कलकत्ता हाई कोर्ट

कलकत्ता हाई कोर्ट ने कहा है कि कोई बच्चा अपनी माँ का उपनाम भी अपने नाम में लगा सकता है। कलकत्ता हाई कोर्ट ने कहा है कि किसी बच्चे का नाम उसकी पहचान का अभिन्न हिस्सा है। हाई कोर्ट ने यह टिप्पणियाँ एक नाबालिग बच्ची की याचिका पर सुनवाई करते हुए की, जो अपनी माँ का नाम अपने उपनाम के तौर पर इस्तेमाल करना चाहती थी। हाई कोर्ट ने उसे माँ का उपनाम इस्तेमाल करने की अनुमति दे दी है।

क्या कहा कलकत्ता हाई कोर्ट ने?

कलकत्ता हाई कोर्ट ने बच्ची के नाम में माता का उपनाम लगाने की अनुमति देते हुए कहा, “यह निर्णय इस सिद्धांत को रेखांकित करता है कि एक बच्चे का उपनाम, उसकी पहचान और उसके व्यक्तिगत विकास का एक अभिन्न अंग है और अदालतों ने लगातार यह कहा है कि जब तक नाम या उपनाम में परिवर्तन किसी तीसरे पक्ष के हित ना प्रभावित करता हो और बच्चे के हित में माँगा गया हो, तो इसकी अनुमति दे देनी चाहिए।”

हाई कोर्ट ने इसके बाद 14 वर्षीय बच्ची को अपने उपनाम में पिता की जगह माँ का उपनाम लिखने की अनुमति दे दी। हालाँकि, हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पिता का नाम किसी सरकारी दस्तावेज से निकाले जाने का असर उसके जैविक पिता के अधिकारों पर नहीं पड़ेगा।

हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि नाम में बदलाव के बावजूद लड़की अपनी पिता की सम्पत्ति की विरासत और बाकी मामलों में अधिकार रखेगी। हाई कोर्ट ने इसी के साथ चंद्रनगोर म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन को यह आदेश दिया कि नए उपनाम वाला यह जन्म प्रमाण पत्र 4 सप्ताह के भीतर 14 वर्षीय बालिका को जारी किया जाए।

क्या था मामला?

कलकत्ता हाई कोर्ट में माँ का उपनाम लेने सम्बन्धित यह याचिका एक 14 वर्षीय बालिका ने डाली थी। बालिका वर्तमान में कक्षा 9 की एक छात्रा है। बच्ची अपने माता-पिता के बीच तलाक के बाद माँ के साथ रहती है। बच्ची के माता-पिता का 2015 में तलाक हुआ था।

तलाक के बाद बच्ची और उसकी माँ ने ‘चटर्जी’ के जगह पर उपनाम ‘भट्टाचार्य’ को अपनाया। इसके चलते बच्ची के सरकारी दस्तावेजों में कहीं उपनाम चटर्जी तो कहीं भट्टाचार्य हो गया। उसने अपने उपनाम को बदलने के लिए नगर निगम को याचिका डाली थी, लेकिन उसकी इस अपील को इनकार कर दिया गया।

इसके बाद बच्ची ने हाई कोर्ट का रास्ता अपनाया। यहाँ बच्ची के पिता से भी जवाब माँगा गया लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। कोर्ट के भीतर नगर निगम ने दावा किया कि गृह मंत्रालय के नियमानुसार बच्चे का नाम नहीं बदला जा सकता। हालाँकि, बच्ची के वकील ने इसके विरोध में एक और ऐसे ही मामले का उदाहरण दिया।

इसके बाद कोर्ट ने दोनों पक्ष को सुनते हुए बच्ची के पक्ष में निर्णय दिया।

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