तक ठीक किया जा सकता है। इसके लिए 1 लाख BLOs, 4 लाख वॉलंटियर्स, और 1.5 लाख बूथ लेवल एजेंट्स दिन-रात काम कर रहे हैं। ECI का दावा है कि कोई भी योग्य मतदाता छूटे नहीं, इसके लिए हर मुमकिन कोशिश हो रही है।
लेकिन इस अभियान ने सियासी तूफान भी खड़ा कर दिया है। विपक्षी INDIA ब्लॉक ने इसे ‘वोटबंदी’ और NDA के फायदे की साजिश करार दिया है। दूसरी तरफ, सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई कर रहा है और उसने ECI को आधार, राशन कार्ड और वोटर ID जैसे दस्तावेजों की गहन जाँच करने को कहा है।
इस बीच, SIR ड्राइव में एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ। BLOs ने नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार के विदेशी नागरिकों को भारतीय दस्तावेजों – जैसे आधार, राशन कार्ड और डोमिसाइल सर्टिफिकेट के साथ पकड़ा। इन विदेशी नागरिकों की मौजूदगी ने सवाल खड़े किए हैं कि आखिर कैसे इन्हें भारतीय दस्तावेज मिले।
ECI ने कहा कि 1 से 30 अगस्त के बीच गहन जांच होगी, और जो भी अवैध पाया जाएगा, उसे फाइनल वोटर लिस्ट से हटा दिया जाएगा। बिहार में अक्टूबर-नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ये अभियान और भी अहम हो गया है, क्योंकि फर्जी वोटिंग का खतरा अब सबके सामने है।