असदुद्दीन ओवैसी मोहन भागवत

AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने RSS प्रमुख मोहन भागवत की भारतीय परिवारों से तीन बच्चे पैदा करने के आह्वान पर उनकी नकारात्मक छवि पेश करने की कोशिश की। ओवैसी ने तुरंत ‘फेमिनिस्ट कार्ड’ निकाला और RSS प्रमुख के बयान को भारतीय महिलाओं पर इसे ‘बोझ’ करार दिया।

औवैसी ने कहा, “तुम कौन होते हो लोगों के पारिवारिक जीवन में दखल देने वाले? तुम भारतीय महिलाओं पर बोझ क्यों डाल रहे हो, जिनकी अपनी ज़िंदगी के हिसाब से अपनी अलग प्राथमिकताएँ हो सकती हैं?”

दिलचस्प बात यह है कि ये वही असदुद्दीन ओवैसी हैं, जिन्होंने अपने पार्टी के सांसद इम्तियाज जलील के साथ साल 2023 में महिला आरक्षण विधेयक के खिलाफ वोट किया था। विधेयक के खिलाफ वोट करने वाले सिर्फ AIMIM के ये दो सांसद ही थे। इस बिल के तहत लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं को एक तिहाई सीट आरक्षित की जाती है।

लेकिन असल में असदुद्दीन ओवैसी इस बात से हैरान थे कि मोहन भागवत ने भारतीय परिवारों को तीन बच्चे पैदा करने की सलाह दी है। उन्होंने आरोप लगाया, “BJP और RSS, दोनों ही इस देश के युवाओं को रोजगार देने में नाकाम रहे हैं। आप इस बारे में बात नहीं कर रहे हैं। और अब आप कह रहे हैं, ठीक है, तीन बच्चे पैदा करो।”

यही असदुद्दीन ओवैसी अक्टूबर 2022 में लोगों को ज़्यादा बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे थे। उन्होंने ‘जनसंख्या नियंत्रण’ के विचार को खारिज करते हुए दावा किया था कि हमने प्रतिस्थापन दर हासिल कर ली है।

उन्होंने दावा किया था, “जनसंख्या नियंत्रण की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि हम पहले ही प्रतिस्थापन दर हासिल कर चुके हैं। चिंता की बात है, बढ़ती उम्रदराज आबादी और बेरोजगार युवा, जो बुज़ुर्गों का भरण-पोषण नहीं कर सकते।”

यह देखते हुए कि जैविक रूप से केवल महिलाएँ ही बच्चे पैदा कर सकती हैं, उसी ‘नारीवादी’ ओवैसी ने अपने ट्वीट के माध्यम से यह संकेत दिया कि महिलाओं को अधिक बच्चे पैदा करने चाहिए, क्योंकि जनसंख्या नियंत्रण की कोई आवश्यकता नहीं है।

औवैसी ने जनसंख्या नियंत्रण विधेयक का पुरजोर तरीके से विरोध किया था। जून 2022 में AIMIM नेता ने घोषणा की थी, “मैं ऐसे किसी भी कानून का समर्थन नहीं करूँगा जो केवल दो बच्चों की नीति को अनिवार्य बनाता हो क्योंकि इससे देश को कोई फायदा नहीं होगा।”

AIDUF प्रमुख बदरुद्दीन अजमल जैसे बाकी मुस्लिम नेताओं ने तो साल 2019 में यह भी घोषणा कर दी थी कि ‘मुसलमान बच्चे पैदा करते रहेंगे और किसी की नहीं सुनेंगे।’

लेकिन संयोगवश, असदुद्दीन ओवैसी और उनकी पार्टी ने इस बयान को ‘महिला-विरोधी’ कहकर आपत्ति नहीं जताई। उनकी चुनिंदा टिप्पणियों और गुस्सा अब एक ऐसे हिंदू नेता पर केंद्रित है जिसने ‘सभी’ को तीन बच्चे पैदा करने की सलाह दी थी।

क्या था RSS प्रमुख मोहन भागवत का ‘तीन बच्चों’ वाला बयान?

गुरुवार (28 अगस्त 2025) को RSS के 100 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को मोहन भागवत ने संबोधित किया। इस दौरान RSS प्रमुख ने जनसंख्या नियंत्रण की समस्या पर भी चर्चा की। RSS प्रमुख ने कहा कि भारत की जनसंख्या नीति के अनुसार हर परिवार में तीन बच्चे होने चाहिए। 

मोहन भागवत ने जोर देकर कहा, “मैं यह बात राष्ट्र के दृष्टिकोण से कह रहा हूँ। जनसंख्या एक परिसंपत्ति होने के साथ-साथ एक चिंता का विषय भी हो सकती है क्योंकि हमें इन बच्चों का पेट भी भरना है। इसीलिए जनसंख्या नीति लागू है। इसका उद्देश्य जनसंख्या को नियंत्रण में रखने के साथ-साथ पर्याप्त भी रखना है।”

उन्होंने यह भी कहा, “हमें तीन बच्चों से आगे नहीं बढ़ना चाहिए। क्योंकि फिर उन्हें ठीक से पालना मुश्किल हो सकता है। यह बात सभी को स्वीकार करनी चाहिए। हाँ, यह सच है कि प्रजनन दर घट रही है। हिंदुओं में प्रजनन दर कम थी जो अब और कम हो गई है। अन्य समूहों में प्रजनन दर ज़्यादा थी इसलिए उनकी गिरावट बहुत ज़्यादा दिख रही है।”



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